PM Modi Guyana Visit: पीएम मोदी की गुयाना यात्रा क्यों है खास?
By विवेक शुक्ला | Updated: November 19, 2024 05:43 IST2024-11-19T05:43:55+5:302024-11-19T05:43:55+5:30
PM Modi Guyana Visit Live Updates: तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मारीशस, सूरीनाम, फीजी, गुयाना और त्रिनिदाद और टोबैगो को लघु भारत कहती थीं.

file photo
PM Modi Guyana Visit Live Updates: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मौजूदा विदेश यात्रा के तीसरे और अंतिम चरण में लघु भारत कहे जाने वाले कैरेबियाई टापू देश गुयाना की यात्रा पर 19 से 21 नवंबर तक रहेंगे. वे जब गुयाना पहुंचेंगे तो वहां पर बसे हुए लाखों भारतवंशियों के लिए एक तरह से दूसरी दिवाली होगी. गुयाना में दिवाली उत्सव 5 दिनों तक मनाया जाता है, जो ‘छोटी दिवाली’ से शुरू होकर ‘बड़ी दिवाली’ तक चलता है. तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मारीशस, सूरीनाम, फीजी, गुयाना और त्रिनिदाद और टोबैगो को लघु भारत कहती थीं.
ब्रिटिश सरकार गुयाना में भी भारतवंशियों को गिरमिटिया समझौता के तहत गन्ने के खेतों में काम करवाने के लिए लेकर आई थी. ब्रिटेन का उपनिवेश था गुयाना. ब्रिटिश गुयाना में काम करने के लिए अपने अफ्रीकी आदि देशों के अन्य उपनिवेशों से भी मजदूर लेकर आए थे. गुयाना की आबादी में भारतवंशी 50 फीसदी के आसपास हैं.
अत: आज के गुयाना में ज्यादातर भारतीय और अफ्रीकी मूल के ही लोग हैं. भारतवंशियों में अधिकतर हिंदू हैं. गुयाना का इतिहास रहा है कि वहां भारतवंशी मुख्य रूप से पीपल्स प्रोग्रेसिव पार्टी-सिविक (पीपीपीसी) को और अफ्रीकी-गुयाना मूल की जनता पीपल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) के हक में ही वोट देते हैं.
वैसे पीएनसी में डोनाल्ड रामोतार जैसे भारतवंशी नेता भी हैं इसलिए यह कहना भी पूरी तरह से उचित नहीं होगा कि सारे भारतवंशी पीपीपीए के साथ ही रहते हैं. भारत के विपरीत गुयाना में मतदान अभी बैलेट पेपर से ही होता है. वहां पर अभी ईवीएम मशीनें नहीं आई हैं. पीपीपीसी की स्थापना गुयाना के पहले राष्ट्रपति छेदी जगन ने की थी.
गुयाना में अब भारतवंशी राजनीतिक रूप से बिखर गए हैं. वे पहले एक दल विशेष के साथ ही खड़े होते थे. इसके चलते वहां पर भारतवंशी बेहतर स्थिति में थे. भारतवंशियों के संरक्षक के रूप में स्थापित हुए थे छेदी जगन. छेदी जगन के पिता जगन और मां जगाओनी उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से गुयाना ले जाए गए थे. उनके पिता और मां के साथ उनकी दादी और चाचा भी गुयाना लाए गए थे.
उनके पिता गन्ने के खेतों में मजदूरी करते और छेदी जगन 11 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे. उन्होंने गिरमिटिया का संघर्ष करीब से देखा था. वे 1961 में गुयाना के प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए थे. वे 1992-1997 में गुयाना के फिर राष्ट्रपति बने, पर उनकी मृत्यु के बाद भारतवंशी बिखरते गए. वर्तमान में पूरी दुनिया की गुयाना पर नजरें हैं, क्योंकि इधर कच्चे तेल के अकूत भंडार मिले हैं.
इस कारण माना जा रहा है कि इस मुल्क की किस्मत बदल सकती है. कहने वाले कहते हैं कि गुयाना निकट भविष्य में संसार के दस सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल हो जाएगा. यह भी कहा जा रहा है गुयाना में आठ अरब बैरल कच्चे तेल का भंडार है. यह सच में बहुत ही बड़ा आंकड़ा है. गुयाना में तेल के भंडार एक्समोबाइल नाम की कंपनी ने खोजे हैं.