ब्लॉग: हमास-इजराइल संघर्ष बढ़ने की आशंका से चिंतित होती दुनिया
By शोभना जैन | Published: October 11, 2023 10:20 AM2023-10-11T10:20:07+5:302023-10-11T10:47:24+5:30
इजरायल में हमास का हमला ऐसे वक्त हुआ है,जब मुस्लिम देशों के बीच रिश्ते सुधारने की कवायद चल रही थी। अब चरमपंथी फिलिस्तीनी गुट हिजबुल्लाह भी इस युद्ध में इजराइल के खिलाफ आ खड़ा हो गया है। पूरी दुनिया इन हमलों से धीरे-धीरे पक्ष-विपक्ष के गुटों में बंट रही है।
फिलिस्तीन और इजराइल के बीच जारी संघर्ष ने अचानक कुछ दिन पहले बेहद भीषण युद्ध का रूप ले लिया है। शनिवार सुबह से फिलिस्तीनी हमास लड़ाकों ने गाजा पट्टी पार करके दक्षिणी इजराइल में अचानक घुसकर पांच हजार से अधिक रॉकेट-मोर्टार से हमला कर दिया। इस दौरान भयानक खून-खराबा हुआ।
अत्याधुनिक सैन्य हथियारों की अभेद्य सुरक्षा प्रणाली और गुप्तचर संस्था मोसाद की अचूक क्षमता के लिए दुनिया भर में धाक जमाने वाला इजराइल अचानक हुए इस हमले से भौंचक्का रह गया। कुछ ही घंटों के भीतर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इजराइल पर हुए हमलों को ‘युद्ध की स्थिति’ करार देते हुए फिलिस्तीनी इलाकों में भीषण जवाबी हमले शुरू कर दिए।
इस हालात का एक बेहद खराब पहलू यह है कि हमास की तरह अन्य चरमपंथी फिलिस्तीनी गुट हिजबुल्लाह भी इस युद्ध में इजराइल के खिलाफ आ खड़ा हो गया है। ये खूनी हमले सिर्फ फिलिस्तीन और इजराइल के बीच ही नहीं हो रहे हैं बल्कि पूरी दुनिया इन हमलों से धीरे-धीरे पक्ष-विपक्ष के गुटों में बंट रही है।
हमास का हमला ऐसे वक्त हुआ है, जब इजराइल और मुस्लिम देशों के बीच रिश्ते सुधारने की कवायद चल रही थी। दोनों ओर से औपचारिक संबंध कायम करने के लिए 2020 में इजराइल और दो अरब देशों बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात ने अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। कई मुस्लिम देश इसके समर्थक हैं। इजराइल पर हमास के हमले और फिर इसके बाद इजराइल की जवाबी कार्रवाई पर अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी सहित लगभग सभी पश्चिमी देश इजराइल के पक्ष में दिख रहे हैं। अमेरिका तो वहां सैन्य उपकरण, जंगी जहाज भी भेज रहा है। वहीं ईरान ने खुलकर फिलिस्तीन का पक्ष लिया है।
इजराइल भारत का बड़ा रणनीतिक साझेदार है। कितने ही अहम सवालों का जवाब अभी भविष्य के गर्भ में है जैसे इन हमलों के बाद घरेलू राजनैतिक मुद्दों से घिरी दक्षिणपंथी इजराइल सरकार का भविष्य क्या होगा, सऊदी-इजराइल डिप्लोमेसी प्रयासों पर इसका क्या असर पड़ेगा, यह खून- खराबा आखिर फिलिस्तीन में कहां-कहां तक पहुंचेगा।
गाजा पट्टी में जिस तरह से इजराइल सरकार ने पूरी तरह से नाकेबंदी की घोषणा की है, उसका क्या हश्र होगा। तेल की कीमतों, इसकी सप्लाई को लेकर विश्व अर्थव्यवस्था पर असर कितना गहरा होगा। सवाल बेहद गंभीर है जिसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध की भयावहता और उसके दुष्प्रभाव झेल रही दुनिया के अब एक और नए रणक्षेत्र के खुल जाने और इसके विश्वव्यापी रौद्र रूप ले लेने की आशंका से चिंतित होना स्वाभाविक ही है।