विवेक शुक्ला का ब्लॉग: ए.जी. नूरानी ने जिन्ना और भुट्टो को किया था बेनकाब

By विवेक शुक्ला | Updated: August 31, 2024 09:53 IST2024-08-31T09:51:09+5:302024-08-31T09:53:45+5:30

नूरानी ने भारत-चीन संबंधों, कश्मीर और भगत सिंह के मुकदमे के अलावा भी कई किताबें और सैकड़ों शोधपरक लेख लिखे. उनकी दिलचस्पी के विषयों में पाकिस्तान भी था. 

A.G. Noorani had exposed Jinnah and Bhutto | विवेक शुक्ला का ब्लॉग: ए.जी. नूरानी ने जिन्ना और भुट्टो को किया था बेनकाब

विवेक शुक्ला का ब्लॉग: ए.जी. नूरानी ने जिन्ना और भुट्टो को किया था बेनकाब

Highlightsविधिवेत्ता और प्रख्यात लेखक ए.जी. नूरानी का 94 साल की उम्र में गुरुवार को मुंबई में निधन हो गया. उनकी शख्सियत का सबसे अहम पहलू यह था कि वे तर्कों और साक्ष्यों के आधार पर अपनी बात रखते थे, हवा-हवाई बातें नहीं करते थे. उन्होंने ही पहली बार लिखा था कि मोहम्मद अली जिन्ना की नीतियों के कारण हैदराबाद रियासत के भारत में विलय में दिक्कतें आईं.

विधिवेत्ता और प्रख्यात लेखक ए.जी. नूरानी का 94 साल की उम्र में गुरुवार को मुंबई में निधन हो गया. उनकी शख्सियत का सबसे अहम पहलू यह था कि वे तर्कों और साक्ष्यों के आधार पर अपनी बात रखते थे, हवा-हवाई बातें नहीं करते थे. नूरानी ने भारत-चीन संबंधों, कश्मीर और भगत सिंह के मुकदमे के अलावा भी कई किताबें और सैकड़ों शोधपरक लेख लिखे. उनकी दिलचस्पी के विषयों में पाकिस्तान भी था. 

उन्होंने ही पहली बार लिखा था कि मोहम्मद अली जिन्ना की नीतियों के कारण हैदराबाद रियासत के भारत में विलय में दिक्कतें आईं. नूरानी ने ही दुनिया को बताया था कि देश के बंटवारे से कुछ समय पहले तक जिन्ना एयर इंडिया के शेयर खरीद रहे थे. उन्हें लग रहा था कि इससे उन्हें लाभ हो जाएगा. जिन्ना अपनी सारी इनवेस्टमेंट बहुत सोच-समझकर करते थे. 

नूरानी मानते थे कि जिन्ना के मन में कहीं न कहीं शंका थी कि पाकिस्तान सच में दुनिया के नक्शे में आ ही जाएगा, इसलिए जिन्ना अपने पैसे का इनवेस्ट उन दिनों भी कर रहे थे जब पाकिस्तान के लिए आंदोलन अपने चरम पर था. नूरानी ने जुल्फिकार अली भुट्टो की भी कलई खोली थी. उन्होंने साबित किया था कि अपने को सबसे बड़ा पाकिस्तानी बताने वाला इंसान तो 1958 तक भारत का नागरिक बना हुआ था. 

ए.जी. नूरानी ने अपने एक लेख में दावा किया था कि भुट्टो पाकिस्तान बनने के 11 सालों तक अपने को अदालतों में भारतीय ही बता रहे थे. भुट्टो के पिता सर शाहनवाज भुट्टो का मुंबई के चर्चगेट में एस्टोरिया होटल और वर्ली में एक बंगला, 'माई नेस्ट' नाम से था. वह जूनागढ़ के दीवान थे. वे जूनागढ़ के 1947 में भारत में विलय के बाद कराची में बस गए थे. पर जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपने परिवार की मुंबई की संपत्ति पर दावा नहीं छोड़ा. 

भुट्टो कहते रहे कि वे एक भारतीय नागरिक हैं, जिसकी संपत्तियों को शत्रु की संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता था. ए.जी. नूरानी पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान की 3 मार्च और 30 जून, 1967 की डायरी की दो प्रविष्टियों के हवाले से बेहद सनसनीखेज जानकारी देते हैं. 

उनमें से एक इस प्रकार है: "भारत से कुछ दस्तावेज मेरे हाथ आए, जिसमें बताया गया कि भुट्टो 1958 तक दावा करते रहे थे कि वह एक भारतीय नागरिक हैं और कि वह कराची में केवल अस्थायी रूप से रह रहे हैं. इससे पता चलता है कि यह आदमी (भुट्टो) कितना बेईमान और घटिया इंसान है." 

दूसरी प्रविष्टि में लिखा है "भुट्टो 1958 में पाकिस्तान का मंत्री बनने से कुछ माह पहले तक, भारतीय अदालतों के सामने घोषणा कर रहे थे कि वह कराची में रहने वाले एक भारतीय नागरिक हैं. इसके पीछे उनका मकसद उन संपत्तियों को लेना था जो उनके माता-पिता ने देश के बंटवारे के बाद भारत में छोड़ी थीं. यह हमें तब तक पता नहीं चला जब तक कि इस मामले पर भारतीय संसद में चर्चा नहीं हुई."

Web Title: A.G. Noorani had exposed Jinnah and Bhutto

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