चीन से अच्छे संबंध की कवायद होगी कारगर?

By शोभना जैन | Updated: September 6, 2025 07:19 IST2025-09-06T07:18:20+5:302025-09-06T07:19:33+5:30

लेकिन दोनों देशों के बीच  सीमा विवाद के जटिल मुद्दे के अलावा असहमति के अनेक मुद्दे  व चुनौतियां हैं जिन पर भारत चीन से अपनी चिंताएं और विरोध जताता रहा है.

Will effort to maintain good relations with China be effective | चीन से अच्छे संबंध की कवायद होगी कारगर?

चीन से अच्छे संबंध की कवायद होगी कारगर?

अमेरिका के  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प  द्वारा भारत के खिलाफ पचास प्रतिशत का टैरिफ फरमान जारी किए जाने के चंद दिनों के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शंघाई सहयोग परिषद में गर्मजोशी से भरी मुलाकात की तस्वीरें सामने आईं. सवाल पूछे जाने लगे कि क्या भारत ने अमेरिका को संदेश दिया है कि वह टैरिफ और अमेरिका के आगे घुटने टेकने की बजाय चीन और रूस जैसे ताकतवर देशों के साथ नजदीकियां बढ़ाने को अपने राष्ट्रीय हित के लिए बेहतर विकल्प मानता है?

एससीओ की बैठक में हिस्सेदारी भारत की विदेश नीति में क्या कुछ बदलाव की ओर इशारा कर रही है? एससीओ यूरेशिया देशों का एक समूह है जो यूरोपीय देशों को एकजुटता से स्पर्धा देने के लिए बना. हालांकि यह सच है कि एक वर्ष पूर्व चीन की भारत के खिलाफ निरंतर जारी आक्रामकता के चलते दोनों शिखर नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता और पुतिन के साथ अनौपचारिक माहौल में ठहाके लगाने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था.

पीएम मोदी ने  इस मुलाकात को लाभप्रद बताते हुए संबंधों को आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता से आगे ले जाने पर जोर दिया. वहीं जिनपिंग ने कहा कि ड्रैगन और हाथी को एक साथ आना चाहिए.  

वर्तमान परिस्थितियों में चीन अपने साथ संबंधों का उपयोग रणनीतिक संतुलन साधने के लिए कर रहा है. वह भारत के साथ शांति वार्ता को तैयार है, क्योंकि उसकी दक्षिण-पश्चिमी सीमा की स्थिति और भारतीय बाजार तक पहुंच समग्र चीन-अमेरिका संबंधों के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है. इसके अलावा, चीन कई दूसरे मोर्चों पर भारत के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है, जैसे चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा फिर से शुरू करना, चीन और भारत के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करना, व्यापार और निवेश से जुड़ी नई आर्थिक सहयोग परियोजना शुरू करना आदि.

इन मुलाकातों को रिश्तों को नए सिरे से जोड़ने की कोशिश तो माना ही जा सकता है, सीमा विवाद को सुलझाने के साथ-साथ  इसे एक नई शुरुआत  की दिशा की ओर बढ़ता कदम भी माना जा सकता है. लेकिन दोनों देशों के बीच  सीमा विवाद के जटिल मुद्दे के अलावा असहमति के अनेक मुद्दे  व चुनौतियां हैं जिन पर भारत चीन से अपनी चिंताएं और विरोध जताता रहा है.

देखना होगा कि यह नई सहमति आगे कैसे विकसित होती है. वैसे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में केवल स्थायी राष्ट्रीय हित ही प्रमुख होते हैं. देखना  होगा कि अब भारत और चीन सीमा विवादों के अतीत से उलट अपने संबंधों को नया स्वरूप देने पर जो जोर दे रहे हैं, उसे कितनी सफलता मिलेगी.

Web Title: Will effort to maintain good relations with China be effective

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