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एआई की सफलताएं शानदार, लेकिन सतर्क भी रहें!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 22, 2025 07:16 IST

वहीं दूसरी तरफ चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपनएआई के मॉडल o1 ने खुद को बाहरी सर्वर पर डाउनलोड करने की कोशिश की और जब चैटजीपीटी से इस बारे में पूछा गया तो उसने साफ इंकार कर दिया.

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दुनिया में जहां कभी हम इंसानों के अपनी सफलता के झंडे गाड़ने की खबरें आया करती थीं, अब रोबोट की आने लगी हैं. हाल ही में चीन में एक रोबोट को हाईस्कूल का डिप्लोमा प्रदान किया गया है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और रोबोटिक्स के क्षेत्र में नए-नए कीर्तिमान रचने वाले चीन का हालिया कारनामा जहां दुनिया को हैरान कर रहा है, वहीं इससे दुनिया में शिक्षा और तकनीक के संबंधों को लेकर बहस भी छिड़ गई है.

एक वर्ग जहां इसे भविष्य की दिशा में उठाया गया ऐतिहासिक कदम मान रहा है जिससे शिक्षा क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खुल सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ कई लोग इसे शिक्षा व्यवस्था के लिए खतरा बता रहे हैं. उनका कहना है कि अगर रोबोट को डिग्री दी जाने लगेगी तो क्या भविष्य में इंसानी छात्रों के लिए अवसर कम नहीं होंगे? रोबोट ने जहां से परीक्षा दी है, वहां के स्कूल प्रशासन का कहना है कि रोबोट ने सभी विषयों में बेहद अच्छा प्रदर्शन किया है.

डिप्लोमा लेते समय रोबोट के आत्मविश्वास से भरे हावभाव की भी सराहना हो रही है. अभी तक रोबोट का नियंत्रत उसे कोड करने वाले इंसानों के हाथों में रहता आया है लेकिन अब नए जमाने के रोबोटों को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि वे अपनी गलतियों से सीखकर खुद को विकसित कर रहे हैं. इंसान जहां अपनी गलतियों को दुहराते-तिहराते रहते हैं, वहीं रोबोट द्वारा गलतियों को दुहराने की संभावना लगभग शून्य होती है. ऐसे में क्या यह आशंका नहीं पैदा होती है कि रोबोट बहुत जल्दी अपने निर्माता इंसानों को बहुत पीछे छोड़ देंगे! पिछले दिनों कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जो भविष्य के एआई को लेकर डरावनी तस्वीर मन में बनाती हैं.

अभी पिछले महीने ही एक टेस्ट में एंथ्रोपिक कंपनी के एआई मॉडल क्लाउड 4 को जब बंद करने की चेतावनी दी गई तो उसने एक इंजीनियर को ब्लैकमेल करते हुए उसके विवाहेतर संबंधों की बात को सार्वजनिक करने की धमकी दे डाली. वहीं दूसरी तरफ चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपनएआई के मॉडल o1 ने खुद को बाहरी सर्वर पर डाउनलोड करने की कोशिश की और जब चैटजीपीटी से इस बारे में पूछा गया तो उसने साफ इंकार कर दिया.

एमआईटी के शोधकर्ताओं ने भी एक रिसर्च में पाया कि एआई मॉडल्स ने इकोनॉमिक डील्स में धोखाधड़ी करके खुद को ‘मरा हुआ’ दिखाकर सेफ्टी टेस्ट से बचने तक की कोशिश की ताकि उन्हें हटाया न जाए. ये घटनाएं साबित करती हैं कि एआई के भीतर हम इंसानों की तरह भावनाएं भले न आ पाई हों लेकिन चालाकी जरूर आ गई है.

चीन में डिप्लोमा पाने वाले जिस रोबोट ने छात्रों के बीच रहकर बाकायदा हाईस्कूल तक की पढ़ाई की है, उसने क्या हम इंसानों की खूबियों ही नहीं बल्कि खामियों को भी अच्छी तरह से नहीं समझ लिया होगा? हम मनुष्यों की शिक्षा प्रणाली से अगर उसने यह समझा होगा कि किसी भी परिस्थिति में अपने  वजूद को बनाए रखना है तो कभी अपने अस्तित्व पर खतरा नजर आने पर क्या वह हम इंसानों को भी अपना दुश्मन समझ कर हमने वैसा ही बर्ताव नहीं करने लगेगा?

सच तो यह है कि आज शायद कोई भी ठीक-ठीक यह नहीं जानता कि भविष्य में एआई की अपने अनुभवों से खुद सीखने की क्षमता क्या गुल खिलाने वाली है. ऐसे में क्या फूंक-फूंक कर कदम रखना ही बेहतर नहीं होगा? जिन्न अगर एक बार बोतल से बाहर आ गया तो क्या उसे दुबारा उसमें बंद करना भी उतना ही आसान होगा?

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