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Syria Bashar al-Assad: सीरिया में बशर की सत्ता के पतन के बाद आतंकवाद बढ़ने का खतरा, संपूर्ण विश्व के आम लोग हैरत...

By अवधेश कुमार | Updated: December 17, 2024 05:21 IST

Syria Bashar al-Assad: आम लोगों को भले आश्चर्यजनक लगे लेकिन इसकी संभावना पूरी तरह दिखाई देने लगी थी.

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ठळक मुद्देयह न हमारी लड़ाई है और न सीरिया हमारा कभी दोस्त रहा है.जो बाइडेन प्रशासन की नीति इससे भिन्न है. ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद क्या होगा कहना कठिन है.

Syria Bashar al-Assad: सीरिया में बशर अल असद की सत्ता के पतन पर संपूर्ण विश्व के आम लोग हैरत में होंगे. यद्यपि वहां पिछले डेढ़ दशक से गृहयुद्ध चल रहा था लेकिन इसका आभास नहीं था कि अचानक सब कुछ पलट जाएगा. पिछले ही दिनों समाचार आया कि सीरिया के सबसे बड़े शहर अलेप्पो सहित अनेक शहरों पर उसका नियंत्रण होता जा रहा है. 8 दिसंबर को अंततः राजधानी दमिश्क भी उसके कब्जे में आ गया. इतना कहा जा सकता है कि आम लोगों को भले आश्चर्यजनक लगे लेकिन इसकी संभावना पूरी तरह दिखाई देने लगी थी.

अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पष्ट कहा कि सीरिया में हो रही घटनाओं से हमारा कोई मतलब नहीं होना चाहिए क्योंकि यह न हमारी लड़ाई है और न सीरिया हमारा कभी दोस्त रहा है. जो बाइडेन प्रशासन की नीति इससे भिन्न है. अमेरिका इस पूरे संघर्ष के मूल में था और ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद क्या होगा कहना कठिन है.

पर अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद ने सोमवार को  संकेत दिया कि वह  सीरिया को शांत नहीं रहने देंगे. उधर  हयात तहरीर अल-शाम के प्रमुख अबू मोहम्मद अल जुलानी ने तो अमेरिकी टीवी सीएनएन से बातचीत में कहा है कि हमें बसर अल असद को सत्ता से हटाने का काम दिया गया था और यही हमारा लक्ष्य था. इसके पहले भी वह सीएनएन पर आ चुका था.

सीएनएन टेलीविजन पर उसका साक्षात्कार होना ही बड़ी बात थी. एचटीएस पहले ओसामा बिन लादेन द्वारा स्थापित अलकायदा से जुड़ा था. इसका लक्ष्य क्या हो सकता है यह बताने की आवश्यकता नहीं. ध्यान रखिए, जुलानी ने इराक में अमेरिका के विरुद्ध अलकायदा के आतंकवादी के रूप में ही संघर्ष किया था.

अमेरिका ने 2018 में एचटीएस को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर जुलानी पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा था. 2012 में बराक ओबामा के शासन काल में मान लिया गया था कि बसर अल असद का शासन खत्म होने ही वाला है. तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने इसकी घोषणा भी कर दी थी.

इसके बावजूद 12 वर्ष तक असद टिके रहे तो इसी कारण क्योंकि ईरान हिज्बुल्ला और रूस का उन्हें समर्थन मिलता रहा तथा आईएएस के कारण इसका खात्मा अमेरिका एवं यूरोपीय देशों के लिए प्रमुख लक्ष्य हो गया. लेकिन जब इजरायल के संघर्ष में हिज्बुल्ला लगभग खत्म है, ईरान इस समय सीधे संघर्ष में उलझने की स्थिति नहीं में नहीं और रूस यूक्रेन में फंसा हुआ है तो फिर बशर अल असद का बचना कठिन था. वैसे बशर अल असद का शासन बहुत ज्यादा लोकप्रिय भी नहीं था. 50 वर्षों तक उनके परिवार के शासन में सीरिया अरब देशों से काफी पीछे चला गया.

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