ब्लॉगः नाइजर में तख्तापलट से अफ्रीका में शीत युद्ध की वापसी?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 10, 2023 09:50 AM2023-08-10T09:50:56+5:302023-08-10T09:51:27+5:30

बजौम ने यह भी कहा कि नाइजर अफ्रीका के अशांत साहेल क्षेत्र में एकमात्र लोकतांत्रिक देश है जो मानवाधिकारों का सम्मान करता है और ‘बोको हराम’ के माध्यम से आईएसआईएस के हमलों को झेलता है। उन्होंने कहा कि तख्तापलट की सफलता के ‘हमारी सीमाओं से कहीं बहुत आगे तक विनाशकारी परिणाम होंगे।’

Blog Coup in Niger Return of Cold War in Africa? | ब्लॉगः नाइजर में तख्तापलट से अफ्रीका में शीत युद्ध की वापसी?

ब्लॉगः नाइजर में तख्तापलट से अफ्रीका में शीत युद्ध की वापसी?

वप्पाला बालाचंद्रनः ऐसा लगता है कि ‘शीत युद्ध’ अफ्रीका में लौट आया है। 2020 के बाद से अफ्रीका में सोलह तख्तापलट या इसके प्रयास हो चुके हैं। इनमें से 9 पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्र में थे, ज्यादातर पूर्व फ्रांसीसी उपनिवेशों-माली, मध्य अफ्रीकी गणराज्य (सीएआर), नाइजर, ट्यूनीशिया, गिनी, बुर्किना फासो, गिनी बिसाऊ, साओ टोम, गाम्बिया, सूडान और सिएरा लियोन में। माली, बुर्किना फासो और सीएआर में तख्तापलट के लिए सीधे तौर पर रूसी ‘वैगनर समूह’ की गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया गया था।

हालांकि, वर्तमान नाइजर तख्तापलट (नाइजीरिया नहीं) ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। 2021 का चुनाव जीतने वाले राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को 26 जुलाई 2023 को उनके ही गार्डों ने उखाड़ फेंका और उनके महल में ही उन्हें कैदी के रूप में रखा गया। आश्चर्य की बात है कि इसने उन्हें वैश्विक नेताओं से बात करने या 3 अगस्त को वाशिंगटन पोस्ट में एक ऑप-एड प्रकाशित करने से नहीं रोका कि वह एक सैन्य जुंटा के बंधक हैं। उन्होंने कहा कि वह वैगनर समूह के माध्यम से रूस द्वारा अपने देश पर अप्रत्यक्ष रूप से कब्जा करने से रोकने के लिए अमेरिकी सैन्य मदद की अपील कर रहे थे, जैसा कि पड़ोसी माली और बुर्किना फासो में हुआ था, जो अब नाइजर में तख्तापलट का समर्थन कर रहे हैं।

बजौम ने यह भी कहा कि नाइजर अफ्रीका के अशांत साहेल क्षेत्र में एकमात्र लोकतांत्रिक देश है जो मानवाधिकारों का सम्मान करता है और ‘बोको हराम’ के माध्यम से आईएसआईएस के हमलों को झेलता है। उन्होंने कहा कि तख्तापलट की सफलता के ‘हमारी सीमाओं से कहीं बहुत आगे तक विनाशकारी परिणाम होंगे।’

इस बीच, सोशल मीडिया यह आरोप लगाने में सक्रिय रहा है कि यह संकट यूरेनियम के लिए नाइजर के फ्रांसीसी औपनिवेशिक शोषण के कारण उत्पन्न हुआ है। यह आम जनता को प्रभावित कर रहा है। ले मोंडे के अनुसार, फ्रांस अपनी 20 प्रतिशत ऊर्जा (यूरेनियम) जरूरतों के लिए नाइजर पर निर्भर है। नाइजर वर्तमान में वैश्विक यूरेनियम भंडार का 5 प्रतिशत उत्पादन करता है। प्रचार यह किया जा रहा है कि नाइजर, दुनिया का दूसरा सबसे गरीब देश, जहां लगभग 83 प्रतिशत आबादी बिना बिजली के है, यूरेनियम सस्ते में बेचने के लिए मजबूर है। रूसी समाचार एजेंसी तास का कहना है कि अगर नाइजर फ्रांस को यूरेनियम निर्यात बंद कर देता है तो चीन को फायदा होगा।
तख्तापलट राष्ट्रपति मैक्रों के लिए विशेष रूप से शर्मनाक था क्योंकि नाइजर की राजधानी नियामी में एक फ्रांसीसी सैन्य दल है जिसे वैगनर समूह की गतिविधियों के कारण पिछले साल माली से वापस लाया गया था।

Web Title: Blog Coup in Niger Return of Cold War in Africa?

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