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ब्लॉग: बंदूक-संस्कृति से दागदार होती अमेरिका की छवि

By ललित गर्ग | Published: October 28, 2023 11:19 AM

अमेरिका में एक हत्यारे ने गोलियां बरसाकर करीब डेढ़ दर्जन लोगों को मौत की नींद सुला दिया। दुनिया में बंदूक की संस्कृति को बल देने वाले अमेरिका के लिए अब यह एक बड़ी समस्या बन चुकी है। अमेरिका घृणा, अपराध, हिंसा और बंदूक संस्कृति के गढ़ के रूप में पहचान बना रहा है।

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ठळक मुद्देदुनिया में बंदूक की संस्कृति को बल देने वाले अमेरिका के लिए अब यह एक बड़ी समस्या बन चुकी हैकोई भी सामान्य सा दिखने वाला आदमी हथियार लेकर आता है और अनेक लोगों की जान ले लेता हैअमेरिकी प्रशासन को ‘बंदूक संस्कृति’ ही नहीं बल्कि हथियार संस्कृति पर भी अंकुश लगाना होगा

दुनिया में स्वयं को सभ्य एवं स्वयंभू मानने वाले अमेरिका में बढ़ रही ‘बंदूक संस्कृति’ के साथ-साथ लोगों में बढ़ रही असहिष्णुता, हिंसक मनोवृत्ति और आसानी से हथियारों की सहज उपलब्धता का दुष्परिणाम बार-बार होने वाली दुखद घटनाओं के रूप में सामने आना चिंताजनक है। हाल ही में अमेरिका में एक हत्यारे ने गोलियां बरसाकर करीब डेढ़ दर्जन लोगों को मौत की नींद सुला दिया।

दुनिया में बंदूक की संस्कृति को बल देने वाले अमेरिका के लिए अब यह एक बड़ी समस्या बन चुकी है। अमेरिका घृणा, अपराध, हिंसा और बंदूक संस्कृति के गढ़ के रूप में पहचान बना रहा है।कोई भी सामान्य सा दिखने वाला आदमी हथियार लेकर आता है और अनेक लोगों की जान ले लेता है। नवीनतम घटना 25 अक्तूबर को देर रात ‘एंड्रोस्कोगिन काउंटी’ के अंतर्गत पड़ने वाले लेविस्टन में हुई, इस हादसे का सबसे खराब पहलू यह है कि अनेक लोग भगदड़ की वजह से घायल हुए तो अनेक हत्यारे की गोलियों से मौत की नींद सो गए।

नरसंहार के कथित आरोपी 40 वर्षीय रॉबर्ट कार्ड को पुलिस ने हथियारबंद और खतरनाक व्यक्ति माना है, पर सवाल है कि क्या वह रातोंरात हत्यारा एवं हिंसक हुआ है। हत्यारा रॉबर्ट कार्ड अमेरिकी सेना से जुड़ा रहा है और आग्नेयास्त्र प्रशिक्षक है। मानसिक अस्वस्थता एवं मनोविकारों से ग्रस्त हत्यारे के खिलाफ अनेक शिकायतें पहले भी मिल चुकी थीं। प्रश्न है कि उन्हें क्यों नहीं गंभीरता से लिया गया।

अमेरिका में आए दिन ऐसी खबरें आती रहती हैं कि किसी सिरफिरे ने अपनी बंदूक से कहीं स्कूल में तो कभी बाजार में अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी और उसमें नाहक ही लोग मारे गए। अब तो अमेरिकी बच्चों के हाथों में भी बंदूकें हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण वहां आम लोगों के लिए हर तरह के बंदूकों की सहज उपलब्धता है और इन बंदूकों का उपयोग मामूली बातों और उन्मादग्रस्त होने पर अंधाधुंध गोलीबारी में होता रहा है, जो गहरी चिंता का कारण बनता रहा। खुद सरकार की ओर से कराए गए एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया था कि अमेरिका में सत्रह साल से कम उम्र के करीब तेरह सौ बच्चे हर साल बंदूक से घायल होते हैं।

अमेरिकी प्रशासन को ‘बंदूक संस्कृति’ ही नहीं बल्कि हथियार संस्कृति पर भी अंकुश लगाना होगा, अब तो दुनिया को जीने लायक बनाने में उसे अपनी मानसिकता को बदलना होगा। किसी भी संवेदनशील समाज को इस स्थिति को एक गंभीर समस्या के रूप में देखना-समझना चाहिए। यह बेवजह नहीं है कि जिस अमेरिका में ज्यादातर परिवारों के पास अलग-अलग तरह की बंदूकें रही हैं, वहां अब इस हथियार की संस्कृति के खिलाफ आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं।  

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