लाइव न्यूज़ :

अंतरिक्ष से इंटरनेट सेवा का व्यापार

By अभिषेक कुमार सिंह | Updated: March 18, 2025 06:51 IST

अनुमान है कि भारत में इसके लिए ग्राहकों को साढ़े तीन से चार हजार रुपए प्रतिमाह चुकाने पड़ सकते हैं.

Open in App

दस साल पहले एक आरटीआई से हुए खुलासे में पता चला था कि भारत में जहां एक ओर आम लोगों को इंटरनेट की अधिकतम 2 एमबीपीएस (मेगाबाइट प्रति सेकेंड) की गति मिल पा रही थी, तो वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री कार्यालय में यह गति 34 एमबीपीएस थी. विनोद रंगनाथन की ओर से दायर आरटीआई पर मिले जवाब से पता चला था कि नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर इसकी तकनीकी व्यवस्था करता है ताकि प्रधानमंत्री कार्यालय के महत्वपूर्ण कार्यों में इंटरनेट की धीमी गति कोई बाधा न बने.

हालांकि उस समय इसे लेकर कुछ आपत्तियां प्रकट की गई थीं कि आखिर देश का आम नागरिक अच्छी गति और कनेक्टिविटी वाला इंटरनेट कनेक्शन क्यों हासिल नहीं कर पाता है. इस प्रसंग को अगर इधर देश की दो निजी दूरसंचार कंपनियों (एयरटेल और जियो रिलायंस) के अरबपति कारोबारी एलन मस्क की कंपनी- स्टारलिंक के साथ हुए समझौते की नजर से देखें तो लगता है कि तेज गति वाला इंटरनेट करोड़ों लोगों की पहुंच में आने वाला है.

पारंपरिक तरीके की बजाय अंतरिक्ष में तैनात हजारों उपग्रहों के नेटवर्क से मिलने वाले तेज गति वाले इस इंटरनेट से पूरा नजारा ही बदलने वाला है. पर क्या इससे इंटरनेट की लागत और कीमतों में इतना इजाफा नहीं हो जाएगा कि वह आम लोगों की पहुंच से ही बाहर चला जाए?

मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ (एलईओ) सैटेलाइट तकनीक के जरिए इंटरनेट मुहैया कराने के वास्ते अंतरिक्ष में सात हजार उपग्रहों का संजाल बिछा रखा है.  अनुमान है कि भारत में इसके लिए ग्राहकों को साढ़े तीन से चार हजार रुपए प्रतिमाह चुकाने पड़ सकते हैं. इस आकलन का आधार पड़ोसी देश भूटान में स्टारलिंक द्वारा दी जा रही सेवाओं का शुल्क है.

वहां 23 एमबीपीएस की गति वाले इंटरनेट के लिए हर महीने 3 हजार नोंग्त्रुम (भूटानी मुद्रा) चुकाने होते हैं, जबकि 110 एमबीपीएस की गति वाले इंटरनेट कनेक्शन के लिए 4200 नोंग्त्रुम चुकाने होते हैं. भारतीय रुपए और भूटानी मुद्रा नोंग्त्रुम की कीमत लगभग एक जैसी है.

ऐसे में प्रश्न है कि पहले से ही महंगी हो चुकी इंटरनेट सेवाओं से त्रस्त हमारे उपभोक्ता क्या तेज गति वाले इंटरनेट के लिए और ज्यादा रकम चुका सकते हैं. इंटरनेट की अच्छी गति पाना हर नागरिक का अधिकार हो सकता है, लेकिन यहां ध्यान रखना होगा कि हमारे देश में निजी दूरसंचार कंपनियों ने एकाधिकार के बल पर उपभोक्ताओं से काफी ज्यादा शुल्क लेना शुरू कर दिया है.

आज की तारीख में किसी भी नेटवर्क पर दो या तीन सौ रुपए प्रतिमाह से नीचे का कोई प्लान अमूमन नहीं है और उस पर भी समस्या यह है कि ऐसे ज्यादातर प्लान अधिकतम 28 दिनों के लिए ही होते हैं. जबकि पहले सौ रुपए का रिचार्ज कराने पर बहुत से ग्राहक साल भर तक अपनी जरूरत के मुताबिक डाटा या कॉल का इस्तेमाल कर सकते थे.  

अगर इन सवालों को हल किए बगैर देश की गरीब और मध्यवर्गीय जनता को अत्यधिक महंगे सैटेलाइट ब्रॉडबैंड वाला इंटरनेट कनेक्शन लेने को बाध्य किया जाता है तो आने वाले वक्त में लोग फिर से इंटरनेट-विहीन दिनचर्या की ओर मुड़ सकते हैं, भले ही उन्हें इसका कोई भी खामियाजा क्यों न उठाना पड़े.

टॅग्स :SpaceXInternet
Open in App

संबंधित खबरें

भारतइंटरनेट की दुनिया के जोखिमों से भी सचेत रहें

भारत'123456' से 'India@123' तक..., 2025 इंटरनेट के सबसे कॉमन पासवर्ड हुए लीक

भारतUP News: दशहरा उत्सव से पहले बरेली मंडल में हाई अलर्ट, बरेली में इंटरनेट सेवा और 48 घंटे के लिए बंद

टेकमेनियाएआई की सफलताएं शानदार, लेकिन सतर्क भी रहें!

भारतAxiom 4 Mission: शुभांशु शुक्ला आज ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से पृथ्वी पर लौटेंगे, कब, कहां और कैसे देखें Live

विश्व अधिक खबरें

विश्वअड़चनों के बीच रूस के साथ संतुलन साधने की कवायद

विश्वलेफ्ट और राइट में उलझा यूरोप किधर जाएगा?

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए

विश्वएलन मस्क की चिंता और युद्ध की विभीषिका

विश्व'इमरान खान ज़िंदा और ठीक हैं': पाकिस्तान के पूर्व पीएम की बहन ने रावलपिंडी की अदियाला जेल में उनसे मिलने के बाद दिया बयान | VIDEO