पहले अंधेरी में काम मांगने के लिए घूमता था, अब निर्देशकों की लाइन लगती है- संघर्ष के दिनों को याद कर बोले पंकज त्रिपाठी

By अनिल शर्मा | Published: July 28, 2021 12:44 PM2021-07-28T12:44:08+5:302021-07-28T13:01:49+5:30

पंकज त्रिपाठी ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि एक वक्त था जब वे अंधेरी में काम मांगने के लिए घूमा करते थे लेकिन अब पार्किंग में ही उन्हें फिल्में ऑफर हो जाती हैं। अभिनेता के मुताबिक 6 सालों तक कुछ नहीं कमाया। सारा खर्च उनकी पत्नी उर्मिला चलाती थीं।

Pankaj Tripathi struggle days Earlier he used to roam in Andheri to ask for film now line of directors seems in parking | पहले अंधेरी में काम मांगने के लिए घूमता था, अब निर्देशकों की लाइन लगती है- संघर्ष के दिनों को याद कर बोले पंकज त्रिपाठी

पहले अंधेरी में काम मांगने के लिए घूमता था, अब निर्देशकों की लाइन लगती है- संघर्ष के दिनों को याद कर बोले पंकज त्रिपाठी

Highlightsपंकज त्रिपाठी ने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कई बातें शेयर की हैंपंकज ने कहा कि 6 सालों तक मुंबई में कुछ नहीं कमायाअभिनेता ने कहा कि अंधेरी में काम के लिए घूमा करते थे, फिर भी काम नहीं मिलता था

बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी का गोपालगंज से मुंबई तक का सफर आसान नहीं रहा है। हिंदी सिनेमा में अपनी अलग पहचान रखने वाले पंकज त्रिपाठी ने होटल में काम किया फिर दिल्ली के एनएसडी में एक्टिंग का गुर सीखा इसके बाद उन्होंने मुंबई का रुख कर लिया। यहां वे आए तो अकले नहीं थे, पत्नी उर्मिला भी उनके साथ थीं। और संघर्ष के दिनों में उर्मिला ने ही सारी जिम्मेदारियां निभाई, मूलभूत सुविधाओं का ख्याल रखा।

हाल ही में पंकज त्रिपाठी ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि एक वक्त था जब वे अंधेरी में काम मांगने के लिए घूमा करते थे लेकिन अब पार्किंग में ही उन्हें फिल्में ऑफर हो जाती हैं। अभिनेता के मुताबिक 6 सालों तक कुछ नहीं कमाया। सारा खर्च उनकी पत्नी उर्मिला चलाती थीं।

6 सालों तक पत्नी ने घर का सारा खर्च उठाया

बकौल पंकज त्रिपाठी, ईमानदारी से कहूं तो, मैंने 2004 और 2010 के बीच कुछ भी नहीं कमाया। वो (उनकी पत्नी मृदुला) हमारे घर के रखरखाव में शामिल सभी खर्चों का बोझ उठाती थी। मैं अंधेरी में घूमता था और लोगों से विनती करता था कि कोई एक्टिंग करवा लो, कोई एक्टिंग करवा लो। लेकिन उस समय किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। अब, जब मैं घर जाता हूं, तो मुझे मेरे पार्किंग में फिल्में ऑफर होती हैं।

अंधेरी में तलाश करने पर भी मुझे कोई नौकरी नहीं मिली

पंकज त्रिपाठी ने कहा कि मुझे अपनी पार्किंग में डायरेक्टर्स मिलते हैं, मुझसे पूछते हैं कि 'आप कहां हैं? मैं आपके साथ एक फिल्म करना चाहता हूं, कृपया एक नरेशन के लिए बैठिए'। पहले, मैंने संघर्ष किया, लेकिन अंधेरी में उनकी तलाश करने पर भी मुझे कोई नौकरी नहीं मिली, लेकिन अब मेरी पार्किंग में फिल्मों की लाइनें लग रही हैं। उन संघर्ष के दिनों में, मृदुला घर के किराए से लेकर अन्य मूलभूत जरूरतों का सारा खर्च उठाती थीं।

Web Title: Pankaj Tripathi struggle days Earlier he used to roam in Andheri to ask for film now line of directors seems in parking

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