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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अमेरिका के जाहिर हुए असली इरादे

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 18, 2021 11:57 IST

अमेरिकी विदेश मंत्री व रक्षा मंत्री जापान इसीलिए गए हैं कि उन्हें वहां जाकर चीन पर दबाव पैदा करना है. उसे यह बताना है कि चौगुटे में जो ढीली-पोली बातें हुई हैं, वे अपनी जगह ठीक हैं लेकिन अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसका घेराव करने पर आमादा है.

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(क्वाड) चौगुटे की असलियत जल्दी ही सामने आ गई. चौगुटे के चारों राष्ट्रों के नेताओं ने अपने-अपने भाषण में चीन का नाम तक नहीं लिया था और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक लचीले और समावेशी संगठन की बात कही थी लेकिन मंगलवार को जापान पहुंचे अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड आस्टिन ने चीन के विरुद्ध गोलंदाजी शुरू कर दी.

यहां पहला सवाल तो यही है कि अभी जो बाइडेन-प्रशासन को सत्ता में आए ढाई महीने ही हुए हैं लेकिन उसके विदेश और रक्षा मंत्री जापान कैसे पहुंच गए. उन्होंने अपनी पहली विदेश-यात्रा के लिए जापान को ही क्यों चुना है? और दोनों वहां साथ-साथ गए हैं?

वे वहां इसीलिए गए हैं कि उन्हें वहां जाकर चीन पर दबाव पैदा करना है. उसे यह बताना है कि चौगुटे में जो ढीली-पोली बातें हुई हैं, वे अपनी जगह ठीक हैं लेकिन अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसका घेराव करने पर आमादा है. जापानी मंत्रियों के साथ जारी किए गए अपने संयुक्त वक्तव्य में उन्होंने चीन का नाम साफ-साफ लिया और कहा कि उसका बर्ताव बहुत ही आक्रामक है.

अपने पड़ोसी देशों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसने सैनिक, आर्थिक, राजनीतिक और तकनीकी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. जापान के सेंकाको द्वीप और दक्षिण चीनी समुद्र में अन्य देशों के साथ चीन की दादागीरी को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा है कि ‘यदि चीन हिंसा और आक्रमण पर उतारू हो गया तो हम उसे पीछे धकेल देंगे.’

उन्होंने हांगकांग और ताइवान में चीन के अत्याचारों का भी जिक्र किया. तिब्बत और सिंक्यांग में चल रहे दमन पर भी उन्होंने उंगली उठाई. ब्लिंकन ने नॉर्थ कोरिया के परमाणु-निरस्त्नीकरण की बात को तो दोहराया ही, उन्होंने म्यांमार में फौजी बल प्रयोग की भी निंदा की. ये दोनों अमेरिकी मंत्री जापान के बाद अब दक्षिण-कोरिया भी जाएंगे.

जाहिर है कि अमेरिका इन चार राष्ट्रों के इस गुट में कई अन्य नए सदस्य-राष्ट्रों को भी जोड़ना चाहेगा लेकिन यह तो स्पष्ट ही है कि उक्त सभी मुद्दों पर भारत की राय बिल्कुल वैसी ही नहीं है, जैसी कि अमेरिका की है. यदि भारत अमेरिका की कुछ रायों से कहीं-कहीं सहमत भी है तो भी वह उसे सार्वजनिक तौर पर व्यक्त नहीं करता है. जैसे म्यांमार में फौजी सत्ता-पलट और नॉर्थ कोरिया के बारे में वह तटस्थ है.

अब अमेरिकी रक्षा मंत्री आस्टिन भारत भी आ रहे हैं. वे भारत को मनाएंगे कि वह चीन के खिलाफ थोड़ा-बहुत जहर जरूर उगले. लेकिन गलवान घाटी मुठभेड़ के बावजूद भारत काफी संयम से पेश आता रहा है. और अमेरिका मुठभेड़ की कितनी ही बात कहे, वह अलास्का में बैठकर चीन से धंधे की बात मजे से कर रहा है. चौगुटे के पीछे अमेरिका के असली इरादे इन दोनों मंत्रियों ने साफ कर दिए हैं. भारत को सावधान रहना होगा.

टॅग्स :अमेरिकाचीनजापानभारतजो बाइडन
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