कुलदीप तलवार का ब्लॉग: डोनाल्ड ट्रंप की घातक अफगान नीति
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 22, 2019 11:42 PM2019-01-22T23:42:34+5:302019-01-22T23:42:34+5:30
पिछले दो सालों में उन्होंने कुछ ऐसे फैसले लिए हैं जो अमेरिकी जनता के गले से आसानी से नहीं उतर रहे हैं. जनता काफी परेशान है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का अमेरिका इन दिनों ‘‘शटडाउन’’ से बेहाल है. सरकारी कामकाज ठप है. उन्होंने मास्को सीमा पर दीवार के निर्माण की जिद पर जो शटडाउन कर रखा है, वह उनकी जिद ही दर्शाता है. जिद न छोड़नी की वजह से वह खुद भी परेशान है. दरअसल जब से ट्रम्प ने राष्ट्रपति का पद संभाला है.
पिछले दो सालों में उन्होंने कुछ ऐसे फैसले लिए हैं जो अमेरिकी जनता के गले से आसानी से नहीं उतर रहे हैं. जनता काफी परेशान है. इनमें से बहुत से ऐसे फैसलों की निंदा हो रही है. उनमें से दो फैसले तो सख्त नुक्ताचीनी के शिकार हैं. जैसे अफगानिस्तान में से तैनात 14000 नाटो व अमेरिकी फौज को अगले छह महीने में वहां से वापस बुलवाना और अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए पाकिस्तान से मदद की अपील करना.
यानी पाकिस्तान न केवल तालिबान को बातचीत की मैज पर बिठाए बल्कि अफगान सरकार से सीधी बातचीत के लिए राजी करें और ऐसा राजनीतिक समझौता तय करने में मदद भी करें. इसके तहत अफगानिस्तान में जारी जंग बंद हो जाए. अमेरिकी फौजें वापस चली जाएं. साथ ही अफगानिस्तान में अमेरिका के हित भी सुरक्षित रहें.
इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि ट्रम्प ने तालिबान को बातचीत के लिए राजी करने के लिए, पाकिस्तान की मदद मांगी है. महीने पहले ट्रम्प ने पाक पर आरोप लगाया था कि वह अफगानिस्तान में जारी दहशतगर्दी मुहिम में कोई मदद नहीं कर रहा और अमेरिकी मदद लेकर उसको बेवकूफ बना रहा है.
उन्होंने इस आरोप के तहत पाकिस्तान की मदद में कटौती भी कर दी थी. मगर अब ट्रम्प पाकिस्तान की मदद और सहयोग से तालिबान तक पहुंचना चाहता है. इन फैसलों को लेने का जो ट्रम्प ने समय चुना है, वह उचित नहीं है और वह इसकी बिल्कुल इजाजत नहीं देता. अमेरिका सैना के वापस जाने के बाद हिंसाग्रस्त अफगानिस्तान में हिंसा और भड़केगी और इसलिए उम्मीद की जा रही है कि ट्रम्प इन फैसलों पर पूर्व विचार करेंगे वर्ना जिस मकसद के लिए जंग शुरू की थी वह पूरा नहीं हो पाएगा.