ब्लॉग : विषम वैश्विक परिस्थितियों में रूस के साथ स्थिरता की साझीदारी
By शोभना जैन | Published: January 1, 2024 10:49 AM2024-01-01T10:49:11+5:302024-01-01T10:50:33+5:30
भारत और रूस दोनों ही जानते हैं कि वे अलग-अलग गठबंधन में हैं। लेकिन दोनों ही एक-दूसरे की स्थिति समझते हुए संतुलन बनाते हुए आपसी सहयोग के प्रगाढ़ संबंधों को समझदारी भरी साझीदारी से आगे बढ़ा रहे हैं।
नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच होने वाली नियमित वार्षिक शिखर बैठक इस दिसंबर माह में दूसरे साल भी नहीं हो पाई लेकिन निश्चय ही बदलती विषम वैश्विक परिस्थितियों और समीकरणों के बावजूद विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हाल की रूस यात्रा इस बात की परिचायक है कि दोनों देश यूक्रेन युद्ध पर अलग-अलग दृष्टिकोण होने की वजह से द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ने वाली किसी छाया से परे हटकर पुराने प्रगाढ़ संबंधों को एक नई गति देने के लिए प्रयासरत हैं। विदेश मंत्री की हाल की पांच दिवसीय रूस यात्रा इसलिए भी अहम है कि भारत ने यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर अभी तक रूस की भूमिका की सीधे तौर पर आलोचना नहीं की है।
इस यात्रा में न केवल यूक्रेन युद्ध सहित विभिन्न मुद्दों पर रूस के दृष्टिकोण पर भारत ने अपनी राय रखी बल्कि खास बात यह है कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने, विशेष तौर पर सामरिक और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के बारे में अनेक अहम फैसले लिए। दोनों देशों के वर्तमान रिश्तों को जयशंकर की इस टिपप्णी से समझा जा सकता है, जिसमें उन्होंने पुतिन से कहा, "वे (पीएम मोदी) अगले साल रूस की यात्रा को लेकर आशान्वित हैं।" गौरतलब है कि भारत की ही तरह रूस में भी अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि पुतिन पांचवीं बार भी राष्ट्रपति बन सकते हैं।
व्यापार के साथ-साथ सामरिक क्षेत्र में सहयोग दोनों देशों के बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है, लेकिन एस-400 एंटी बैलिस्टिक विमान प्रणाली की डिलीवरी में देरी होने और अनेक अत्याधुनिक रक्षा संयंत्रों और उपकरणों की रूस से सप्लाई नहीं होने को लेकर दोनों देशों ने इस दौरान भी हल निकालने पर चर्चा की। पिछले दो वर्षों में रूस से भारत को रक्षा उपकरण नहीं मिल पा रहे हैं, हालांकि भारत के लिए अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों के सुरक्षा बाजार भी इसी बीच खासे खुले हैं, दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ने का एक सकारात्मक पहलू यह रहा कि इस दौरान रूस ने भारत के साथ संयुक्त सुरक्षा उपकरण बनाए जाने की पेशकश की. इसी तरह ऊर्जा क्षेत्र के अलावा सिविलियन परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, कनेक्टिविटी क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनना भी यात्रा की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही।
भारत और रूस दोनों ही जानते हैं कि वे अलग-अलग गठबंधन में हैं। लेकिन दोनों ही एक-दूसरे की स्थिति समझते हुए संतुलन बनाते हुए आपसी सहयोग के प्रगाढ़ संबंधों को समझदारी भरी साझीदारी से आगे बढ़ा रहे हैं। उम्मीद है कि यह समझदारी और साझीदारी रिश्तों में संतुलन बनाए रखते हुए न केवल रिश्तों को स्थिरता बल्कि प्रगाढ़ संबंधों को और मजबूती देगी।