डॉ. विजय दर्डा का ब्लॉग: दर्द में डूबी जोया और जारा की जिंदगी ?

By विजय दर्डा | Published: November 6, 2023 05:43 AM2023-11-06T05:43:08+5:302023-11-06T05:46:33+5:30

फिलिस्तीन में हजारों लोग मारे जा चुके हैं। चार हजार से ज्यादा तो बच्चे मरे हैं। हमास ने जो इजरायल में किया वह भी क्रूरता थी और बदले की आग में जो इजराइल कर रहा है, वह भी नृशंस क्रूरता ही है।

Dr. Vijay Darda's blog: Zoya and Zara's life drowned in pain? | डॉ. विजय दर्डा का ब्लॉग: दर्द में डूबी जोया और जारा की जिंदगी ?

फाइल फोटो

Highlightsफिलिस्तीन में अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुका है, मरने वालों में चार हजार से ज्यादा तो बच्चे हैहमास ने इजरायल में क्रूरता की थी और बदले की आग में जो इजराइल कर रहा है, वह भी क्रूरता हैबदले की आग में सबकुछ खाक हो जाता है। इसलिए इजरायल को उस आग को भूलना होगा

अगले सप्ताह दिवाली है लेकिन गाजा पट्टी के एक मार्मिक वाकये ने भीतर तक बेचैन कर दिया है। बमों की बौछार से ध्वस्त एक इमारत के मलबे में राहतकर्मियों को एक छोटी सी बच्ची मिली। किसी को पता नहीं था कि खून से लथपथ यह बच्ची कौन है? उसे तत्काल पास के अस्पताल में पहुंचाया गया। वहां जब खून से सना उसका चेहरा पोंछा गया तो सामने के बेड पर घायल पड़ी जोया नाम की बच्ची कराह उठी कि ये तो उसकी बहन जारा है।

बेशुमार दर्द के बीच भी दोनों के चेहरे पर मुस्कान की एक रेखा उभरी। उन बच्चों के माता-पिता शायद बमों के शिकार हो चुके हैं। जरा सोचिए कि इन या इन जैसे दूसरे बच्चों की जिंदगी कैसे गुजरेगी?

हमास ने जब इजराइल पर रॉकेट दागे थे तो मैंने आशंका जाहिर की थी कि अब इजराइल बदला लेगा और खामियाजा गाजा पट्टी में रहने वाले बेगुनाहों को भुगतना होगा। आसमान से गिरने वाले बम और मिसाइल यह नहीं देखेंगे कि कहां हमास का ठिकाना है और कहां आम आदमी का घर है। मेरी आशंका सही साबित हो रही है।

हजारों लोग मारे जा चुके हैं। चार हजार से ज्यादा तो बच्चे मरे हैं। हजारों लोग जिंदा लाश में तब्दील हो गए हैं क्योंकि किसी का हाथ उड़ गया तो किसी का पैर... किसी की आंखें चली गई हैं, जो हमास ने किया वह भी क्रूरता थी और बदले की आग में जो इजराइल कर रहा है, वह भी नृशंस क्रूरता है।

मैं जानता हूं कि गाजा पट्टी में फंसे लोग मेरे रिश्तेदार नहीं हैं, मेरे परिवार के लोग नहीं हैं, न मेरे भाई हैं न बहन और न बच्चे, लेकिन यह कैसे भूल जाऊं कि वो सब भी वैसे ही इंसान हैं, जैसा मैं हूं। मैं भगवान महावीर, भगवान बुद्ध और गांधी के देश का वासी हूं, जिनके लिए इंसानियत सबसे बड़ा धर्म रहा।

मैं उस भारत का वासी हूं, जिसने वसुधैव कुटुम्बकम् कह कर पूरी दुनिया को अपना रिश्तेदार माना। इसलिए दुनिया में कहीं भी यदि इंसानियत की मौत होती है तो हमारे आंसू निकलेंगे ही! मैंने जर्मनी में वो जगहें देखी हैं, जहां यहूदियों का हिटलर ने संहार किया जिसकी आग यहूदियों के हृदय में आज भी धधक रही है।

