चिकन नेक पर चीन की नई चाल?, पाकिस्तान और चीन की गोद में जा बैठे मो. यूनुस

By विजय दर्डा | Updated: April 7, 2025 05:14 IST2025-04-07T05:14:10+5:302025-04-07T05:14:10+5:30

चीन की चाल को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि चिकन नेक है क्या और फिर बात करेंगे कि मो. यूनुस ने जो भी कहा है, उसके मायने कितने खतरनाक हैं.

China new move Chicken Neck Muhammad Yunus lands lap Pakistan and China blog Dr Vijay Darda | चिकन नेक पर चीन की नई चाल?, पाकिस्तान और चीन की गोद में जा बैठे मो. यूनुस

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Highlightsचिकन नेक पर यह चीन की नई चाल है और पाकिस्तान मिलिट्री तथा आईएसआई इसमें शामिल हैं.पश्चिम बंगाल से जोड़ने वाला कॉरिडोर मुर्गी की गर्दन जैसा नजर आता है.लंबाई करीब 60 किलोमीटर और चौड़ाई कुछ जगहों पर महज 22 किलोमीटर है.

अब यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि बांग्लादेश में उपद्रव से पैदा हुई अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मो. यूनुस पूरी तरह से पाकिस्तान और चीन की गोद में जा बैठे हैं. भारत के खिलाफ उनकी हरकतें ऐसी हैं जैसे कोई पुरानी अदावत हो! अब भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लैंडलॉक्ड और इस इलाके में खुद को समंदर का एकमात्र संरक्षक बताने की जो हरकत उन्होंने की है, निश्चित रूप से उसके पीछे  चीन का दिमाग काम कर रहा है. चिकन नेक पर यह चीन की नई चाल है और पाकिस्तान मिलिट्री तथा आईएसआई इसमें शामिल हैं.

चीन की चाल को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि चिकन नेक है क्या और फिर बात करेंगे कि मो. यूनुस ने जो भी कहा है, उसके मायने कितने खतरनाक हैं. भारत का नक्शा देखिए तो पूर्वोत्तर के आठ राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा को पश्चिम बंगाल से जोड़ने वाला कॉरिडोर मुर्गी की गर्दन जैसा नजर आता है.

इसकी लंबाई करीब 60 किलोमीटर और चौड़ाई कुछ जगहों पर महज 22 किलोमीटर है. अरुणाचल प्रदेश पर चीन अपना दावा करता रहा है और हमारे देश के इस राज्य के स्थानों का वह अपने मानचित्र में नाम भी बदलता रहा है. उसकी चाहत है कि किसी तरह से पूर्वोत्तर के राज्यों को भारत से तोड़ दिया जाए.

चिकन नेक का गलियारा, जिसे दुनिया सिलिगुड़ी कॉरिडोर के नाम से भी जानती है, उसे भारत की कमजोर कड़ी लगती है. इसके एक तरफ भूटान और नेपाल हैं तो सामने की तरफ बांग्लादेश है. आपको याद होगा कि 2017 में उसने भूटान में घुसकर इसी गलियारे के पास डोकलाम में सड़क बनाने की कोशिश की थी और भारतीय सैनिकों ने बड़ी बहादुरी के साथ उसे रोक दिया था.

चीन डोकलाम पर दावा करता रहा है. विवाद लंबा चला और अंततः चीनी सैनिकों को पीछे हटना पड़ा. यदि वो सड़क चीन बना लेता तो जंग की किसी स्थिति में भारत कमजोर पड़ जाता. यही गलियारा पूर्वोत्तर सीमा पर भारत की सैन्य शक्ति का मुख्य स्रोत है. पाकिस्तान के साथ 1971 की जंग में पूर्वोत्तर के एयरबेस ने बड़ी भूमिका निभाई थी.

चीन और पाकिस्तान इस शक्ति को तोड़ना चाहते हैं और मो. यूनुस के रूप में उन्हें एक साथी मिल गया है. मो. यूनुस को सत्ता में बने रहना है तो उन्हें भारत के दोनों दुश्मनों का साथ चाहिए ही चाहिए. इसके लिए वे किसी भी हद तक अपने देश को बेचने के लिए तैयार नजर आते हैं. जिस पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश की बेटियों के साथ बलात्कार किया, कत्लेआम किया, वे उसी की गोद में जा बैठे हैं.

बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद चीन के साथ मो. यूनुस ने रिश्ते तेजी से बढ़ाए हैं. इस त्रिकोण में पाकिस्तान भी शामिल है और एक षड्यंत्र के तहत चीन पहुंच कर मो. यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लैंडलॉक्ड बताने के साथ खुद को समंदर का संरक्षक बता दिया यानी उनका आशय यह है कि चीन उनके देश को अपना ठिकाना बना सकता है.

व्यापार-व्यवसाय की बात तो षड्यंत्र को छिपाने के लिए की गई. बांग्लादेश को लगता है कि यदि भारत उसे तीन तरफ से घेरे हुए है तो उसने भी भारत को तीन तरफ से घेर रखा है. उसे लगता है कि यदि चीन उसके साथ आ गया तो उसकी शक्ति बढ़ जाएगी. अब यह खबर निकल कर सामने आ रही है कि मो. यूनुस ने चीन को बांग्लादेश में एयरबेस निर्माण के लिए भी आमंत्रित किया है.

माना जा रहा है कि बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में चीन ने एक एयरबेस बनाने का आश्वासन दिया है. यह भी तय हो चुका है कि एक पाकिस्तानी कंपनी यह एयरबेस बनाने वाली है. इसका मतलब यह है कि पाकिस्तानी जासूस बांग्लादेश में चप्पे-चप्पे पर तैनात होंगे. पहले ही यह तय हो चुका है कि बांग्लादेश की सेना को पाकिस्तानी सेना ट्रेनिंग देने वाली है.

खबर यह भी है कि चीन और उसकी कंपनियों की ओर से बांग्लादेश को करीब 2.1 अरब डॉलर के निवेश, कर्ज और अनुदान का आश्वासन मिला है. तीस्ता रिवर कॉम्प्रिहेंसिव मैनेजमेंट एंड रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट भी चीनी कंपनियों के हाथ में जाने वाला है. इस तरह चीन को पूरी तरह से बांग्लादेश का कंट्रोल मिलने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

अब जरा सोचिए कि चीन वहां एयरबेस बना लेता है, बांग्लादेश के समंदर तक उसकी पहुंच हो जाती है, बांग्लादेश के भीतर उसके सैनिक विभिन्न रूपों में तैनात हो जाते हैं और पाकिस्तानी सेना व आईएसआई अपना खेल खेलने लगेंगे तो भारत के लिए यह स्थिति कितनी खतरनाक हो सकती है. पूर्वोत्तर में चीन ने बड़े पैमाने पर उग्रवाद को फैला रखा है.

अभी मणिपुर के उपद्रव में बड़े पैमाने पर जो हथियार मिले हैं, उनमें चीनी हथियार ही बहुतायत में पाए गए हैं. पूर्वोत्तर के बहुत से उग्रवादी संगठनों को पैसे से लेकर हथियार तक चीन देता रहा है.यानी एक साजिश चल रही है कि भारत को अंदर से कमजोर करो और मौका मिलते ही एक साथ सीमा पर हमला कर दो!

हो सकता है कि हमले की यह आशंका आपको अतिशयोक्ति लगे लेकिन चीन और पाकिस्तान की जो पुरानी हरकतें रही हैं, वह ऐसी आशंकाओं को और मजबूत करती हैं. निश्चय ही भारत के सामने कई चुनौतियां हैं लेकिन भारत का नेतृत्व इस वक्त ऐसे हाथों में है जो चुनौतियों से निपटना जानता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थाईलैंड में मो. यूनुस को अच्छी तरह से आंखें दिखा दी हैं. हमारे पास नरेंद्र मोदी, अमित शाह और अजित डोभाल की तिकड़ी हर सांप का जहर उतारना जानती है. एस. जयशंकर कूटनीति के चाणक्य हैं. और हमारे जांबाज फौजी दुनिया के किसी भी दुश्मन को धूल चटाने की क्षमता रखते हैं.

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