विजय दर्डा का ब्लॉग: चीन के लिए बड़े काम की चीज है मसूद अजहर!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 18, 2019 07:20 AM2019-03-18T07:20:30+5:302019-03-18T07:20:30+5:30

मसूद को बचाने में उसके कई हित हैं। सबसे पहली बात‘दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त’! चीन ने हमेशा ही भारत के साथ दुश्मन जैसा बर्ताव किया है। पाकिस्तान भी भारत से दुश्मन जैसा ही व्यवहार करता है।

Vijay Darda's blog: Masood Azhar is important for China | विजय दर्डा का ब्लॉग: चीन के लिए बड़े काम की चीज है मसूद अजहर!

विजय दर्डा का ब्लॉग: चीन के लिए बड़े काम की चीज है मसूद अजहर!

भारत में कुछ लोग बेवजह उम्मीद लगाए बैठे थे कि इस बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने में चीन साथ दे सकता है। दरअसल ऐसी कल्पना करना भी मुश्किल है। चीन ने वही किया जो उसे करना था। उसे इस बात से कोई मतलब नहीं है कि मसूद अजहर आतंकवाद का इस वक्त बड़ा चेहरा है और उस पर नकेल कसना बहुत जरूरी है। चीन को मतलब है अपने हितों से और इसीलिए चीन ने मसूद को लगातार चौथी बार बचाया है। मसूद पाकिस्तान का लाडला है।

मसूद को बचाने में उसके कई हित हैं। सबसे पहली बात‘दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त’! चीन ने हमेशा ही भारत के साथ दुश्मन जैसा बर्ताव किया है। पाकिस्तान भी भारत से दुश्मन जैसा ही व्यवहार करता है। इस तरह से चीन और पाकिस्तान दोस्त हो गए। यह दोस्ती आज नहीं पनपी है। यह शुरू से ही है। 1950 के दशक में चीन ने काराकोरम र्दे को चौड़ा किया था ताकि पाकिस्तान से आर्थिक और सामरिक व्यवहार बढ़ाया जा सके। मौजूदा दौर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर वही सड़क है। इधर 1963 में पाकिस्तान ने कश्मीर के हड़पे गए इलाके (पीओके) में से हुंजा गिलगित का इलाका चीन को दे दिया। इस इलाके को ट्रांस काराकोरम ट्रैक भी कहते हैं।

जाहिर सी बात है कि चीन हमेशा से इस कोशिश में रहा कि पाकिस्तान को अपने पाले में रखे ताकि भारत को परेशान किया जा सके। उसका दर्द यह भी है कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और उनकी निर्वासित सरकार को भारत ने अपने यहां शरण क्यों दे रखी है? बहरहाल चीन के साथ दोस्ती में पाकिस्तान और आगे बढ़ पाता, इसी बीच में अमेरिका कूद पड़ा। अमेरिका को चीन से भी परेशानी थी और भारत से भी क्योंकि भारत का गठजोड़ सोवियत संघ से था। सोवियत संघ और अमेरिका में तब शीत युद्ध की स्थिति थी। अमेरिका ने डॉलर की बरसात कर दी और पाकिस्तान की बल्ले-बल्ले हो गई। पाक-अमेरिका प्यार परवान चढ़ने लगा। आज भी पाकिस्तान पर अमेरिका का 60 अरब डॉलर बकाया है। जब अमेरिका ने हाथ खींचा तो पाकिस्तान तत्काल चीन की गोद में जा बैठा। चीन तो तैयार बैठा था। भारत को परेशान करने के मामले में दोनों के रिश्ते मधुर बने ही हुए थे।
 
अब जरा गौर करिए इस दोस्ती में  मसूद अजहर की एंट्री पर। इस पाकिस्तानी आतंकी को 1994 में भारत में गिरफ्तार किया गया लेकिन भाजपा की सरकार ने एक विमान अपहरण के बाद घुटने टेकते हुए उसे 1999 में अफगानिस्तान पहुंचा दिया। इसके बाद तो वह न केवल आतंकियों के बीच हीरो बन गया बल्कि पाकिस्तानी सेना का चहेता भी बन गया। तहरीक-ए-तालिबान ने जब पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोला तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने बहुत से आतंकियों की एंट्री मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद में करा दी। जाहिर सी बात है कि मसूद को पाकिस्तान ने पाला ही इसलिए है कि वह भारत में आतंक मचाए। इसे हथियार भी पाक सेना ही मुहैया कराती है। 

चीन यह अच्छी तरह जानता है कि मसूद का संगठन खूंखार भी है और इस समय बहुत ताकतवर भी! चीन को उसके समर्थन की बड़ी जरूरत भी है। दरअसल चीन ने अपने शिनजियांग प्रांत में चरमपंथ पर काबू पाने के अभियान के तहत उइगर (वीगर) मुसलमानों की जिंदगी तबाह कर रखी है। वहां मुसलमान लंबी दाढ़ी नहीं रख सकते, सार्वजनिक स्थानों पर बुरका नहीं पहना जा सकता। 2014 में तो रमजान में रोजे रखने पर रोक लगा दी गई। कुरान जमा कराने को कहा गया। स्थिति यह है कि जिन लोगों पर भी धार्मिक होने की शंका हुई उन्हें चीनी सेना ने पकड़ कर जेल में डाल दिया। इन जेलों को चीन सुधार गृह कहता है। लाखों मुसलमान इन जेलों में बंद हैं लेकिन आश्चर्यजनक है कि कोई भी मुस्लिम देश उइगर मुसलमानों के लिए आवाज बुलंद नहीं कर रहा है। चीन को डर सताता है कि यदि मसूद अजहर को छेड़ा तो वह शिनजियांग प्रांत में उपद्रव मचा सकता है। कश्मीर का राग अलापने वाले मसूद अजहर, हाफिज सईद  जैसे आतंकी आकाओं और अन्य आतंकवादी संगठनों ने उइगर मुसलमानों पर होने वाले जुल्म को लेकर चुप्पी साध रखी है।

चीन को यह डर भी है कि यदि उसने मसूद का साथ नहीं दिया तो इकोनॉमिक कॉरिडोर में निवेश किया गया 46 बिलियन डॉलर संकट में फंस जाएगा। मसूद उसे पाकिस्तान में काम नहीं करने देगा। आतंकवाद चूंकि पाकिस्तान की सुरक्षा नीति का हिस्सा है इसलिए फौज और वहां की खुफिया एजेंसियां भी चीन के काम नहीं आएंगी। यही कारण है कि चीन ने मसूद को गोद में बिठा लिया है।

Web Title: Vijay Darda's blog: Masood Azhar is important for China

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