पाकिस्तान के दो पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और शाहिद खाकान अब्बासी सहित पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भी जेल में हैं. तीनों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. यह तीन नेता पाकिस्तान के दो मुख्य विपक्षी पार्टियों के और हालिया दौर में वहां की राजनीति के सबसे रसूखदार नाम हैं. देश की अर्थव्यवस्था की हालात डांवाडोल है, इसलिए इमरान खान की सरकार द्वारा कार्रवाई की एक बड़े वर्ग द्वारा सराहना की जा रही है लेकिन कुछ लोग इसे पाकिस्तान में विपक्ष की संस्थागत हत्या बता रहे हैं.
बीते दिनों नवाज शरीफ की बेटी मरियम शरीफ ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया लेकिन जिन चैनलों ने इसका लाइव प्रसारण किया उन्हें इमरान सरकार ने बैन कर दिया. मरियम का आरोप है कि जज के ऊपर दबाव बना कर उनके पिता को फर्जी केस में जेल भेजा गया और उन्होंने इसके लिए बकायदा एक वीडियो क्लिप जारी किया.
भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल
इमरान खान ने जब पाकिस्तान की सत्ता की बागडोर संभाली तो हालात अर्थव्यवस्था के स्तर पर दयनीय थी. जीडीपी अपने न्यूनतम स्तर पर सरकार को खुलेआम चिढ़ा रही थी. विदेशी कर्ज दोनों बाहें फैला कर स्वागत करने को तैयार खड़े थे. चीन-पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर उनकी तेज गेंदबाजी की तरह रफ्तार के तलाश में थी. जनता महंगाई के कारण इतनी त्रस्त थी कि उसे देश के राजकोषीय घाटे से कोई मतलब नहीं था. इमरान खान ने चुनाव में पाकिस्तान को उत्कृष्ट बनाने के अनेकों दावे किए थे लेकिन जब तिजोरी की चाभी मिली तो वादों का समंदर सिरदर्द बन गया. कुल मिला कर हालात इमरान खान की सत्ता संभालने के पहले से ज्यादा खराब हो गए हैं.
10 जून को राष्ट्र को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा- पाकिस्तान के आवाम से अनुरोध है कि वो देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 30 जून तक अपनी संपत्ति की घोषणा कर दें ताकि वैध और बेनामी संपत्ति का पता चल सके. उन्होंने आगे कहा कि पिछले 10 साल में पाकिस्तान का कर्ज छह हजार अरब से 30 हज़ार अरब रुपए तक पहुंच गया है. जो हम चार हज़ार अरब रुपए का सालाना टैक्स इकट्ठा करते हैं जिसमें आधी रकम कर्जों की किस्त अदा करने में चल जाती है.
इमरान खान और पाकिस्तानी सेना
इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने में सेना द्वारा सहयोग मिलने की ख़बरें अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में खूब छायीं थी. पाकिस्तान में ऐसे भी सत्ता किसी की भी रहे सेना को अनौपचारिक रूप से से मंत्रिमंडल में साझेदारी मिल ही जाती है. लेकिन इमरान खान की सरकार के दौरान यह ज्यादा मजबूत रूप में उभर कर सामने आया है. खुद पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में सेना के सबसे ताकतवर होने का इशारा जाने-अनजाने में कर दिया था.
इमरान खान ने नए पाकिस्तान बनाने का वादा अपने देश की जनता से किया है. विपक्ष फिलहाल हाशिये पर है लेकिन अब लामबंद होने की कोशिशें कर रहा है. इमरान खान का राजनीतिक भविष्य वहां की सेना और अर्थव्यवस्था की हालत पर टिकी है, अगर इमरान ने इन दोनों को साध लिया तो विपक्ष की चुनौती उन्हें ख़ास परेशान नहीं करेगी. ऐसे भी पाकिस्तान की स्थापना से ही वहां की जनता ने लोकतांत्रिक सरकारें कम और फौजी शासन का दीदार ज्यादा किया है.