के एल सहगल की 114वीं जयंती पर गूगल ने बनाया डूडल, भारतीय सिनेमा जगत के थे पहले महानायक

By पल्लवी कुमारी | Published: April 11, 2018 05:54 AM2018-04-11T05:54:39+5:302018-04-11T05:54:39+5:30

कुंदन लाल सहगल ने  36 फिल्मों में अभिनय किया और 200 से ज्यादा गाने गाए। महज 43 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए।

K L Saigal 114th Birth Anniversary: google make doodle, Lesser-known Facts About Saigal | के एल सहगल की 114वीं जयंती पर गूगल ने बनाया डूडल, भारतीय सिनेमा जगत के थे पहले महानायक

के एल सहगल की 114वीं जयंती पर गूगल ने बनाया डूडल, भारतीय सिनेमा जगत के थे पहले महानायक

नई दिल्ली, 11 अप्रैल: भारतीय सिनेमा के जगत के पहले महानायक कहने जाने वाले कुंदन लाल सहगल की आज 114वीं जयंती है। इस मौके पर गूगल ने के एल सहगल को डूडल बनाकर श्रदांजलि दी है। अगर इस डूडल की बात की जाए तो इसका बैकग्राउंड आपको सहगल के जामने की याद दिलाएगा। डूडल में माइक के सामने गीत गाते हुए दिख रहे हैं सहगल। सहगल के चित्र को डूडल पर उतार कर उनकी गायकी को याद किया गया है। अपने करियर में सहगल ने  36 फिल्मों में अभिनय किया और 200 से ज्यादा गाने गाए। महज 43 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन इस छोटे से दौर में उन्होंने शोहरत की बुलंदियां हासिल कर ली थीं। 

प्रारंभिक जीवन

1904 में जम्मू के तहसीलदार घराने में के एल सहगल का जन्म हुआ था।  उनके पिता अमरचंद जम्‍मू कश्‍मीर के राजा के तहसीलदार थे। संगीत की ओ सहगल का झुकाव अपनी मां केसर बाई की वजह से हुआ जो बेहद धार्मिक और संगीत प्रेमी महिला थीं। सहगल बचपन में अपनी मां के साथ संगीत के सुर में रम गए थे। वह अपनी मां के साथ  शास्‍त्रीय संगीत पर आधारित भजन कीर्तनों का आयोजन में जाते थे। सहगल इसके अलावा बचपन से ही रामलीला में भी भाग लिया करते थे। 

केवल  प्रारंभिक शिक्षा के बाद सहगल ने स्‍कूल छोड़ दिया था। उसेक बाद वह मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर टाइमकीपर की नौकरी करते थे। मुरादाबाद से वह कानपुर आये और यहां चमड़े के कारोबारियों के यहां नौकरी की। जहां वह गजल की महफिलें लगाने वाले सहगल 'चमड़ा बाबू' के नाम से फेमस हो गए। सहगल ने यहां कानपुर में ही संगीत सीखा। 

सहगल का फिल्मी सफर

साल 1930 मे कोलकाता के न्यू थियेटर के बी.एन.सरकार ने सहगल को 200 रुपये मासिक पर अपने यहां रखा लिया था। सहगल की यहां मुलाकात संगीतकार आर.सी.बोराल से हुई। बतौर अभिनेता सहगल को वर्ष 1932 में प्रदर्शित एक उर्दू फिल्म ..मोहब्बत के आंसू ..में अभिनय का मौका मिला। इसके बाद 1932 में सुबह का सितारा और जिंदा लाश फिल्म भी आई। लेकिन इस फिल्म से सहगल कुछ खास ना कर पाए। 1933 मे प्रदर्शित फिल्म  पुराण भगत की कामयाबी के बाद बतौर गायक सहगल कुछ हद तक फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो पाए थे। 1937 में सहगल को बांग्ला फिल्म दीदी से अपार सफलता मिली। 

दीदी फिल्म के बाद सहगल 1940 में मुंबई आए और बॉलीवुड करियर की शुरूआत की। यहां आकर उन्हें कई बार निराशा हाथ लगी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उन्होंने कई बॉलीवुड में अपनी एक अलग ही जगह बना ली। 1942 में सहगल की पहली बॉलीवुड फिल्म भक्त सूरदास आई। इसके बाद 1943 में तानसेन, 1944 में मेरी बहन, भँवरा आई। इसेक बाद तदबीर, कुरुक्षेत्र, शाहजहां, उमर खैय्याम और परवाना आई थी। 

सहगल को जो शोहरत मिली वो कम ही लोगों को हासिल होती है। उनकी लोकप्रियता का आलम ये रहा है कि अपने दौर के सबसे फेमस रेडियो चैनल रेडियो सीलोन ने करीब 48 साल तक हर सुबह अपना एक कार्यक्रम सहगल के गानों पर ही आणारित रखा था। 1940 से 1947 तक सहगल ने हिंदी फिल्म जगत में काफी नाम कमाया। 

43 साल की उम्र में सहगल का हुआ निधन

 महज 43 साल की उम्र में सहगल का निधन हो गया था। अत्याधिक शराब पीने की वजह से 1946 में वह बेहद बीमार हो गए। जिसके बाद वह नगर जालंधर चले आए। जहां 18 जनवरी 1947 को लीवर की बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि सहगल को शराब की लत इस कदर थी कि उन्होंने अपने सारे गाने लगभग गाने शराब के नशे में गाए।   

Web Title: K L Saigal 114th Birth Anniversary: google make doodle, Lesser-known Facts About Saigal

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