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ब्लॉगः चीन के उइगर मुसलमान- गुलामी की जिंदगी और जबरन नसबंदी... पर खामोश हैं पड़ोसी देश

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: September 3, 2022 15:20 IST

संयुक्त राष्ट्र की लंबी रपट में ठोस तथ्य और तर्क देकर बताया गया है कि चीन के ये मुसलमान गुलामी की जिंदगी जी रहे हैं। उनकी जनसंख्या न बढ़े, इसलिए उनकी जबरन नसबंदी कर दी जाती है। वहां मदरसे नहीं चलने दिए जाते हैं।

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संयुक्त राष्ट्र की मानव अधिकार परिषद ने चीन को कठघरे में खड़ा कर दिया है।  अपनी ताजा रपट में उसने बताया है कि चीन के शिनजियांग प्रांत के लगभग दस लाख उइगरों को यातना शिविरों में बंद करके रखा गया है। ये उइगर मुसलमान हैं। ये दिखने में भी चीनियों से अलग दिखते हैं। उनका शिनजियांग प्रांत हमारे लद्दाख से लगा हुआ है। सैकड़ों सालों से पैदल रास्ते चीन जानेवाले और वहां से आनेवाले व्यापारी, विद्वान, यात्रीगण इसी रास्ते से आया-जाया करते थे। उइगरों का यह क्षेत्र सदियों से चीनी वर्चस्व के बाहर रहा है। कम्युनिस्ट शासन की स्थापना होने के पहले इस उइगर-क्षेत्र में आजादी का आंदोलन चलता रहा है लेकिन जब से चीन में कम्युनिस्ट शासन स्थापित हुआ है, उइगर मुसलमानों को बेरहमी से दबाया गया है। कुछ उइगर नेताओं और व्यापारियों को अपना हथियार बना चीनी सरकार उन पर जुल्म करती रहती है।

संयुक्त राष्ट्र की लंबी रपट में ठोस तथ्य और तर्क देकर बताया गया है कि चीन के ये मुसलमान गुलामी की जिंदगी जी रहे हैं। उनकी जनसंख्या न बढ़े, इसलिए उनकी जबरन नसबंदी कर दी जाती है। वहां मदरसे नहीं चलने दिए जाते हैं। उनकी वेशभूषा और नाम भी बदलने की कोशिश बराबर जारी रहती है। उइगर बच्चों के स्कूलों में चीनी भाषा अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाती है। शिनजियांग प्रांत में कम्युनिस्ट पार्टी का शिकंजा इतना कड़ा है कि जो उइगर मुसलमान उसके पदाधिकारी हैं, वे चीनियों की नकल भर बने रहते हैं। शिनजियांग प्रांत की राजधानी उरुमची और अन्य शहरों व गांवों में मुझे घूमने-फिरने और आम आदमियों से खुलकर बात करने का मौका मिला है।

कई उइगरों से बीजिंग और शंघाई में भी मेरा खुलकर संवाद हुआ है। वे अपने आपको चीनी कहने में ही संकोच करते हैं। शिनजियांग में मैंने जैसी गरीबी देखी, वैसी दुनिया के बहुत कम देशों में देखी है। राजधानी उरुमची में पाकिस्तानी छात्रों की भरमार है। चीनी सरकार उन्हें लगभग मुफ्त में मेडिकल की शिक्षा देती है लेकिन उसे यह डर भी लगा रहता है कि इन पाकिस्तानियों के जरिये अफगानिस्तान और मध्य एशियाई राष्ट्रों के आतंकवादी कहीं शिनजियांग में अपना अड्डा न बना लें। ये उइगर लोग भारत और पाकिस्तान को बहुत प्यार करते हैं लेकिन उनकी बदकिस्मती देखिए कि इन दोनों देशों के नेता उइगरों के मुद्दे पर मौन धारण किए रहते हैं। अमेरिका और पश्चिमी राष्ट्र जब मुंह खोलते हैं, चीन उन पर निहित स्वार्थ और दुश्मनी का आरोप लगाता है। चीनी सरकार ने संयुक्त राष्ट्र की इस ताजा रपट को भी यही कहकर रद्द कर दिया है।

 

टॅग्स :चीनUSभारत
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