ब्लॉग: पाकिस्तान में बाढ़ की विभीषिका के बीच भारत पहुंचा सकता है पड़ोसी मुल्क को बड़ी मदद
By वेद प्रताप वैदिक | Published: September 1, 2022 11:15 AM2022-09-01T11:15:42+5:302022-09-01T11:16:23+5:30
पाकिस्तान इन दिनों भयंकर बाढ़ से जूझ रहा है। इसे लेकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया। पाकिस्तान में भी पीएम मोदी के इस बयान की सराहना हो रही है। वहीं, भारत इस मुश्किल घड़ी में बड़ी मदद भी पाकिस्तान को पहुंचा सकता है लेकिन....
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के लोगों को बाढ़ से होने वाली तकलीफ के बारे में जैसी भावभीनी प्रतिक्रिया की है, वह बड़ी मार्मिक थी. पाकिस्तान के कई नेताओं, पत्रकारों और समाजसेवियों ने मोदी के उस बयान की सराहना की है लेकिन पाकिस्तान की सरकार या उसके दिल्ली स्थित दूतावास ने अभी तक कोई इशारा भी नहीं किया है कि यदि भारत मदद की पेशकश करेगा तो वे उसे सहर्ष स्वीकार करेंगे.
दुर्भाग्य है कि दोनों देशों के फौजी और राजनीतिक रिश्ते ऐसे विकट रहे हैं कि इस भयानक विभीषिका के दौरान भी वे एक-दूसरे से खुलकर बात नहीं करते हैं.
पाकिस्तान के कुछ उच्चस्तरीय नेताओं ने बातचीत में मुझसे कहा है कि यदि मोदी सरकार खुद मदद की पहल करेगी तो शाहबाज सरकार को उसे स्वीकार करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. हो सकता है कि शाहबाज सरकार के विरोधी उसके खिलाफ अभियान चला दें.
उनकी राय थी कि कुछ गैर-सरकारी भारतीय संगठन मदद के लिए आगे आ जाएं तो बहुत अच्छा होगा. यों भी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और पाकिस्तानी सेनापति जनरल कमर जावेद बाजवा भारत के प्रति पिछले दिनों नरमी का रुख अपनाते हुए लग रहे थे. वे भारत से बातचीत शुरू करने की संभावनाएं तलाश रहे थे.
हाल ही में पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने कहा है कि बाढ़ की वजह से हमारी फसलें नष्ट हो गई हैं, अब हमें भारत से सब्जियां और अनाज तुरंत आयात करने होंगे.
पिछले तीन साल से भारत-पाक व्यापार भी ठप पड़ा हुआ है. चीन के साथ गलवान घाटी में खूनी मुठभेड़ हुई है लेकिन इस बीच भारत-चीन व्यापार में अपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है. पाकिस्तान के व्यापारी तो व्यापार के दरवाजे खुलवाना चाहते हैं लेकिन नेताओं और जनरलों को कौन समझाए? इस समय शाहबाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो यदि भारत से रिश्ते सुधारने की पहल करें तो इमरान खान भी उसका विरोध नहीं करेंगे.
जहां तक धारा 370 और 35 ए को खत्म करने की बात है, पाकिस्तान ने उसका डटकर विरोध किया है लेकिन पिछले 3 साल में अब उसकी समझ में यह आ गया है कि इस बारे में अब कुछ नहीं किया जा सकता. यदि तालिबान की सरकारवाले अफगानिस्तान को भारत मदद भिजवा सकता है तो शाहबाज शरीफ के पाकिस्तान को मदद भिजवाने में झिझक क्यों होनी चाहिए?