महाराष्ट्र में 30 लाख रु. से अधिक कीमत वाले इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर प्रस्तावित छह प्रतिशत टैक्स के फैसले को वापस लेने की मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की घोषणा ने लोगों के इस भरोसे को बरकरार रखा है कि राज्य सरकार पर्यावरण अनुकूल इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है.
दरअसल राज्य सरकार के वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में 30 लाख रु. से अधिक कीमत वाले हाईएंड इलेक्ट्रिक वाहनों पर छह प्रतिशत टैक्स लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया था. हालांकि यह मानना गलत नहीं है कि जो लोग 30 लाख रु. या उससे अधिक कीमत की गाड़ी लेने की क्षमता रखते हैं, वे इस पर छह प्रतिशत टैक्स देने की क्षमता भी तो रखते ही होंगे, लेकिन डर यह था कि पैसे बचाने के चक्कर में सम्पन्न लोग कहीं महंगी ईवी लेने के बजाय प्रदूषण फैलाने वाली महंगी एसयूवी गाड़ियों की ओर न मुड़ जाएं.
इससे छह प्रतिशत टैक्स लगाने से राजस्व तो कुछ खास हासिल होगा नहीं, उल्टे पर्यावरण स्वच्छ रखने की मुहिम को बड़ा धक्का लग सकता है. हालांकि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा है कि अगले छह माह में ईवी के दाम पेट्रोल वाहनों के बराबर हो जाएंगे. जाहिर है कि ऐसे में लोगों का झुकाव स्वयं ही इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ेगा.
लेकिन जब तक ऐसा नहीं हो जाता, इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए दिए जाने वाले प्रोत्साहनों को बरकरार रखना जरूरी है. वैसे भी दुनिया में बिकने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की सूची में अभी हमारे देश का स्थान बहुत पीछे है. आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2024 में पूरी दुनिया में बिकने वाले ईवी में अकेले चीन का हिस्सा 80 प्रतिशत था. चीन दुनिया का सबसे बड़ा इलक्ट्रिक वाहन उत्पादक भी है.
हालांकि हमारे देश में भी इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और महाराष्ट्र में नए पंजीकृत वाहनों में से 50 प्रतिशत से अधिक अब ईवी हैं. वर्ष 2023 में देश में 16 लाख ईवी की बिक्री हुई थी, जबकि 2024 में यह संख्या 20 लाख के पार हो गई.
निश्चित रूप से इसमें सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं, नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते स्रोतों और सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की बढ़ती संख्या का योगदान है. वर्ष 2030 तक देश की सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या 2.8 करोड़ को पार कर जाने की संभावना है.
जाहिर है कि ऐसे माहौल में अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को प्रोत्साहन ही दिए जाने की जरूरत है और इसके मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने 30 लाख रु. से अधिक कीमत वाले ईवी पर प्रस्तावित छह प्रतिशत के टैक्स को वापस लेकर बिल्कुल सही निर्णय लिया है.