आज दुनिया ऐसे दौर में पहुंच गई है जहां तेज कम्प्यूटिंग और इंटरनेट के बिना सहज जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। कोविड जैसी महामारी के इलाज के संबंध में रोगियों के आंकड़े जमा करने हों या अरबों की आबादी तक टीकों के वितरण का प्रबंध करना हो, मौसम संबंधी जानकारियों और असंख्य सूचनाओं का तेज विश्लेषण करना हो या देश के विकास की परियोजनाओं की स्थितियों की गणना करनी हो तो ये काम बिना तेज कम्प्यूटिंग के संभव नहीं है।
इस मामले में हमारे देश से जुड़ी नई जानकारी यह है कि हाल में तीन नए सुपर कम्प्यूटिंग परम रुद्र राष्ट्र को समर्पित किए गए हैं। पुणे, दिल्ली और कोलकाता के अग्रणी वैज्ञानिक अनुसंधानों के कामकाज में तीव्रता लाने के लिए सुपर कम्प्यूटरों- परम रुद्र को विकसित करके स्थापित किया गया है।
उम्मीद है कि विभिन्न संस्थानों में लगाए गए ये सुपर कम्प्यूटर तकनीकी राष्ट्र के रूप में भारत के विकास की नई गाथा लिखने में मददगार साबित होंगे। पर क्या इनसे कम्प्यूटिंग में हमारे देश की हैसियत में वास्तव में कोई इजाफा होगा? क्या इनसे हम उन विकसित देशों की बराबरी कर सकेंगे जो सुपर कम्प्यूटिंग में छाए हुए हैं?
तुलना करें तो टॉप 500 की सूची में भारत फिलहाल 20वें स्थान पर है। इस सूची के मुताबिक भारत के पास ऐसे 11 सुपर कम्प्यूटर हैं जो अपनी क्षमताओं के आधार पर लिस्ट में जगह बनाने की हैसियत रखते हैं। हालांकि हमारे देश में कई और सुपर कम्प्यूटर भी हैं, लेकिन परम रुद्र की स्थापना के साथ उम्मीद है कि भारत शीर्ष सुपर कम्प्यूटरों की सूची में जल्द ही नए मुकाम पर होगा।
अभी जिस परम रुद्र की चर्चा है, उनमें से एक सुपर कम्प्यूटर पुणे स्थित विशालकाय मीटर रेडियो टेलिस्कोप (जीएमआरसी) में स्थापित किया गया है। इसकी मदद से खगोलीय संकेतों को समझने और विशेष रूप से फास्ट रेडियो बर्स्ट (रेडियो संकेतों) को पकड़ने के लिए आंकड़ों का तेजी से संसाधन किया जा सकेगा। दूसरे, परम रुद्र को दिल्ली स्थित इंटर यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर (आईयूएसी) में स्थापित किया गया है।
यह परम रुद्र सुपर कम्प्यूटर पदार्थ विज्ञान और परमाणु भौतिकी के क्षेत्र में अनुसंधान की गति में तेजी लाने में योगदान देगा। तीसरा परम रुद्र कोलकाता के एसएन बोस सेंटर में लगाया गया है। वहां इसकी मदद से भौतिकी, ब्रह्मांड विज्ञान और पृथ्वी के संचालन संबंधी गतिविधियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा।
ध्यान रहे कि भारत ने पहले सुपर कम्प्यूटर- परम 8000 के निर्माण की तरफ तब कदम बढ़ाए थे, जब अमेरिका ने भारत को सुपर कम्प्यूटर देने से इनकार कर दिया था। यह नब्बे के दशक की बात है, जब 1987 में अमेरिका ने भारत को क्रे नामक सुपर कम्प्यूटर देने से मना कर दिया था।
तब इस चुनौती को स्वीकार करते हुए सरकार के निर्देश पर भारतीय वैज्ञानिक डॉ. विजय भटकर और उनके सहयोगियों ने परम 8000 नामक पहला सुपर कम्प्यूटर बनाया था।