'पद्मावत' के ये 7 सीन देखने के बाद करणी सेना बेहद शर्मिंदा होगी!

By खबरीलाल जनार्दन | Published: January 25, 2018 12:32 PM2018-01-25T12:32:16+5:302018-01-25T13:27:05+5:30

पद्मावत में मुसलमान बादशाह अलाउद्दीन खिलजी को परसंतापी, घोर ईर्ष्यालु, फूहड़, धोखेबाज, खूंखार, चालबाज, पराई नारी पर बुरी नजर रखने वाला, बदमाश दिखाया गया है।

Padmaavat row: karni sena would be embarrassed on himself after watching these 7 scenes | 'पद्मावत' के ये 7 सीन देखने के बाद करणी सेना बेहद शर्मिंदा होगी!

'पद्मावत' के ये 7 सीन देखने के बाद करणी सेना बेहद शर्मिंदा होगी!

पद्मावत को रिलीज ना होने देने के लिए देशभर में प्रदर्शन कर रही करणी सेना व आहत भावनाएं लिए लोग फिल्म देखकर बहुत शर्मिंदा होंगे। पद्मावत के एक दृश्य में राजपूतों की चित्तौड़गढ़ की शान रावल रतन सिंह कहते हैं, 'कपट से हमने जीत हासिल की तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।' संजय लीला भंसाली ने रावल रतन सिंह को मेवाड़ का शेर बनाया है। करणी सेना व आहत भावना वालों ने हरियाणा में जिस तरह से बच्चों की बस पर हमला किया है, वे अपने पूर्वज का बहुत अपमान कर रहे हैं।

पद्मावत के 7 दृश्य, जहां राजपूतों की गौरवगाथा करने में भंसाली ने करोड़ों लगा दिए-

1. अपने वचन के लिए राजपूत सबकुछ झोंक देता है

रावल रतन सिंह, अलाउद्दीन को वचन देता हैं कि वे उसकी छावनी में भोजन के लिए आएंगे। ये जानते हुए कि खिलजी बहुत धोखेबाज है। अपने ही चचाजान की हत्याकर तख्त पर बैठा है। छह महीने से ज्यादा समय से चित्तौड़गढ़ के सामने छावनी डाले बैठा है इसीलिए कि चित्तौड़ को जीत सके। यहां तक कि अपनी रानी पद्मावती के आगाह करने पर भी रतन सिंह अपना वचन नहीं भूलते। वह अलाउद्दीन की छावनी में भोजन के लिए जाते हैं।

करणी सेना और आहत भावनाएं लिए राजपूतः नोएडा में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के कहती है कि फिल्म रिलीज करने देगी। इसमें कोई परेशानी नहीं है। अगले दिन यू-टर्न ले लेती है। सड़कर पर उतरकर बसों में आग लगाती है।

2. राजपूत घर आए मेहमान पर हाथ नहीं उठाता 

कपटी अलाउद्दीन खिलजी आत्म समर्पण के बहाने से मेवाड़ में दा‌खिल होता है लेकिन मेवाड़ राजा का मेहमान होता है। वह महल में पद्मावती को देखने की जिद करने की हिमाकत करता है। लेकिन रतन सिंह उस पर हाथ नहीं उठाते। उनके उसूल हैं। वह निहत्‍थों और घर आए मेहमान पर हमला नहीं करते।

करणी सेना और आहत भावनाएं लिए राजपूतः इस डर से कि फिल्म में उनकी छवि खराब ना दिखा दी जाए, वे पहले ही फिल्म निर्देशक को थप्पड़ मार देते हैं। मुंबई से राजस्‍‌थान आए निर्देशक का सेट उखाड़कर फेंक देते हैं।

