श्री श्री रविशंकर का ब्लॉग: बीते हुए समय से कुछ सीखें
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 1, 2019 09:51 PM2019-01-01T21:51:37+5:302019-01-01T21:51:37+5:30
2019 का स्वागत अपनी आंतरिक मुस्कान के साथ करें. कैलेंडर के पन्ने पलटने के साथ-साथ हम अपने मन के पन्नों को भी पलटते जाएं. प्राय: हमारी डायरी स्मृतियों से भरी हुई होती है.
प्रतिवर्ष हम नए साल का स्वागत दूसरों को खुशी तथा संपन्नता की शुभकामना देकर करते हैं. संपन्नता का चिह्न् क्या है? संपन्नता का चिह्न् है मुक्ति, मुस्कान तथा जो कुछ भी अपने पास है उसे निर्भय हो कर आसपास के लोगों के साथ बांटने की मन:स्थिति. संपन्नता का चिह्न् है दृढ़ विश्वास, कि जो भी मुङो चाहिए वह मुङो मिल जाएगा.
2019 का स्वागत अपनी आंतरिक मुस्कान के साथ करें. कैलेंडर के पन्ने पलटने के साथ-साथ हम अपने मन के पन्नों को भी पलटते जाएं. प्राय: हमारी डायरी स्मृतियों से भरी हुई होती है. आप देखें कि आपके भविष्य के पन्ने बीती हुई घटनाओं से न भर जाएं. बीते हुए समय से कुछ सीखें, कुछ भूलें और आगे बढ़ें.
आप लोभ, घृणा, द्वेष तथा ऐसे अन्य सभी दोषों से मुक्त होना चाहते हो. यदि मन इन नकारात्मकताओं में लिप्त है तो वह खुश तथा शांत नहीं रह सकता. आप अपना जीवन आनंदपूर्वक नहीं बिता सकते. नकारात्मक भावनाएं भूतकाल की वजह से हैं और आप अपने भूतकाल को अपने वर्तमान जीवन के अनुभव को नष्ट न करने दें. भूतकाल को क्षमा कर दें. यदि आप अपने बीते हुए समय को क्षमा नहीं कर पाएंगे तो आप का भविष्य दु:खपूर्ण हो जाएगा. पिछले साल, जिनके साथ आप की अनबन रही है, इस साल आप उनके साथ सुलह कर लें.
नया जीवन शुरू करने का संकल्प करें. इस बार नववर्ष के आगमन पर हम इस पृथ्वी पर सभी के लिए शांति तथा संपन्नता के संकल्प के साथ सभी को शुभकामनाएं दें. आर्थिक मंदी, आतंकवाद की छाया तथा बाढ़ व अकाल के इस समय में और अधिक नि:स्वार्थ सेवा करें. जानें कि इस संसार में हिंसा को रोकना ही हमारा प्राथमिक उद्देश्य है तथा विश्व को सभी प्रकार की सामाजिक तथा पारिवारिक हिंसा से मुक्त करना है.
जीवन का आध्यात्मिक पहलू हममें संपूर्ण विश्व, संपूर्ण मानवता के प्रति और अधिक अपनेपन, संवेदना तथा सेवा का भाव विकसित करता है. अपने सच्चे स्वरूप में आध्यात्मिक पहलू जाति, धर्म तथा राष्ट्रीयता की संकुचित सीमाओं को तोड़ देता है तथा सभी को, सर्वत्न व्याप्त जीवन से अवगत कराता है. इस वर्ष अपनी भक्ति को खिलने दें. उसे व्यक्त होने का अवसर दें.