बांग्लादेश के पद्मा पुल की क्या है कहानी और कैसे इसे मिलेगी दुष्प्रचार से मुक्ति?

By नंदिनी सिन्हा | Published: July 8, 2022 02:09 PM2022-07-08T14:09:25+5:302022-07-08T14:09:52+5:30

पद्मा पुल के निर्माण को लेकर अफवाहें अब भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं. पुल के उद्घाटन के साथ ही इसके निर्माण में हुई देरी और भ्रष्टाचार की बातों को लेकर सोशल मीडिया पर हेट पोस्ट और फेक न्यूज पोस्ट आने लगी.

Bangladesh's Padma bridge history, story and it be free from propaganda? | बांग्लादेश के पद्मा पुल की क्या है कहानी और कैसे इसे मिलेगी दुष्प्रचार से मुक्ति?

बांग्लादेश के पद्मा पुल की क्या है कहानी और कैसे इसे मिलेगी दुष्प्रचार से मुक्ति?

बांग्लादेश के इतिहास में 25 जून 2022 एक ऐतिहासिक दिन बन गया. इस दिन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद्मा पुल का उद्घाटन किया. इस पुल के शुरू हो जाने से बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से से राजधानी ढाका पहुंचने में पहले जो सात-आठ घंटे का समय लगता था, अब केवल दस मिनट लगता है. दक्षिण एशिया के इस सबसे नवनिर्मित राष्ट्र ने आजादी के 50 वर्ष बाद इस देश के सबसे लंबे पुल का निर्माण कर अपनी आर्थिक, भौगोलिक, राजनीतिक और वैश्विक क्षमता का विस्तार किया है.

बांग्लादेश के इस नवनिर्मित पुल ने साल 2014 में अपने निर्माण के पहले से ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी थीं. चाहे वह पुल के निर्माण में होने वाले भ्रष्टाचार की बात हो या विश्व बैंक द्वारा धन वापस लिए जाने अथवा नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. मोहम्मद यूनुस के वित्तपोषण के खिलाफ की जाने वाली पैरवी की बात हो. 21.5 मीटर चौड़े और 6.241 किमी लंबे इस बहुउद्देशीय सड़क-रेल पुल की निर्माण कथा इसकी उपलब्धि से ज्यादा दुष्प्रचारों के लिए जानी जा रही है.

पद्मा पुल के निर्माण में लगे धन को लेकर कई अफवाहें उड़ीं. यहां तक कहा गया कि इस पुल के निर्माण में चीन का पैसा लगा है. चीन ने अपने आर्थिक, राजनीतिक फायदे के लिए बांग्लादेश में बने इस पुल के निर्माण के लिए आर्थिक मदद की और यह पुल चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है. जबकि ये सारी बातें सिर्फ फेक न्यूज थीं जिसे तेजी से शेयर किया गया. 

चीन की चीन रेलवे मेजर ब्रिज इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड कंपनी (सीएमबीई) ने पुल का सिर्फ निर्माण किया है जबकि इसमें पैसा बांग्लादेश का ही लगा है. इसके बाद भी चीन द्वारा पुल के वित्त पोषण की बात प्रचारित होती रही.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन अफवाहों के प्रसार को देखते हुए बांग्लादेश की राजधानी ढाका से भी चीन से जोड़ने वाली खबरों का खंडन किया गया. बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने यह बयान जारी किया कि पद्मा बहुउद्देशीय पुल पूरी तरह से ढाका द्वारा वित्त पोषित है और किसी भी विदेशी फंड ने द्विपक्षीय या बहुपक्षीय वित्त पोषण एजेंसी से इसके निर्माण में वित्तीय रूप से योगदान नहीं किया है. 

पुल के उद्घाटन पर पूर्व नियोजित कार्यक्रम को भी बांग्लादेश सरकार ने सिर्फ इसलिए स्थगित कर दिया था क्योंकि चीन की ओर से इसके निर्माण को लेकर भ्रामक बातें फैलाई जा रही थीं. यहां तक कि कार्यक्रम में आने वाले चीन के मेहमान का भी नाम बाद में उद्घाटन के ई-कार्ड से हटा दिया गया. चीनी दूतावास के फेसबुक पेज और वेबसाइट पर आई सूचना को देखते हुए बांग्लादेश की सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स खासकर फेसबुक पर साल 2019 में यह अफवाहें भी फैलीं कि पद्मा पुल के निर्माण में मानव सिर की आवश्यकता होगी. ऐसी अफवाहों को देखते हुए 9 जुलाई 2019 को पुल निर्माण प्राधिकरण को मीडिया को एक अधिसूचना जारी कर बताना पड़ा कि ये अफवाहें हैं जो पूरी तरह से निराधार हैं. तब पुल निर्माण से जुड़े शोधकर्ताओं ने पुल निर्माण के अधिकारियों को पुल निर्माण से जुड़े सभी विवरणों को लोगों के समक्ष रखने की सलाह दी. अफवाहों और गलत खबरों का खंडन करते हुए बांग्लादेश के अखबारों ने भी जमकर लिखा.

पद्मा पुल के निर्माण को लेकर अफवाहें अब भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं. पुल के उद्घाटन के साथ ही इसके निर्माण में हुई देरी और भ्रष्टाचार की बातों को लेकर सोशल मीडिया पर हेट पोस्ट और फेक न्यूज पोस्ट आने लगी. इसे लेकर लोगों की गिरफ्तारी भी हुई. एक व्यक्ति ने पुल पर अनैतिक हरकत करते हुए (पद्मा पुल पर पेशाब करते हुए) अपनी तस्वीर लेने की इच्छा व्यक्त की थी वहीं एक और व्यक्ति ने पुल को लेकर खराब टिप्पणी करते हुए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. 

इस पर गिरफ्तारी भी हुई. वहीं एक टिकटॉक यूजर ने पुल का वीडियो बनाते हुए उसके बोल्ट के आसानी से खोल दिए जाने का वीडियो पोस्ट किया. पोस्ट वायरल होते ही ढाका में उसे हिरासत में ले लिया गया. कहना न होगा कि इस तरह की पोस्ट का मकसद पद्मा पुल और बांग्लादेश सरकार दोनों की प्रतिष्ठा को धूमिल करना था. 

Web Title: Bangladesh's Padma bridge history, story and it be free from propaganda?

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