क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपनी वीजा नीति बदलेंगे?
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 6, 2018 06:00 AM2018-09-06T06:00:00+5:302018-09-06T06:00:00+5:30
जैसा कि हम जानते हैं डोनाल्ड ट्रम्प ने संपूर्ण आव्रजन नीति में बदलाव की घोषणा की थी। हालांकि डोनाल्ड प्रशासन की ओर से पिछले जून में बयान दिया गया था कि एच1 तथा एच 4 वीजा में तत्काल बदलाव नहीं किया जा रहा है। किंतु ऐसा होता तो इन कंपनियों को सामने नहीं आना पड़ता।
अवधेश कुमार, जाने-माने पत्रकार
यह समाचार निश्चय ही उन लोगों को सुकून दे सकता है जो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आव्रजन नीति को लेकर चिंतित थे। अमेरिका की प्रमुख कंपनियों ने ट्रम्प की एच-1बी वीजा सहित अन्य नीतियों का विरोध किया है। बिजनेस राउंडटेबल के सदस्यों ने अमेरिका की गृह मंत्री क्रिस्टीन नीलसन को लिखे पत्र में कहा है कि अमेरिकी आव्रजन नीति के असंगत होने की वजह से कानून का अनुपालन करने वाले कर्मचारियों में बेचैनी है।
इस पत्र पर एपल के सीईओ टिम कुक, पेप्सिको की चेयरमैन एवं सीईओ इंद्रा नूयी, मास्टरकार्ड के अध्यक्ष एवं सीईओ अजय बंगा, सिस्को सिस्टम्स के चेयरमैन एवं सीईओ चुक रॉबिंस जैसे लोगों के हस्ताक्षर हैं। बिजनेस राउंडटेबल अमेरिका की प्रमुख कंपनियों के मुख्य कार्यकारियों का संघ है। इसने साफ कहा है कि अमेरिकी सरकार की अस्थिर कार्रवाई और अनिश्चितता की वजह से आर्थिक विकास प्रभावित होगा, अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता खत्म हो जाएगी। इनके अनुसार एच-1बी वीजा समेत आव्रजन की अन्य मौजूदा नीतियों से अमेरिकी कंपनियों की स्पर्धा को गहरा आघात लगेगा।
जैसा कि हम जानते हैं डोनाल्ड ट्रम्प ने संपूर्ण आव्रजन नीति में बदलाव की घोषणा की थी। हालांकि डोनाल्ड प्रशासन की ओर से पिछले जून में बयान दिया गया था कि एच1 तथा एच 4 वीजा में तत्काल बदलाव नहीं किया जा रहा है। किंतु ऐसा होता तो इन कंपनियों को सामने नहीं आना पड़ता।
ये साफ कह रहे हैं कि अमेरिका में ग्रीन कार्ड की इतनी कमी है कि कई बार कर्मचारी दशकों तक आव्रजन प्रक्रिया में ही फंसे रहते हैं। उनका कहना है कि वर्तमान में कंपनियां यह तक नहीं जानतीं कि जिस वीजा का अनुमोदन पिछले महीने किया गया था, उसी की अवधि बढ़ाने संबंधी आवेदन अगले महीने स्वीकार किया जाएगा या नहीं।
इन्होंने एच-1बी वीजा के तहत जीवनसाथी को अमेरिका में रहने देने संबंधी नियमों में तत्काल बदलाव की मांग की है। कंपनियों का कहना है कि परिवार के साथ नहीं रहने वाले कर्मचारी आखिरकार अन्य देशों में नौकरी की तलाश करते हैं, जिसका खामियाजा घरेलू कंपनियों को भुगतना पड़ रहा है। ट्रम्प प्रशासन की बाय अमेरिकी, हायर अमेरिकी नीति किसी से छिपी नहीं है, लेकिन उम्मीद करनी चाहिए कि अमेरिकी कंपनियों के सामने आने के बाद ट्रम्प प्रशासन आव्रजन नीति पर पुनर्विचार करेगा।