रहीस सिंह का ब्लॉग: चीन को बेनकाब करने के लिए पूरी दुनिया को होना होगा एकजुट

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 28, 2020 03:16 PM2020-04-28T15:16:55+5:302020-04-28T15:16:55+5:30

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) ने प्रेस की स्वतंत्रता संबंधी इंडेक्स तैयारकरते समय कई सवाल पूछ रही थी, जिसमें भी पूछा गया कि क्या दुनिया चीन की गलती की सजा भुगत रही है?

The whole world will have to be united to expose China on coronavirus | रहीस सिंह का ब्लॉग: चीन को बेनकाब करने के लिए पूरी दुनिया को होना होगा एकजुट

चीन वही जानकारी प्रेस के जरिए देता है जो वह देना चाहता है (फाइल फोटो)

Highlightsचीन को काले रंग से दिखाया गया है, जिसका मतलब है कि चीन में हालात ‘बेहद खराब’हैं।दिसंबर 2019 में वुहान में जब कुछ डॉक्टर्स ने इस वायरस के बारे में बताना चाहा तो प्रशासन ने न सिर्फ उन्हें रोका बल्कि उन्हें अफवाहें फैलाने के आरोप में प्रताड़ित भी किया। 

किसी देश की गलती पूरी दुनिया भुगते यह उस देश का अपराध है। इस विषय पर पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने एक तरह से जनमत जुटाने की कोशिश की। उसका यह कदम सही है लेकिन तब, जब दुनिया भी इस विषय पर गंभीरता से विचार करे और प्रत्युत्तर में कार्रवाई करने के निर्णय के स्तर तक पहुंचे।

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) नामक संस्था प्रेस की स्वतंत्रता संबंधी इंडेक्स तैयार करते समय यह पूछ रही है कि यह क्या दुनिया चीन की गलती की सजा भुगत रही है? क्या कोरोना वायरस पर चीन ने सूचनाएं छिपाई हैं? क्या उसने प्रेस को रोका है? और इसी वजह से आज पूरी दुनिया इस आपदा का शिकार हुई है? हालांकि इस संस्था ने तो एक दृष्टि से अपना फैसला सुना दिया है क्योंकि उसने प्रेस की स्वतंत्रता के हालात पर दुनिया का जो मानचित्र जारी किया है और प्रेस की परिस्थिति के हिसाब से देशों और क्षेत्रों को अलग-अलग रंगों से दर्शाया गया है। 

ये रंग हैं- सफेद, पीला, गाढ़ा पीला, लाल और काला। अगर नार्डिक देशों को छोड़ दें तो कोई भी देश सफेद रंग का प्रदर्शन नहीं करता इसलिए हम यह मानकर चल सकते हैं कि प्रेस की स्वतंत्र हैसियत के मामले में एक्सीलेंट इन देशों के अतिरिक्त और कहीं नहीं है। अधिकांश क्षेत्र लाल रंग से दर्शाया गया है जिसका मतलब है कि ये देश प्रेस की स्वतंत्रता की दृष्टि से ‘खराब’ स्थिति वाले हैं। 

मगर चीन को काले रंग से दिखाया गया है, जिसका मतलब है कि चीन में हालात ‘बेहद खराब’हैं। मुङो लगता है कि चीन में प्रेस की हैसियत के बारे में जो भी इस संस्था का अध्ययन है, उस पर किसी को कोई संशय नहीं है लेकिन उसकी वैश्विक औसत हैसियत भी कोई अच्छी नहीं है यह चिंता का विषय होना चाहिए।

रही बात चीन की तो वह वही जानकारी प्रेस के जरिए देता है जो वह देना चाहता है। उदाहरण के तौर पर 11 मार्च 2020 को जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को महामारी घोषित किया तो उस दिन चीन ने वीचैट जैसे अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स और समाचार देने वाले एप्स पर इस वायरस से जुड़े बहुत सारे कीवर्डस को सेंसर कर दिया ताकि लोग इस बारे में ऑनलाइन बात न कर सकें। यही नहीं दिसंबर 2019 में वुहान में जब कुछ डॉक्टर्स ने इस वायरस के बारे में बताना चाहा तो प्रशासन ने न सिर्फ उन्हें रोका बल्कि उन्हें अफवाहें फैलाने के आरोप में प्रताड़ित भी किया। 

Web Title: The whole world will have to be united to expose China on coronavirus

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