जवाहर सरकार का कॉलमः रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व और इससे जुड़ी कहानी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 15, 2019 07:10 AM2019-08-15T07:10:51+5:302019-08-15T07:10:51+5:30

रक्षाबंधन के दिन लाखों बहनें अपने भाई के हाथ मेंं राखी बांधती हैं ताकि वे उनकी रक्षा कर सकें. लेकिन क्या हम जानते हैं कि इसका स्वरूप हमेशा से ऐसा नहीं था और धार्मिक तथा ऐतिहासिक आख्यानों में यह काफी अलग है?

Jawahar Sarkar's column: Rakshabandhan's historical significance and the story related to it | जवाहर सरकार का कॉलमः रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व और इससे जुड़ी कहानी

जवाहर सरकार का कॉलमः रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व और इससे जुड़ी कहानी

जवाहर सरकार
आईएएस अधिकारी (सेवानिवृत्त) 
एवं प्रसार भारती के पूर्व सीईओ

आज रक्षाबंधन के दिन लाखों बहनें अपने भाई के हाथ मेंं राखी बांधती हैं ताकि वे उनकी रक्षा कर सकें. लेकिन क्या हम जानते हैं कि इसका स्वरूप हमेशा से ऐसा नहीं था और धार्मिक तथा ऐतिहासिक आख्यानों में यह काफी अलग है? वास्तव में, भाई-बहन के त्यौहार के रूप में रक्षाबंधन का स्वरूप काफी बाद में सामने आया है. रक्षाबंधन की सबसे पुरानी कहानी भविष्य पुराण में है जो इंद्र से संबंधित है. देव और दानवों के बीच युद्ध में जब दानव हावी होने लगे तो परेशान होकर देवों के राजा इंद्र मदद के लिए अपने गुरु बृहस्पति के पास गए, जिन्होंने एक शुभ तिथि और समय का सुझाव दिया. लेकिन इंद्र की पत्नी ने जोखिम न लेते हुए इंद्र की कलाई में एक दिव्य सुरक्षात्मक धागा बांध दिया. इसने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की और श्रावण पूर्णिमा के दिन वे विजयी हुए.

महाभारत में भी इससे संबंधित एक कहानी है कि द्रौपदी ने एक बार कृष्ण की चोटिल उंगली पर अपनी साड़ी में से एक टुकड़ा बांधा था, और इसके बदले में कृष्ण ने संकट के समय उनकी सहायता करने का वचन दिया था. इतिहास में एक दिलचस्प कहानी मिलती है जब सिकंदर की पत्नी ने हिंदू राजा पुरु को राखी बांधकर उनसे अपने पति को नहीं मारने का वचन ले लिया था. चित्तौड़ की रानी कर्णावती की कहानी भी मशहूर है जब उन्होंने गुजरात के सुल्तान के आक्रमण से बचने के लिए मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा की याचना की. हुमायूं ने अपनी सेना भेजी भी, लेकिन वह समय पर नहीं पहुंच सकी और रानी हार गई. हालांकि इस कहानी पर इतिहासकारों को संदेह है. पश्चिम भारत में यह त्यौहार नारियल पूर्णिमा के नाम से विख्यात है. इस दिन लोग समुद्र के स्वामी वरुण देवता को प्रसन्न करने के लिए उन्हें नारियल अर्पित करते हैं. जबकि उत्तर भारत में इसे कजरी पूर्णिमा कहा जाता है. 

द्रविड़ सभ्यता में रक्षाबंधन को विष तारक के रूप में मनाया जाता है, जिसका मतलब है विष को नष्ट करने वाला और यह बहुत ही आकर्षक है, क्योंकि रक्षाबंधन के कुछ ही दिन पहले नागपंचमी पर नागों की पूजा की जाती है. रक्षाबंधन के समय बरसात अपने शबाब पर होती है और खेतों में काम करते समय सांपों का डर होता है. इसलिए असंभव नहीं है कि नागों से सुरक्षा की कामना से बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधने लगी हों. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि रक्षाबंधन को भाई-बहन के त्यौहार के रूप में मनाने की शुरुआत इसी से हुई हो?

Web Title: Jawahar Sarkar's column: Rakshabandhan's historical significance and the story related to it

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे