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ईरान का गुस्सा और जो बाइडन की दुविधा, वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: December 1, 2020 18:28 IST

जनवरी में बगदाद में ईरान के लोकप्रिय जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या अमेरिकी फौजियों ने कर दी थी. ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामनेई ने कहा है कि ईरान इस हत्या का बदला लेकर रहेगा.

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ठळक मुद्देइजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने खतरनाक आदमी बताया था.पिछले 10 साल में ईरान के छह वैज्ञानिकों की हत्या हुई है.

ईरान के परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादा की हत्या एक ऐसी घटना है, जो ईरान-इजराइल संबंधों में तो भयंकर तनाव पैदा करेगी ही, यह बाइडेन प्रशासन के रवैये को भी प्रभावित कर सकती है.

फखरीजादा ईरान के परमाणु बम कार्यक्रम के अग्रगण्य वैज्ञानिक थे. उनका नाम लेकर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें काफी खतरनाक आदमी बताया था. ईरानी सरकार का दावा है कि तेहरान के पास आबसर्द नाम के गांव में इस वैज्ञानिक की हत्या इजराइली जासूसों ने की है.

इसके पहले इसी साल जनवरी में बगदाद में ईरान के लोकप्रिय जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या अमेरिकी फौजियों ने कर दी थी. ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामनेई ने कहा है कि ईरान इस हत्या का बदला लेकर रहेगा. यों भी पिछले 10 साल में ईरान के छह वैज्ञानिकों की हत्या हुई है. उसमें इजराइल का हाथ बताया गया था.

हत्या की इस ताजा वारदात में अमेरिका का भी हाथ बताया जा रहा है, क्योंकि ट्रम्प के विदेश मंत्री माइक पोंपिओ पिछले हफ्ते ही इजराइल गए थे और वहां उन्होंने सऊदी सुल्तान और नेतन्याहू के साथ भेंट की थी. ईरानी सरकार को शंका है कि ट्रम्प प्रशासन अगली 20 जनवरी को सत्ता छोड़ने के पहले कुछ ऐसी तिकड़म कर देना चाहता है, जिसके कारण बाइडन प्रशासन चाहते हुए भी ईरान के साथ तोड़े गए परमाणु समझौते को पुनर्जीवित न कर सके.

ओबामा प्रशासन और यूरोपीय देशों ने ईरान के साथ जो परमाणु समझौता किया था, उसे ट्रम्प ने भंग कर दिया था और ईरान पर से हटे प्रतिबंध को दुबारा थोप दिया था. अब ईरान गुस्से में आकर यदि अमेरिका के किसी बड़े शहर में कोई जबर्दस्त हिंसा करवा देता है तो ईरान से दूरी बनाए रखना बाइडेन प्रशासन  की मजबूरी होगी.

यह दुविधा ईरानी नेता अच्छी तरह समझ रहे होंगे. यह तो गनीमत है कि ट्रम्प ने अपनी घोषणा के मुताबिक अभी तक ईरान पर बम नहीं बरसाए हैं. अपनी हार के बावजूद हीरो बनने के फेर में यदि ट्रम्प ईरान पर जाते-जाते हमला बोल दें तो कोई आश्चर्य नहीं है.

वैसे भी उन्होंने पश्चिम एशिया के ईरान-विरोधी राष्ट्रों- इजराइल, सऊदी अरब, जॉर्डन, यूएई और बहरीन आदि को एक जाजम पर बिठाने में सफलता अर्जित की है. बाइडन प्रशासन की दुविधा यह है कि वह इस इजराइली हमले की खुली भर्त्सना नहीं कर सकता लेकिन वह किसी को भी दोष दिए बिना इस हत्या की निंदा तो कर ही सकता है. ईरान और बाइडेन प्रशासन को इस मुद्दे पर फूंक-फूंककर कदम रखना होगा.

टॅग्स :ईरानइराकजो बाइडनअमेरिकाव्लादिमीर पुतिनइजराइल
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