जोश मलीहाबादी: नेहरू के पसंदीदा शायर, 1954 में भारत ने दिया पद्म भूषण फिर भी 1958 में चले गए पाकिस्तान

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 5, 2018 08:20 IST2018-12-05T08:20:29+5:302018-12-05T08:20:29+5:30

जोश मलीहाबादी का असली नाम शब्बीर हसन खान था। जोश मलीहाबादी उनका शायरी का तखल्लुस था।

josh malihabadi nehur gave him padam bhushan in 1954 but he left for pakistan in 1958 | जोश मलीहाबादी: नेहरू के पसंदीदा शायर, 1954 में भारत ने दिया पद्म भूषण फिर भी 1958 में चले गए पाकिस्तान

जोश का 22 फ़रवरी 1982 को पाकिस्तान में निधन हो गया। पाकिस्तान ने अगस्त 2012 में जोश को मरणोपरांत हिलाल-ए-इम्तियाज सम्मान से नवाजा।

आज शायर-ए-इंक़लाब जोश मलीहाबादी की जयंती है। जोश मलीहाबादी का जन्म पाँच दिसम्बर को 1894 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत (यूपी) के मलीहाबाद में हुआ था। जोश का असली नाम शब्बीर हसन खान था। जोश मलीहाबादी उनका शायरी का तखल्लुस था। उर्दू, फारसी, अरबी और अंग्रेजी के जानकार जोश ने आगरा के सेंट पीटर्स कॉलेज और रवींद्रनाथ टैगौर के शांति निकेतन विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी।

जोश युवावस्था से ही क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़ गये थे। उन्होंने कलीम नामक पत्रिका का संपादन किया जिसमें वो ब्रिटिश राज के ख़िलाफ़ खुलकर लिखा करते थे। उनके शेरों और लेखों की वजह से उन्हें क्रांतिकारी शायर कहा जाने लगा। भारत को आजादी मिलने के बाद जोश आज-कल पत्रिका के संपादक बने। जोश के मुरीदों और चाहने वालों में जवाहरलाल नेहरू का नाम भी शामिल था।  

नेहरू देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद जोश के मुरीद बने रहे। जोश मलीहाबादी उन गिने-चुने लोगों में शामिल थे जिन्हें देश के पहले प्रधानमंत्री से मिलने के लिए विशेष रूप से अप्वाइंटमेंट नहीं लेना पड़ता था। जब 1954 में देश में पद्म पुरस्कारों की स्थापना हुई तो जोश मलीहाबादी को तत्कालीन नेहरू सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। लेकिन अपने सभी चाहने वालों को भावनात्मक झटका देकर 1958 में पाकिस्तान चले गये।

पाकिस्तान जाने से पहले नेहरू से मिले थे जोश मलीहाबादी

जवाहरलाल नेहरू 1947 से 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे थे। जोश उनके पसंदीदा शायर थे। (फाइल फोटो)
जवाहरलाल नेहरू 1947 से 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे थे। जोश उनके पसंदीदा शायर थे। (फाइल फोटो)
माना जाता है कि पाकिस्तान जाने से पहले जोश ने नेहरू से राय माँगी थी। इस पर नेहरू ने कहा था कि यह आपका निजी मामला है लेकिन आप चाहें तो मौलाना आजाद से मशविरा कर सकते हैं। कहते हैं कि जोश ने मौलाना आजाद से सलाह की तो उन्होंने उन्हें पाकिस्तान जाने से मना किया लेकिन जोश नहीं माने। जोश के बेटे-बेटियाँ और अन्य सम्बन्धी पहल ही पाकिस्तान जा चुके थे। 

पाकिस्तान के जाने के बाद जोश तीन बार भारत आये थे। पहली बार 1958 में ही मौलाना अबुल कलाम आजाद के निधन पर। दूसरी बार 1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु पर। तीसरी बार 1967 में किसी निजी कारण से वो दिल्ली आये।

जोश का 22 फ़रवरी 1982 को पाकिस्तान में निधन हो गया। पाकिस्तान ने अगस्त 2012 में जोश को मरणोपरांत हिलाल-ए-इम्तियाज सम्मान से नवाजा। यह पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है।

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