वरिष्ठ पत्रकार निरंकार सिंह का ब्लॉग: देशभक्ति की मिसाल इजराइल
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 7, 2019 09:12 AM2019-03-07T09:12:34+5:302019-03-07T09:12:34+5:30
देशभक्ति के मामले में इजराइल दुनिया का सबसे अग्रणी देश माना जाता है। इजराइलियों की देशभक्ति की मिसाल पेश की जाती है। इजराइल के नागरिकों की और इजराइल की सेना की देशभक्ति पहले से ही जगजाहिर थी।
देशभक्ति और देश रक्षा का अर्थ सिर्फ सीमाओं पर दुश्मनों से जंग करना ही नहीं है। इसका मतलब है कि जो भी ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा है, वह देश की रक्षा ही कर रहा है। यदि आप सही ढंग से अपना काम कर रहे हैं तो देश की रक्षा ही कर रहे हैं।
देशभक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण हमारे लिए जापान है जो 1945 के परमाणु युद्ध में पूरी तरह बर्बाद हो गया था। लेकिन कुछ ही वर्षो में वहां की जनता फिर उठ खड़ी हुई और देखते ही देखते वह एक विकसित देश बन गया। अपनी आजादी के बाद जापान ने राष्ट्रीय जागृति के साथ-साथ पहाड़ों और नदियों तक के नाम बदल दिए। जापान में कोई सांप्रदायिक या मजहबी संस्था राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करती, यद्यपि यहां पर लगभग 500 संप्रदाय हैं। मजहबी बातें राजनीति से अलग रखी जाती हैं और सरकार से सहायता पाने वाले अथवा सरकार द्वारा संचालित शिक्षा संस्थानों से मजहब का कोई संबंध नहीं है।
देशभक्ति के मामले में इजराइल दुनिया का सबसे अग्रणी देश माना जाता है। इजराइलियों की देशभक्ति की मिसाल पेश की जाती है। इजराइल के नागरिकों की और इजराइल की सेना की देशभक्ति पहले से ही जगजाहिर थी लेकिन अब इजराइल की अदालत ने भी एक ऐसा फैसला लिया है जो दुनिया में वहां की न्यायव्यवस्था के अंदर झलकती देशभक्ति की भावना को चर्चित कर दिया है। मालूम हो कि इजराइल की सेना ने सीमा से सटे एक फिलिस्तीनी गांव पर कब्जा किया था जिसको हमास आतंकियों की शरणगाह माना जाता था। इजराइल की सेना के अनुसार वह गांव वेस्ट बैंक में मौजूद था जिसका नाम बेड़ौइन खान अल अहमार गांव था।
बतौर इजराइली सेना उस गांव का उपयोग फिलिस्तीन चरमपंथी एक लॉन्च पैड के रूप में करते थे। जिसे वह बारूद से उड़ा देना चाहती थी। लेकिन फिर कुछ तथाकथित सेक्युलर और स्वघोषित मानवाधिकार वालों ने इजराइल की सेना के इस आदेश को इजराइल की ही एक अदालत में चुनौती दी और गांव के ध्वस्त होने के बाद होने वाले नुकसान को बताते हुए अदालत से सेना को ऐसा करने से रोकने की मांग की। आखिरकार इजराइल की अदालत ने अपना फैसला दिया। इजराइल की अदालत ने अपनी सेना की कार्रवाई का पूरा समर्थन करते हुए सेना द्वारा चिह्न्ति गांव को तत्काल ध्वस्त करने का आदेश दिया और साथ में पुलिस को आदेश दिया कि उस गांव में रहने वाले 180 निवासियों को फौरन ही वहां से निकाल कर बाहर करें। यह फैसला इजराइल के उच्च न्यायालय ने दिया।