हरीश गुप्ता का ब्लॉग: मोदी के नक्शेकदम पर चल रहे हैं सुनक!

By हरीश गुप्ता | Published: September 14, 2023 09:02 AM2023-09-14T09:02:22+5:302023-09-14T09:02:46+5:30

दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने 2015 में ब्रिटिश सांसद के रूप में भगवद्गीता के नाम पर शपथ ली थी और उनके हिंदू होने को लेकर इंग्लैंड में कोई विवाद नहीं है.

Rishi Sunak is following PM Modi's footsteps | हरीश गुप्ता का ब्लॉग: मोदी के नक्शेकदम पर चल रहे हैं सुनक!

हरीश गुप्ता का ब्लॉग: मोदी के नक्शेकदम पर चल रहे हैं सुनक!

ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी को आखिरकार भारत में नहीं तो इंग्लैंड में अपने नक्शेकदम पर चलने वाला कोई मिल गया है. कौन है यह! यह कोई और नहीं, बल्कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक हैं, जिन्हें अपने ‘रीति-रिवाजों का पालन करने वाला हिंदू’ होने पर गर्व है. वे अपने सुरक्षा घेरे को छोड़कर साधारण पोशाक में नंगे पैर मंदिरों में जाते हैं और यह कहकर अपनी भारतीय विरासत का दावा करते हैं कि वह भारत के दामाद हैं. 

दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने 2015 में ब्रिटिश सांसद के रूप में भगवद्गीता के नाम पर शपथ ली थी और उनके हिंदू होने को लेकर इंग्लैंड में कोई विवाद नहीं है. जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व नेताओं के बड़े जमावड़े के बीच, ब्रिटिश प्रधानमंत्री अपनी छाप छोड़ने के मामले में उन सभी से कहीं आगे थे. 

यदि मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार यूके का दौरा करके वाहवाही लूटी थी, तो उनके समकक्ष सुनक ने भी प्रशंसा अर्जित करके अपनी छाप छोड़ी है. सोशल मीडिया पर एक नजर डालने से पता चल जाएगा कि उन्होंने कितनी बड़ी पहचान बनाई है. हालांकि उन्होंने किसी सभा या सेमिनार को संबोधित नहीं किया, लेकिन अपने प्रवास के दौरान वह दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर लोगों से मिले. 

इस जोड़े की सादगी अद्भुत थी. सुनक ने भारत में लाखों पर्यावरणविदों का दिल जीत लिया जब उन्होंने जलवायु कोष के लिए 2 अरब डॉलर की सबसे बड़ी राशि की घोषणा की, जो भारत और अमेरिका की प्रतिबद्धता से भी अधिक थी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा आयोजित विश्व नेताओं के रात्रिभोज में कई महत्वपूर्ण क्षणों के फोटो सामने आए. 

बारिश में भीगी सुबह लाल छतरी के नीचे और नंगे पैर पूर्वी दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में उनकी यात्रा और ‘आरती’ में शामिल होने ने लोगों का दिल जीत लिया, ऐसी चीजें जिसके लिए पीएम मोदी जाने जाते हैं. इस जोड़े ने ‘यूके में मध्यम वर्ग की सफलता की कहानी’ का प्रतिनिधित्व किया और सुनक उस देश का दौरा करने वाले भारतीय विरासत के पहले प्रधानमंत्री बने जो एक पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश था. 

सुनक के साथ द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान मोदी यूपी के साथ व्यापार समझौते पर विचार कर रहे थे. लेकिन यह अब बाद में हो सकता है.

सरकार का गुगली सत्र!

18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र को बुलाने के मोदी सरकार के फैसले ने विपक्षी गठबंधन, इंडिया को आश्चर्यचकित कर दिया है. इंडिया के शीर्ष नेता एजेंडे के बारे में पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं और उन्होंने पीएम मोदी की कार्यशैली के लिए उन पर तीखा हमला बोला है. प्रारंभ में, उन्होंने मोदी द्वारा संविधान संशोधन लाकर देश को ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की ओर धकेलने की बात कही. 

उन्होंने सरकार द्वारा अपनी सिफारिशें देने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति बनाने पर एतराज जताया. दिलचस्प बात यह है कि समिति ने अब तक एक भी बैठक नहीं की है और यह स्पष्ट हो गया है कि सितंबर के विशेष सत्र के लिए यह योजना में शामिल नहीं है. 

इसके बाद विपक्ष ने मोदी के देश का नाम इंडिया से भारत करने के विचार पर प्रहार किया क्योंकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ‘भारत’ के राष्ट्रपति के रूप में जी20 मेहमानों को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया था. लेकिन तब सन्नाटा छा गया जब कई कानूनी दिग्गजों ने कहा कि यदि निमंत्रण हिंदी में है तो ‘भारत’ का उपयोग करना पूरी तरह से कानूनी है. संविधान में इंडिया अथवा भारत शब्द का प्रयोग करने का स्पष्ट प्रावधान है. 

उन्होंने विपक्ष के नेताओं से कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर भाजपा के जाल में नहीं फंसना चाहिए जब तक कि सरकार आधिकारिक तौर पर इंडिया नाम को संविधान से पूरी तरह से हटाने का प्रस्ताव नहीं कर देती. चूंकि इसके लिए संसद के दोनों सदनों में 2/3 बहुमत की आवश्यकता होगी, इसलिए सरकार इस तरह के संशोधन आखिरकार नहीं करेगी. जब विशेष सत्र की कल्पना की गई थी तो पीएम मोदी के मन में कई विचार थे. 

इसमें जी20 के सफल समापन और दुनिया में मोदी के ‘विश्व मित्र’ के रूप में उभरने सहित कई प्रस्ताव लाए जा सकते हैं और एक प्रस्ताव सफल चंद्र मिशन चंद्रयान-3 पर भी हो सकता है. कांग्रेस नेताओं ने घोषणा की है कि वे विशेष सत्र के दौरान मोदी के गुणगान की अनुमति नहीं देंगे और कार्यवाही का बहिष्कार भी कर सकते हैं.

विधानसभाओं की अवधि बढ़ेगी?

प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा या किसी भी राज्य विधानसभा को समय से पहले भंग करने के खिलाफ हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि वह लोकसभा चुनावों के साथ-साथ पांच राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल छह महीने बढ़ाकर मई 2024 तक करने पर विचार कर रहे हैं. ये राज्य हैं राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम और तेलंगाना. अप्रैल 2024 में ओडिशा, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल और सिक्किम राज्यों में चुनाव होने हैं. 

इसका मतलब है कि लोकसभा सहित नौ राज्यों में एक साथ चुनाव हो सकते हैं. एक विचार यह भी है कि भाजपा शासित दो राज्यों महाराष्ट्र और हरियाणा को भी शामिल कर कुल संख्या 11 राज्यों तक पहुंचाई जा सकती है.

झारखंड के लिए विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2024 में होने हैं और राज्य पहले से ही कठिन समय का सामना कर रहा है. लेकिन पांच राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाने के लिए पीएम मोदी को इन राज्यों में राजनीतिक आपातकाल लागू करना पड़ सकता है और ऐसा करना एक कठिन राजनीतिक फैसला होगा. क्या मोदी दांव लगाएंगे? लगता तो नहीं है.

Web Title: Rishi Sunak is following PM Modi's footsteps

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