लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: क्वांटम चिप : कम्प्यूटिंग में दबदबे की होड़ 

By अभिषेक कुमार सिंह | Updated: December 18, 2024 06:44 IST

कोई शक नहीं कि इस कम्प्यूटर ने दुनिया भर में अपनी जगह बनाई और उपयोगिता साबित की.

Open in App

बीती शताब्दी में जब कम्प्यूटर का स्वप्न बुना जा रहा था, तो साधारण पीसी (पर्सनल कम्प्यूटर) ही सबसे बड़ी उपलब्धि माना जाता था. 1973 में अमेरिकी के उत्तरी कैलिफोर्निया में डिरॉक्स कॉरपोरशन के पालो ऑल्टो रिसर्च सेंटर में पहले-पहल बने साधारण पीसी ने जिस क्रांति की शुरुआत की थी, वह दस साल के अंदर आईबीएम के माइक्रो कम्प्यूटर बाजार में आने के बाद अपने उत्कर्ष पर मानी जाने लगी.

इस उपलब्धि की बदौलत 1982 में अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका ‘टाइम’ ने कम्प्यूटर को ‘मशीन ऑफ द ईयर’ की उपाधि दी थी. यह माइक्रो कम्प्यूटर शुरुआती पीसी से औसतन 300 गुना ज्यादा शक्तिशाली, मेमोरी के मामले में 2000 गुना तेज और आंकड़ों के भंडारण के लिए एक लाख गुना ज्यादा स्पेस रखने वाला था. कोई शक नहीं कि इस कम्प्यूटर ने दुनिया भर में अपनी जगह बनाई और उपयोगिता साबित की. लेकिन बीते पांच दशकों में कम्प्यूटिंग की दुनिया माइक्रो चिप्स की बदौलत एक ऐसे शीर्ष पर पहुंच गई जहां सुपर और क्वांटम कम्प्यूटरों की बात होने लगी.

हाल में, इसकी चर्चा इंटरनेट कंपनी गूगल के नए ऐलान से उठी जिसमें दावा किया गया है कि गूगल ने ‘विलो’ नामक एक ऐसा क्वांटम कम्प्यूटिंग चिप विकसित कर लिया है, जो कई ऐसे काम मिनटों में कर देगा जिन्हें हल करने में आज के सर्वश्रेष्ठ सुपर कम्प्यूटरों को 10 सेप्टिलियन (1 के बाद 25 शून्य लगाने से यह संख्या मिलती है) लग सकते हैं. यानी ब्रह्मांड की मौजूदा उम्र (13.8 अरब वर्ष) से भी करोड़ों गुना अधिक समय में जो काम सुपर कम्प्यूटर करेंगे, उन्हें यह क्वांटम चिप चुटकियों में कर सकता है.

क्वांटम कम्प्यूटिंग को और ज्यादा ताकतवर बनाने में मददगार इस चिप के चमत्कार से दुनिया को परिचित होने में अभी वक्त लगेगा. वजह यह है कि अभी की घोषणा के मुताबिक गूगल के विलो चिप का यह प्रायोगिक संस्करण है और इसे हकीकत में बदलने में कुछ समय और लगेगा. पर यहां एक अहम सवाल यह है कि आखिर ऐसे कौन से काम हैं, जिनके लिए ऐसे ताकतवर और फुर्तीले कम्प्यूटिंग सिस्टम तथा चिप की जरूरत है जबकि एक ताकतवर कम्प्यूटर में बदल चुके हमारे स्मार्टफोन ही सैकड़ों ऐसे काम कर पा रहे हैं, जिन्हें 90 के दशक में भारी-भरकम कम्प्यूटरों से करना संभव नहीं था.

इसका जवाब यह है कि भले ही तमाम गणनाएं और आंकड़ों की प्रोसेसिंग हमारे स्मार्टफोन कर ले रहे हैं, लेकिन अभी भी कई ऐसे मोर्चे हैं जो छोटे-मोटे कम्प्यूटरों के वश की बात नहीं है. जैसे, मौसम की सटीक जानकारियों, अंतरिक्ष के रहस्यों और धरती की विभिन्न गतिविधियों से जुड़े आंकड़ों का तेजी से संसाधन (प्रोसेसिंग) और उनका संग्रहण करने के लिए सुपर कम्प्यूटरों का सहारा लिया जाता है.

इसके आगे क्वांटम कम्प्यूटिंग की बात करें तो सुरक्षित ढंग से पैदा की जाने वाली फ्यूजन ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन रोकना, साइबर सुरक्षा, डाटा प्रोसेसिंग, दवाओं और वैक्सीनों की तेजी से खोज करना और बैटरी डिजाइन करना-ये कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां सुपर से भी ऊपर की कम्प्यूटिंग की जरूरत पड़ रही है. इनमें से कुछ क्षेत्रों से जुड़ी समस्याएं तो ऐसी हैं, जिनका तेज और जल्द समाधान दुनिया की आरंभिक जरूरतों में शुमार हो गया है. जैसे कि जलवायु परिवर्तन.

गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के मुताबिक 300 लोगों की टीम विलो चिप की मदद से ऐसा ही क्वांटम कम्प्यूटर बनाने के मकसद के साथ काम कर रही है, जो तमाम असंभव मानी जाने वाली समस्याओं का हल निकाल सके.

टॅग्स :कंप्यूटरTechnical Advisory Committee
Open in App

संबंधित खबरें

टेकमेनियाएआई की सफलताएं शानदार, लेकिन सतर्क भी रहें!

टेकमेनियाप्रकाश का ठोस रूप संचार में ला सकता है क्रांति

क्राइम अलर्टइस तरह की धोखाधड़ी का कोई अंत है या नहीं?

टेकमेनियाब्लॉग: इंटरनेट से बढ़ता अंतरिक्ष में कचरे का खतरा

कारोबारNational Computer Security Day: डिजिटल युग में कम्प्यूटर सुरक्षा की चुनौती 

टेकमेनिया अधिक खबरें

टेकमेनियाक्या है संचार साथी? साइबर सिक्योरिटी ऐप जिसे सरकार क्यों चाहती है भारत के हर नए स्मार्ट फोन में हो इंस्टॉल

टेकमेनियाएक्टिव सिम के बिना नहीं चलेगा आपका WhatsApp, केंद्र ने साइबर क्राइम रोकने के लिए नए नियम जारी किए

टेकमेनियाक्या है क्लाउडफ्लेयर में रुकावट की वजह? जानिए एक्स, चैटजीपीटी और दूसरी लोकप्रिय वेबसाइटें क्यों हुईं डाउन?

टेकमेनियाX Down: एलन मस्क का एक्स उपयोगकर्ताओं के लिए हुआ डाउन, यूजर हुए परेशान

टेकमेनियागंभीर संकट परोस रहा है सोशल मीडिया