एक्टिंग में करियर नहीं बनाना चाहती थीं 'बुलबुल' फेम तृप्ति डिमरी, मुंबई में अपने मुश्किल दौर के बारे में कही ये बात
By अनिल शर्मा | Updated: June 26, 2021 15:01 IST2021-06-26T14:44:40+5:302021-06-26T15:01:10+5:30
तृप्ति डिमरी की मानें तो पिता भी नहीं चाहते थे वह मुंबई आएं। करियर के लिए मुंबई में अकेले रहने की परमिशन नहीं देते थे। तृप्ति डिमरी के मुताबिक उनको पहला ब्रेक मुझे सोशल मीडिया के जरिए मिला।

एक्टिंग में करियर नहीं बनाना चाहती थीं 'बुलबुल' फेम तृप्ति डिमरी, मुंबई में अपने मुश्किल दौर के बारे में कही ये बात
बुलबुल फेम तृप्ति डिमरी आज कई फिल्मों का हिस्सा बन रही हैं। वहीं एक समय ऐसा भी रहा जब उनके पास काम ही नहीं होते थे। तृप्ति डिमरी उत्तराखंड से ताल्लुक रखती हैं। लेकिन पढ़ाई-लिखाई सब दिल्ली से हुई है। तृप्ति डिमरी ने बॉम्बे टाइम्स से बताया कि वह एक्टिंग में अपना करियर नहीं बनाना चाहती थीं।
साल 2017 में 'पोस्टर बॉयज़' में सपोर्टिंग एक्ट्रेस से करियर की शुरुआत करने वाली तृप्ति डिमरी ने बुलबुल के लिए फिल्मफेयर ओटीटी बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीता है। इंडस्ट्री में आने की कहानी बताते हुए तृप्ति डिमरी ने कहा कि मैं एक्टिंग को अपना करियर नहीं बनाना चाहती थी. शुरूआत में मैंने इस और बहुत ज्यादा प्रयास कभी नहीं किए थे, क्योंकि मेरे पास कोई कॉन्टेक्ट नहीं था और ना मुझे ये पता था कि इंडस्ट्री में कैसे आना है।
तृप्ति डिमरी की मानें तो पिता भी नहीं चाहते थे वह मुंबई आएं। करियर के लिए मुंबई में अकेले रहने की परमिशन नहीं देते थे। तृप्ति डिमरी के मुताबिक उनको पहला ब्रेक मुझे सोशल मीडिया के जरिए मिला। बकौल तृप्ति डिमरी, पोस्टर बॉयज की टीम ने मुझे देखा और मुझसे खुद संपर्क किया. मैंने उनसे कहा कि मैं एक्टिंग के बारे में कुछ नहीं जानती, फिर भी मैंने ऑडिशन दिया और मुझे बहुच आश्चर्य हुआ कि मेरा सेलेक्शन हो गया। फिल्म की रिलीज के बाद ही मेरे माता-पिता ने अपना माइंड चेंज किया। मुझे मुंबई आने की परमिशन दी। वहीं इसके तुरंत बाद, मुझे 'लैला मजनू' मिल गई। उस समय किस्मत मेरे साथ थी। शुरुआत से ही मुझे अच्छे प्रोजेक्ट मिले है।
गौरतलब है कि तृप्ति डिमरी लैला मजनू में भी नजर आईं थीं। वह कहती हैं कि 'बुलबुल' और लैला मजनू में लम्बा गैप हो गया था। वह मुश्किलों वाला दौर था। एक्ट्रेस कहतीं है, 'यह बीच का समय बहुत डिमोटिवेटिंग था। आप कब तक सिर्फ और सिर्फ बहुत अच्छा सोच सकते है। ऐसा आप एक या दो महीने तक कर सकते हैं और फिर आप थक जाते हैं। मैंने अच्छी स्क्रिप्ट के आने का इंतजार किया, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था, ये सबसे मुश्किल दौर था, क्योंकि मैं हर दिन सुबह उठकर सोचती थी कि आगे क्या होगा, खासकर जब मेरे सभी दोस्त काम कर रहे हों। यह मेरे लिए बहुत तनावपूर्ण समय था।