फिल्म 'छपाक' के प्रमोशन के तहत अभिनेत्री दीपिका पादुकोण लोकमत 'मेट्रो एक्सप्रेस' की अतिथि संपादक बनीं. अपनी आगामी फिल्म में मालती बनीं दीपिका एसिड हमले की पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल का मुख्य किरदार निभा रही हैं. फिल्म से मिले अपने अनुभव, शूटिंग के दौरान के किस्से और सजीव किरादार को निभाने के दौरान जीवन में आए बदलाव को लेकर अविस्मरणीय क्षण उन्होंने साझा किए. पढ़ें इंटरव्यू के चुनिंदा अंश:
मेघना गुलजार का निर्देशक के रूप में नया पहलू क्या है?
मेघना गुलजार ने इस फिल्म को जिया है. ऐसे विषय पर फिल्म बनाने का साहस दिखाने के लिए मैं उनकी आभारी हूं. इसके अलावा मेघना ने सर्वोत्तम संवेदनशील फिल्में बनाई हैं. यह विषय भी उतना ही संवेदनशील है, जिसे मेघना ने बड़े बेहतरीन ढंग से परदे पर उतारा है. वे बहुत मेहनती हैं. वे 2016 से इस विषय पर अनुसंधान कर रही हैं. तीन-चार साल की रिसर्च के बाद उन्होंने परफेक्ट कथा लिखी है. उसके अनुभव और निर्देशन की वजह से मुझे ही नहीं, फिल्म के हर कलाकार को व्यक्तित्व निखारने के लिहाज से बेशकीमती फायदा हुआ है. मेघना ने कुछ प्रसंगों में एसिड हमले की पीडि़त लड़कियों को भी भूमिका दी है. उन लड़कियों ने भी बेहतरीन काम कर दिखाया है. काम को लेकर उसका पैशन लाजवाब है और वह आपको फिल्म में नजर आएगा.
'छपाक' के बाद आपके जीवन में क्या कुछ बदला?
निश्चय ही. पिछले 12 साल से मैं बॉलीवुड में काम कर रही हूं. लेकिन, मालती की भूमिका बेहद चुनौतीपूर्ण है. मेरे जीवन में इसने सकारात्मकता ला दी है. एसिड हमले की पीड़ितों को मुसीबत के दौरान भी जिंदगी के लिए संघर्ष करते हुए देखने से पता चलता है कि हमारा जीवन कितना आसान रहा है. इन एसिड हमला पीड़ितों को आधार की नहीं, मदद की जरूरत है. अब भी कई एसिड हमला पीड़ितों की मदद के लिए हाथ नहीं उठे हैं. देश में पुरुषवादी मनोवृत्ति बदलने की अत्यंत आवश्यकता है. हमारा समाज अब भी ऐसे मामलों में आने आने को तैयार नहीं है. मेरी राय में 'छपाक' एक प्रयास है, जिससे पुरुषवादी मानसिकता का दुष्चक्र तोड़ने और उस पर अंकुश लगाने में निश्चित ही मदद मिलेगी. -
प्रोस्थैटिक मेकअप करने के बाद जब आपने पहली बार स्वयं का चेहर आइने में देखा तो कैसा लगा?
प्रोस्थैटिक मेकअप करना अपने आप में संयम का काम है. इस दौरान कलाकर को लगातार घंटों तक एक ही जगह पर जमकर बैठना पड़ता है. अत: अभिनेता को धैर्य रखकर काम करना होता है. फिल्म में एसिड पीड़िता का चेहरा दिखाना था. फिल्म से जुड़े और सेट पर मौजूद हर एक व्यक्ति में यही उत्सुकता थी कि दीपिका इस रूप में कैसी दिखेगी. लेकिन मेकअप करने के बाद जब मैंने पहली मर्तबा अपना चेहरा आइने में देखा तो मुझे कुछ अलग प्रतीत नहीं हुआ. मैंने यह भूमिका स्वीकार की है. अब तन-मन लगाकर पूर्ण एकाग्रता से मुझे इस किरदार को साकार करना है और प्रोस्थैटिक मेकअप इसका एक हिस्सा है. इन्हीं विचारों के साथ मैं लगातार अपने आप को तैयार करती रही और आगे बढ़ती गई. हां! शूटिंग के अंतिम दिन मैंने इस प्रोस्थैटिक मेकअप को जला दिया. क्योंकि मेरा मानना था कि जिस कारण से मुझे यह मेकअप करना पड़ा, ऐसी एसिड पीड़िता देश में एक भी नहीं होनी चाहिए.