3. राजपूत कमजोर होने पर हिम्मत नहीं हारता

जब अलाउद्दीन अपनी राक्षसों की हजारों-हजार सेना, आग बरसाने वाले गोले लेकर चित्तौड़गढ़ के सामने छावनी बना देता है तो भी रतन सिंह घबराते नहीं है। वह दूसरे राजपूत राज्यों से मदद की गुहार लगाते हैं लेकिन कोई उसके लिए आगे नहीं आता। तब भी वे घबराते नहीं। उनके अपने भंडार-गृह में अनाज घट रहा होता है सेनापति उसे बेहद चिंताजनक करार देते हैं तब भी वे उत्साह से होली-दिवाली मनाने को कहते हैं। जरूरत पड़ने पर खुद अकेले आगे बढ़कर खिलजी से युद्ध करते हैं।

करणी सेना और आहत भावनाएं लिए राजपूतः फिल्म रिलीज पर अपने पक्ष में फैसला ना होने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हैं। सिनेमाघरों की टिकट खिड़‌कियों के शीशे फोड़ते हैं।

4. राजपूत दुश्मन की कैद में भी नहीं टूटता ना समझौते करता

राजा रतन सिंह कपटी अलाउद्दीन की चाल में फंसकर उसकी कैद में जा पहुंचते हैं। लेकिन वहां भी किसी तरह का समझौता नहीं करते। वहां कैद में राजपूत मान का सम्मान करते हैं। 

करणी सेना और आहत भावनाएं लिए राजपूतः फिल्म का प्रदर्शन रोकने के लिए छद्म रचते हैं। महिलाओं का सहारा लेते हैं। संदिग्‍ध परि‌स्थितियों में किले पर लाश टांग देते हैं।

5. राजपूत किसी धोखेबाज से भी धोखा नहीं करता

जब मौका आता है ‌खिलजी की कैद और सत्ता से बाहर जाने का तो राजा रतन सिंह खिलजी से मिलने जाते हैं। खिलजी की पत्नी उनसे आग्रह करती है कि वे ऐसा ना करें, अन्यथा खिलजी के सिपाहियों के शिकार होंगे, लेकिन रतन सिंह कहते हैं- राजपूत पीठ दिखाकर नहीं भागता।

करणी सेना और आहत भावनाएं लिए राजपूतः फिल्म निर्देशक, अभिनेत्री की कान, नाक काटने की धमकी देते हैं। ऐसा करने वाले को इनाम देने की घोषणा करते हैं।

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6. राजपूत सिर कलम होने के बाद भी तलवार भांजता है

सेनापति गोरा सिंह अपनी राजा की रक्षा करते हुए अपना सिर खो देता है। लेकिन उसके हाथ से तलवार नहीं छूटती। वह बिना सिर दुश्मनों पर तलवार भांजता रहता है। सिर कलम होने के बाद भी राजपूत अपने धर्म से पीछे नहीं हटता।

करणी सेना और आहत भावनाएं लिए राजपूतः स्कूली बच्चों के बसों पर पद्मावत के रिलीज होने का गुस्सा उतारती है।

7. क्षत्राणी अपने मर्यादा के लिए जौहर करती है

रानी पद्मावती अपनी मर्यादा के लिए जिंदा ही आग में कूदने से नहीं घबरातीं। जरूरत पड़ने पर वह दुश्मन के महल में घुसने से भी नहीं हिचकती। उनको पाने की अकांक्षा लिए विधर्मी के हाथों में पड़ने के बजाए वह जौहर करती हैं। साथ ही राज्य की बच्ची, गभर्वती एक भी महिला को खिलजियों के हा‌‌थ नहीं लगने देतीं।

करणी सेना और आहत भावनाएं लिए राजपूतः बिना फिल्म देखे इतनी डरी हुई कि अपनी रानी को ‌लेकर संशय में है। 

इसके उलट फिल्म में मुसलमान बादशाह अलाउद्दीन खिलजी को परसंतापी, घोर ईर्ष्यालु, फूहड़, धोखेबाज, खूंखार, चालबाज, पराई नारी पर बुरी नजर रखने वाला, बदमाश दिखाया गया है।

Web Title: Padmaavat row: karni sena would be embarrassed on himself after watching these 7 scenes

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