Made In China Review: उम्मीद से फीकी है राजकुमार-मौनी की मेड इन चाइना, पढ़ें रिव्यू
By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: October 25, 2019 12:36 IST2019-10-25T10:29:15+5:302019-10-25T12:36:48+5:30
राजकुमार राव और मौनी रॉय की फिल्म मेड इन चाइना के ट्रेलर के बाद से ही फिल्म का इतंजार फैंस को था, अब फिल्म आज फैंस के सामने पेश कर दी गई है।

Made In China Review: उम्मीद से फीकी है राजकुमार-मौनी की मेड इन चाइना, पढ़ें रिव्यू
गुजराती फिल्मों में नेशनल अवॉर्ड जीतने वाले डायरेक्टर मिखिल मुसाले अपनी पहली हिंदी फिल्म लेकर आ रहे हैं। मंनोरजंन के साथ फिल्म में कुछ नया पेश करने की कोशिश की गई है लेकिन ये कहा जा सकता है कि वह कही चूक से गए हैं। एक नाकामयाब बिजनेस मैन से कामयाब होने की कहानी पहले भी पर्दे पर दिखे चुके हैं। इस पर निर्देशक सेक्स प्रॉब्लम जैसे टैबू समझे जाने वाले मुद्दे को भी इसमें साथ में जोड़ लिया। आइए जानते हैं कैसे ही मेड इन चाइना।
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी शुरू होती है एक संघर्ष करते गुजराती बिजनेसमैन रघुवीर मेहता(राजकुमार राव)। रघुवीर अभी तक 13 अलग अलग बिजनेस के आइडिया में फेल हो चुका है। उसकी पढ़ी लिखा पत्नी रुक्मिणी (मौनी रॉय) हर कदम पर उसका साथ देती है। मगर उन पर उनके छोटे बेटे की जिम्मेदारी भी है। साथ ही रघुवीर का कजिन वनराज (समीत व्यास) और बड़े पापा (मनोज जोशी) उसको आर्थिक सहायता तो देते हैं लेकिन सुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। एक बार वनराज के साथ रघुवीर को चाइना जाने का मौका मिलता है। जहां उसकी मुलाकात सफल बिजनेसमैन तन्मय शाह (परेश रावल) से होती है। जो रघवीर को एक बिजनेस का एक गुरूमंत्र देते हैं जिस पर चलकर वह खुद को साबित करता है। वह सेक्स लाइफ की संतुष्टि के लिए एक प्रॉडक्ट टाइगर सूप पर काम शुरू करता है और उसे सफल बनाने के लिए जहीन मगर लो-प्रोफाइल सेक्सॉलजिस्ट डॉक्टर वर्दी को जोड़ता है। क्या रघुवीर सेक्स प्रोडक्ट की बिजनेस में सफल हो पाएगा इसके लिए आपको फिल्म थिएटर में देखनी होगी।
एक्टिंग
एक्टिंग की बात की जाए तो राजकुमार राव का जवाब ही नहीं है। उन्होंने हमेशा की तरह से शानदार काम किया है। गुजाराती अंदाज में बहुत जबरदस्त डायलॉग बोलते नजर आए हैं। लेकिन मौनी रॉय के किरदार को खूब अच्छे से निर्देशक पर्दे पर पेश नहीं कर पाए हैं। बोमन ईरानी ने भी काफी अच्छी एक्टिंग की है। परेश रावल एक लंबे अरशे का बाद नजर आए हैं तो उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है। सुमीत व्यास ने छोड़े रोल में न्याय किया है।
डारेक्शन
फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी ज्यादा कमजोर है। ऐसा लगेगा कि फिल्म को जबरदस्ती खींचा जा रहा है। जहां कई किरदारों का फिल्म में होना समझ के परे लगेगा।सेकेंड हाफ में फिल्म का कहानी थोड़ी रफ्तार पकड़ेगी। निर्देशक ने फिल्म में गुजराती फ्लेवर को बखूबी पेश किया है। फिल्म के कुछ हिस्से काफी कमजोर हैं। लेकिन कुछ चीजों को काफी अच्छे से पेश किया है।