टूटते-बिखरते पड़ोसी देश में फिर एक बार तानाशाह की सत्ता
By राजेश बादल | Published: July 24, 2018 04:23 AM2018-07-24T04:23:31+5:302018-07-24T04:23:31+5:30
कांधार विमान अपहरण कांड, दिल्ली में लाल किले पर आतंकवादी हमला, भारत की संसद पर हमला, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हमला,अक्षरधाम हमला, जम्मू के रघुनाथ मंदिर पर हमला, मुंबई और दिल्ली सहित अनेक नगरों में लगातार बम धमाके हुए।
चीफऑफ आर्मी स्टॉफ परवेज मुशर्रफअब पाकिस्तान के बेताज बादशाह थे। साल भर में उन्होंने अपनी तानाशाही की अनेक कथाएं लिखीं। जनता त्रस्त थी। भारत में आतंकवादी हमलों की बाढ़ आ गई। भारत में गड़बड़ी फैलाने के लिए पाकिस्तान की फौज ने अमेरिकी मदद के पैसे बांग्लादेश और अफगानिस्तान के कट्टरपंथी उग्रवादी समूहों को देने शुरू किए। खतरनाक हमले भारतीय संस्कृति और लोकतंत्र के प्रतीकों पर हुए।
कांधार विमान अपहरण कांड, दिल्ली में लाल किले पर आतंकवादी हमला, भारत की संसद पर हमला, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हमला,अक्षरधाम हमला, जम्मू के रघुनाथ मंदिर पर हमला, मुंबई और दिल्ली सहित अनेक नगरों में लगातार बम धमाके हुए। करीब 36 से ज्यादा आतंकवादी वारदातों में डेढ़ हजार से ज्यादा लोग मारे गए। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ आगरा शिखर वार्ता नाकाम रही और दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे।
परवेज मुशर्रफ का सिद्धांत भारत को खौफ और दबाव में डालकर दोस्ती का हाथ बढ़ाना था। एक तरफभारत में अशांति फैलाकर वो पाकिस्तान के कट्टरपंथियों को खुश कर रहे थे तो दूसरी ओर अपने मुल्क में मीडिया को आजादी देने, सेटेलाइट चैनलों को बढ़ावा देने का काम करके छबि सुधारने का काम कर रहे थे। लेकिन अन्य तानाशाहों की तुलना में मुशर्रफ कहीं ज्यादा बुरे साबित हुए।
सन 2001 में उन्होंने राष्ट्रपति रफीक तरार को हटा दिया और खुद राष्ट्रपति बन बैठे। अगले साल अपने लिए एक जनमत संग्रह का ऐलान किया, जिसका अधिकतर राजनीतिक दलों ने बहिष्कार किया। उनकी जेबी पार्टी मुत्ताहिदा मजलिस ए अमाल पार्टी को बहुमत मिलना ही था। बहुमत के बाद मुशर्रफ ने देश को अपने इशारों पर नचाया। संविधान में ताबड़तोड़ बदलाव कर डाले। पाकिस्तान की अवाम एक बार फिर कराह रही थी। एक पत्रिका ने तो दुनिया के सबसे बुरे तानाशाहों में मुशर्रफ को शुमार किया था।
मुशर्रफ ने 2006 में बलूचिस्तान के राष्ट्रवादी नेता नवाब अकबर खान बुगती और उनके अनेक समर्थकों को फौजी कार्रवाई में मार डाला और अगले साल देश में आपातकाल लगा दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी को हटाया और अनेक जजों को जेल में डाल दिया। न्याय पालिका के खिलाफ अब तक किसी तानाशाह ने ऐसी कार्रवाई नहीं की थी।
नवंबर 2007 में उन्होंने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पद छोड़ दिया और केवल राष्ट्रपति का पद संभाला। बमुश्किल एक महीना ही हुआ था कि बेनजीर भुट्टो एक आत्मघाती हमले का शिकार बन गईं। इसमें मुशर्रफ पर सीधे आरोप लगे। बेनजीर की सुरक्षा हटा ली गई थी। इसके बाद उनके बुरे दिन शुरू हो गए। चुनाव उनके लिए अच्छे साबित नहीं हुए। उन्होंने पद छोड़ा और विदेश भाग गए। जब लौटे तो बेनजीर और बुगती की हत्या के आरोप लगे। मुशर्रफ गिरफ्तार कर लिए गए।