नंदिनी सिन्हा का ब्लॉग: बांग्लादेश के पूरक थे शेख मुजीबुर्रहमान

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 17, 2020 07:26 AM2020-03-17T07:26:56+5:302020-03-17T07:26:56+5:30

1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान द आब्जर्वर जैसे अखबार ने अपनी मुख्य खबरों में प्रमुखता से शेख की खबरों को जगह दी जिसमें उन्हें बंगाल के रीयल हीरो के नाम से संबोधित किया गया. मुक्ति संग्राम के दौरान इस तमगे को पाने के पीछे शेख की कई कहानियां हैं जिसने उन्हें सर्वोपरि बनाया.

Nandini Sinha's blog: Sheikh Mujibur Rahman was complementary to Bangladesh | नंदिनी सिन्हा का ब्लॉग: बांग्लादेश के पूरक थे शेख मुजीबुर्रहमान

शेख मुजीबुर्रहमान (फाइल फोटो)

आज ही के दिन 17 मार्च 1920 को बांग्लादेश के प्रणोता शेख मुजीबुर रहमान का जन्म हुआ था. शेख मुजीब की जन्मशती बांग्लादेश के अस्तित्व में आने की अर्धशती भी है. उस अर्धशती यात्ना में नए सपनों, नए आयामों को गढ़ते और संभव करते देश की कई कहानियां हैं. उन कहानियों के नायक भी हैं. लेकिन बांग्लादेश के निर्माण के पीछे जो महानायक थे उनका नाम शेख मुजीबुर्रहमान है जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति से एक देश के भूगोल को बदल डाला.

शेख मुजीबुर्रहमान ने मुक्त और स्वतंत्न बांग्लादेश का सपना देखा. उस सपने को यथार्थ में तब्दील करने के लिए एक नहीं, कई बार अपनी जान तक जोखिम में डाली. आखिरकार उनके अदम्य साहस और ठोस इरादे के सामने पाकिस्तान सरकार को घुटने टेकने पड़े. अवामी लीग के अध्यक्ष शेख मुजीबुर्रहमान को अगर बांग्लादेश का शिल्पकार कहें तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्न संग्राम की अगुवाई करते हुए बांग्लादेश को मुक्ति दिलाई. असीम ऊर्जा से लबरेज शेख मुजीबुर्रहमान के स्वतंत्न बांग्लादेश का सपना कब जन-जन का सपना बन गया, वह मुक्ति संग्राम की गाथा में प्रतीत होता है.
मुक्ति संग्राम के दौरान न सिर्फ पूर्वी पाकिस्तान की अवाम ने बल्कि देशी-विदेशी मीडिया ने भी शेख मुजीबुर्रहमान को बंगाल के यथार्थ नायक का तमगा दिया था.

1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान द आब्जर्वर जैसे अखबार ने अपनी मुख्य खबरों में प्रमुखता से शेख की खबरों को जगह दी जिसमें उन्हें बंगाल के रीयल हीरो के नाम से संबोधित किया गया. मुक्ति संग्राम के दौरान इस तमगे को पाने के पीछे शेख की कई कहानियां हैं जिसने उन्हें सर्वोपरि बनाया. वे बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति बने और बाद में प्रधानमंत्नी भी. जन-जन में लोकप्रिय होने के साथ राष्ट्रहित को समर्पित होने की वजह से शेख मुजीब के नाम से प्रसिद्ध इस नेता को बंगबंधु की पदवी से सम्मानित भी किया गया.

बंगबंधु का जन्म 17 मार्च 1920 को फरीदपुर जिले के गोपालगंज सब-डिवीजन (वर्तमान में जिला) के अंतर्गत तुंगीपारा गांव में हुआ था. वे एक मध्यवर्गीय भू-स्वामी के परिवार से आते थे. पाकिस्तान को बने एक साल भी नहीं हुए थे कि मुजीब ने बंगाली राष्ट्रवाद के लिए लड़ना शुरू कर दिया था.

 

Web Title: Nandini Sinha's blog: Sheikh Mujibur Rahman was complementary to Bangladesh

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