Mirzapur Web Series, First Episode Review: गाली, गोलीबारी का नशीला कॉकटेल है 'मिर्जापुर', यहां बातें कम कट्टे ज्यादा चलते हैं
By मेघना वर्मा | Published: November 24, 2018 11:08 AM2018-11-24T11:08:36+5:302018-11-24T11:08:36+5:30
मिर्जापुर कहानी है एक ऐसे शहर की जो आज भी डेवलप होने की रेस में है। मिर्जापुर एक ऐसा शहर हैं जहां कारोबार के पीछे कुछ लोग गलत और असंवैधानिक काम करते हैं और खुद को मिर्जापुर का बाहुबली बताते हैं।
मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश का एक शहर जो जाना जाता है के लिए, एक शहर जो जाना जाता है । एक शहर जहां परंपरा भी है और आधुनिकता भी। एक शहर जहां चाय पर चर्चा होती है और देश का भविष्य तय हो जाता है। राजधानी दिल्ली से लगभग साढ़े छह सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये शहर कुछ दिनों पहले सिर्फ था। कुछ दिनों पहले इसे के कामों के लिए जाना जाता है। मगर इंटरनेट के इस दौर में जब से मिर्जापुर पर सीरिज बनी हैं तब से एक बार फिर ये शहर चर्चा में हैं।
मिर्जापुर कहानी है एक ऐसे शहर की जो आज भी डेवलप होने की रेस में है। मिर्जापुर एक ऐसा शहर हैं जहां कारोबार के पीछे कुछ लोग गलत और असंवैधानिक काम करते हैं और खुद को मिर्जापुर का बाहुबली बताते हैं। बात करें हैं मिर्जापुर के पहले एपीसोड की। तो शुरूआत होती है देवेन्दू शर्मा की एंट्री से जो इस सीरिज में मुन्ना भईया का किरदार निभा रहे हैं।
मुन्ना भईया शहर के बाहुबली यानी अखंडा नंद त्रिपाठी उर्फ कालीन भईया के सुपुत्र हैं और अपनी गाड़ी पर किंग ऑफ मिर्जापुर का नेम प्लेट लिए घूमते हैं। अब मुन्ना भईया को पूरे शहर पर अपना राज चाहिए वो कहते हैं
अब मुन्ना भईया और उनके कुछ पंटर दोस्त रास्ते से निकलते हैं तो उन्हें एक बारात मिलती है। जिसमें वो खुद शामिल होकर यूं ही नाचने लगते हैं। मुन्ना भईया इतना जोशा जाते हैं कि बस चल जाता है कट्टा और गोली सीधे दूल्हे की आंख पर लगती है।
वहीं दूसरी तरफ एंट्री होती है कालीन भईया यानी पकंज त्रिपाठी की। जिनका बिजनेस कालीन बनाना तो है ही मगर ऑन द अदर हैंड वो कट्टे बनाने का बिजनेस भी करते हैं। जब मुन्ना भईया की ये हरकत उनके पिता जी के कानों में जाती है मतलब कालीन भईया के कानों में तो वो मुन्ना को डांटते-डपटते हैं मगर मुन्ना करता है कि वो सब संभाल लेगा।
मिर्जापुर में ही एक कॉलेज है जिसका नाम है गज्जुमल कॉलेज जहां से मुन्ना भईया इलेक्शन के लिए खड़े हुए हैं। अपने ऑपोजिट खड़े किसी भी कैंडिडेट को वो ऐसा सबक सिखाते हैं और डराते-धमकाते हैं कि वो चुनाव से नाम ही वापिस ले लेता है। इसी बीच मुन्ना की मुलाकात होती है अली फजल यानी गुड्डू और विक्रांत मेसी यानी बबलू।
गुड्डू जो पूरी सीरिज में सिर्फ अंडा खाते नजर आते हैं क्योंकि उन्हें मिस्टर पूर्वांचल बनना है, तो थोड़ा बॉडी-शॉडी बनाने के लिए वो या तो सिर्फ अंडे खाते हैं या गोलियां। से इंप्रेस हो जाते हैं। वहीं बबलू का दिमाग बड़ा तेज होता है। ही इज ए इंटेलिजेंट बॉय यू नो। कॉलेज की मार-धाड़ में मुन्ना और बबलू-गुड्डू की मुलाकात हो जाती है और मुन्ना गुड्डू से इंम्प्रेस भी हो जाता है। मगर गुड्डू तो मुन्ना भईया जैसा बनना चाहता है। मतलब उसके जैसा दबंग और एक दम एटिट्यूड वाला।
जब मुन्ना भइया उस वकीले के घर जाते हैं जिसने दूल्हे का केस लिया है तो उन्हें पता चलता है कि वो गुड्डू और बबलू के पिता हैं। बस घर में ही लड़ाई हो जातीहै शुरू और मुन्ना भईया और उसके दोस्तों को गुड्डू बबलू कूट देते हैं। एपिसोड खत्म होता है गुडूडू बबलू के सीन से जिन्हें कालीन भईया ने अपने घर बुलाया है।
इस पूरे एपिसोड में द लव इज पंकज त्रिपाठी, उनकी एक्टिंग जबजस्त है। सीरिज में बबलू उर्फ विक्रांत मेसी भी उभर कर आए हैं पहले एपिसोड से ही उन्होंने बता दिया कि बॉस मैं हमेशा साइड रोल के लिए नहीं बना हूं। वहीं सीरिज में छोटे-छोटे रोल भी आपको हंसा जरूर देंगे फिर चाहे वो पंचर बनाने वाला सीन हो या कॉलेज इलेक्शन के कैंपेन का। ओवर ऑल ये पूरा एपिसोड आपको मजबूर कर देगा कि आप इसका नेक्स्ट एपिसोड जरूर देखें।