America Donald Trump: चार साल के ब्रेक के बाद ट्रम्प रेजीम पुनः शुरू हो गई है. डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन गए हैं. उनका दूसरा कार्यकाल पहले कार्यकाल से भिन्न होगा क्योंकि इस बार ट्रम्प प्रशासन को चलाने वाले ड्राइवर्स बदल गए हैं. हालांकि डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियां ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ और ‘अमेरिका फर्स्ट’ के इर्द-गिर्द सिमटी रहेंगी. लेकिन प्रश्न यह है कि क्या इस बार भी ‘अमेरिका फर्स्ट’ एक ‘छद्म शब्दावली’ ही बनी रहेगी जिसे पिछली बार ‘अमेरिकी बिजनेस क्लास फर्स्ट’ के रूप में अधिक देखा गया था. या फिर वह इस बार एलन मस्क के दबाव में सिर चढ़कर बोलेगा?
हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ के लिए कौन से कदम उठाए जाएंगे और ‘अमेरिका फर्स्ट’ किस मैकेनिज्म और स्ट्रैटेजी पर काम करेगा, लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी ‘विक्ट्री स्पीच’ से जो संकेत दिए हैं वे अमेरिका को टकराव की ओर ले जाने वाले हैं. अब देखना है कि ट्रम्प रेजीम 2 भारत पर क्या असर डालती है.
रक्षा और रणनीति (डिफेंस और स्ट्रैटेजी) की दृष्टि से देखें तो डोनाल्ड ट्रम्प के शासन काल में ही भारत ‘मेजर स्ट्रैटेजिक पार्टनर’ तक पहुंचा. भारत ने अमेरिका के साथ चार फाउंडेशनल एग्रीमेंट किए हैं जिनमें से दो ट्रम्प के समय ही हस्ताक्षरित हुए. पहला तो अटल बिहारी वाजपेयी जी के शासन के दौरान हस्ताक्षरित हुआ था और शेष तीन वर्ष 2016 से 2020 के बीच हस्ताक्षरित हुए जिनमें दो ट्रम्प के शासनकाल में.
इनमें से एक था- कम्युनिकेशंस एंड इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (कॉमकासा) और दूसरा था- बेका (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट). कॉमकासा के तहत भारत को सी-17, सी-130 और पी-8आई जैसे अमेरिकी ओरिजिन मिलिट्री प्लेटफार्म सूचनाओं को इनक्रिप्ट करने वाले विशिष्ट उपकरण हासिल करने की सुविधा मिल गई.
इसके बाद अमेेरिका द्वारा भारत को एसटीए1 (कंट्रीज एनटाइटिल्ड टू स्टैटेजिक ट्रेड अथॉराइजेशन) की श्रेणी प्रदान की गई जो उच्च तकनीकी व्यापार के लिए मार्ग प्रशस्त करती है. ध्यान देेने योग्य बात यह है कि भारत ऐसा पहला गैर नाटो देश था जिसे यह सुविधा हासिल हुई थी. बेका (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट) के दो आयाम थे.
पहला- भारत और अमेरिका के बीच भविष्य में महत्वपूर्ण और संवेदनशील खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान. और दूसरा- भारत को अमेरिका से सबसे उन्नत हथियार और उपकरण खरीदने की सुविधा. इसके बाद भारत की क्लासीफाइड भू-स्थानिक डेटा के साथ-साथ सैन्य एप्लीकेशंस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी तक पहुंच होना सुनिश्चित हो गया. यह बड़ी उपलब्धि थी.
कुल मिलाकर रक्षा और रणनीति के क्षेत्र में ऐसे बहुत से आयाम हैं जो भारत ने डोनाल्ड ट्रम्प के पहले कार्यकाल में हासिल किए थे. मुझे लगता है कि ट्रम्प आगे भी भारत के साथ ऐसे ही संबंध रखना चाहेंगे क्योंकि हिंद-प्रशांत में अमेरिकी उद्देश्य बिना भारत के पूरे नहीं हो सकते.