यह समझना जरूरी है कि बदले की आग में सबकुछ खाक हो जाता है। इसलिए उस आग को भूलना होगा, जाति, धर्म और नस्ल को भूलना होगा और इंसानियत को गले लगाना होगा तभी हम दुनिया को एक परिवार बना पाएंगे। लेकिन दुनिया विचारों की जंजीर में उलझा दी गई है, इसका घृणित रूप हम इस वक्त देख रहे हैं।

मैंने गाजा पट्टी को देखा है। वहां जा चुका हूं। करीब 41 किलोमीटर लंबा और 10 किलोमीटर चौड़ा यह इलाका दुनिया की घनी आबादी वाले स्थानों में से एक है। अब तस्वीरें देखकर मेरा मन बुरी तरह रो रहा है। इजराइली बमबारी में बहुत बड़ा हिस्सा खंडहर बन चुका है। एक अस्पताल पर रॉकेट आ गिरा और 500 से ज्यादा मरीज मारे गए।

अब अल शिफा नाम के दूसरे अस्पताल में 55 हजार से ज्यादा लोगों ने शरण ले रखी है लेकिन इजराइल कह रहा है कि इस अल शिफा अस्पताल के नीचे बंकरों में हमास का कमांड सेंटर है। यदि इस अस्पताल को कुछ हुआ तो यह दुनिया की बड़ी त्रासदियों में से एक होगी।

इधर अस्पताल में मरीजों के उपचार के लिए न दवाइयां हैं और न ऑपरेशन के दूसरे साधन। बिजली नहीं है तो बहुत जरूरी ऑपरेशन टॉर्च की रौशनी में करने पड़ रहे हैं। पेन किलर और एंटीबायोटिक खत्म हो चुके हैं। वहां मानवीय सहायता भी नहीं पहुंच पा रही है।

मिस्र की ओर से एक बॉर्डर खोला गया लेकिन मदद इतनी सुस्त है कि लोगों को राहत मिल ही नहीं पा रही है। रोटी के लिए लोग इतने बेचैन हैं कि यूनाइटेड नेशन के एक भंडार को ही लूट लिया। वे करें भी क्या? बच्चों की भूख कलेजा फाड़ रही है। इजराइल ने लोगों को उत्तरी गाजा छोड़ कर दक्षिण में जाने का फरमान सुनाया। क्या यह आसान है? कहां जाएं, कहां रहें? शेल्टर होम में भी बम फूट रहे हैं।

बमों की बरसात के बीच इजराइल अब गाजा पट्टी में जमीन के रास्ते भी हमले कर रहा है। तय मानिए कि यहां हमास और इजराइल के बीच की जंग बहुत लंबी खिंचेगी और गाजा पट्टी दूसरा मोसुल बन जाएगा। इराक के मोसुल शहर को इस्लामिक स्टेट से खाली कराने में कुर्द और अमेरिकी संयुक्त सेना को नौ महीने लग गए थे। हजारों की संख्या में आम नागरिक मरे थे।

इजराइल कह रहा है कि जब तक उसके बंधक नहीं छोड़े जाते, वह हमला नहीं रोकेगा। इधर अमेरिका ने इजराइल के लिए नया बजट सैंक्शन कर दिया है। यह बजट दिवाली की मिठाई बांटने के लिए थोड़े ही है। यह बमों की बरसात के लिए है। मुझे तो आशंका है कि गाजा पट्टी में जमीन के नीचे टनल में मौजूद हमास के लोगों को मारने के लिए कहीं गैस न छोड़ दी जाए! जाहिर है आम नागरिक भी शिकार होंगे?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानवीय आधार पर संघर्ष विराम का एक प्रस्ताव पारित जरूर किया है लेकिन दुर्भाग्य यह है कि यह प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं है। इस मसले को लेकर दुनिया में फूट पड़ी हुई है। फिलिस्तीन के पक्के समर्थक मध्यपूर्व के देश भी गाजा पट्टी के लिए अपना दरवाजा नहीं खोल रहे हैं। हमास के नेता कतर में बैठे हैं। वे बमों से महफूज हैं। मारे जा रहे हैं तो फिलिस्तीनी। बेगुनाहों का संहार रोकने वाला फिलहाल कोई नहीं है। दुआ कीजिए कि ये संहार जल्दी रुके।

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