मृणाल सेन की कल्ट फिल्म भुवन सोम से है अमिताभ बच्चन का ये खास कनेक्शन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 30, 2018 05:25 PM2018-12-30T17:25:36+5:302018-12-30T17:25:36+5:30
मृणाल सेन को भारत सरकार ने 1981 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण, साल 2005 में पद्म विभूषण एवं दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।
दादासाहब फाल्के पुरस्कार और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता निर्देशक मृणाल सेन का रविवार को 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। मृणाल सेन को उनकी कलात्मक फिल्मों और भारत में न्यू वेव सिनेमा के प्रवर्तकों में शुमार किया जाता है।
मृणाल सेन के बारे में कम ही लोग जानते हैं कि उनकी 1969 में आई फिल्म भुवन सोम से महानायक अमिताभ बच्चन ने अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था। भुवन सोम में अमिताभ बच्चन नज़र नहीं आये थे बल्कि उनकी आवाज़ का इस्तेमाल किया गया था। इस फिल्म में उन्हें केवल 'अमिताभ' के रूप में क्रेडिट दिया गया था।
अभिनेता के रूप में अमिताभ बच्चन की डेब्यू फिल्म थी 1969 में ही आई सात हिन्दुस्तानी। सात हिन्दुस्तानी का निर्देशन ख्वाजा अहमद अब्बास ने किया था।
मृणाल सेन के निधन के बाद फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। बता दें, मृणाल सेन का जन्म 14 मई, 1923 में फरीदपुर नामक शहर (जो अब बंगला देश में है) में हुआ था।
बताया जाता है कि मृणाल सेन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद फरीदपुर को अलविदा कह दिया था। इसके उन्होंने कोलकाता में पढ़ाई की। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की। वह भौतिक शास्त्र के विद्यार्थी थे।
उन्होंने 1955 में हली फीचर फिल्म 'रातभोर' बनाई थी। उनकी अगली फिल्म 'नील आकाशेर नीचे' ने उनको स्थानीय पहचान दी और उनकी तीसरी फिल्म 'बाइशे श्रावण' ने उनको अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि दिलाई।
इसके अलावा उन्होंने पुनश्च, अवशेष, प्रतिनिधि, अकाश कुसुम, मतीरा मनीषा, भुवन शोम, इच्छा पुराण, इंटरव्यू, एक अधूरी कहानी, कलकत्ता 1971, बड़ारिक, कोरस, मृगया, ओका उरी कथा, परसुराम जैसी तमाम फिल्मों को बनाया। हालांकि उनकी अधिकतर फिल्में बांग्ला भाषा में हैं।
मृणाल सेन के काम को ऐसे भी देखा जा सकता है कि उन्हें कई अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। उन्हें भारत सरकार ने 1981 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण, साल 2005 में पद्म विभूषण एवं दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया। भारत सरकार के अलावा उन्हें फ्रांस सरकार व रशियन सरकार ने भी सम्मानित किया था। उनको फ्रांस सरकार ने कमान्डर ऑफ द ऑर्ट ऑफ ऑर्ट एंडलेटर्स उपाधि से नवाजा, जबकि रशियन सरकार ने ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप से सम्मानित किया था।