पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावः प्रशांत किशोर का दावा, ममता का वादा या शाह का इरादा! किसमें कितना है दम?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 22, 2020 05:09 PM2020-12-22T17:09:31+5:302020-12-22T18:34:02+5:30
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को भाजपा नेताओं को सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार करने की चुनौती दी कि अगर भगवा दल पश्चिम बंगाल में 200 सीटें हासिल करने में विफल रहा तो वे अपने पद छोड़ देंगे.
पश्चिम बंगाल में वर्ष 2021 में विधानसभा चुनाव हैं और इसे लेकर सियासी संग्राम शुरू हो चुका है.
बीजेपी और टीएमसी, दोनों की ओर से आक्रामक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू भी हो चुका है. खबरें हैं कि चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बंगाल चुनाव को लेकर भविष्यवाणी की है, उनका दावा है कि 200 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही बीजेपी को दहाई अंक को पार करने के लिए ही संघर्ष करना पड़ेगा.
बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष, गृहमंत्री अमित शाह के दो दिवसीय बंगाल दौरे के बाद प्रशांत किशोर ने ट्वीट में लिखा है कि- बीजेपी समर्थित मीडिया के एक धड़े की ओर से राजनीतिक हवा बनाई जा रही है. हकीकत में, बीजेपी को पश्चिम बंगाल में दहाई अंक से सीटें पार करने में ही संघर्ष करना पड़ेगा.
यही नहीं, उन्होंने आगे यह भी कहा कि इस ट्वीट को संभाल कर रख लीजिए अगर बीजेपी इससे अच्छा प्रदर्शन करती है तो मैं यह काम छोड़ दूंगा. खबरों पर भरोसा करें तो प्रशांत किशोर के ट्वीट पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने निशाना साधते हुए कहा कि प्रशांत किशोर को बीजेपी की चिंता नहीं बल्कि राजनीतिक दलाल के तौर पर अपने भविष्य की चिंता करनी चाहिए, जो पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद खत्म होने जा रहा है.
निखिल आनंद ने यह भी लिखा कि प्रशांत किशोर भी मेरे ट्वीट को उस दिन के लिए सुरक्षित रख लें जब तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी और पार्टी नेता राज्य से बाहर खदेड़ देंगे, प्रशांत किशोर जिस राज्य से काम करके भाग गए, वहां दुबारा न लौटने का रिकॉर्ड बहुत अच्छा है.
इधर, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पहले ही फिर से सत्ता में लौटने का भरोसा जताने के साथ ही पश्चिम बंगाल का विकास जारी रखने का वादा कर चुकी हैं. उधर, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष, गृहमंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 200 से ज्यादा सीटें जीतने का इरादा व्यक्त कर चुके हैं. प्रशांत का दावे, ममता का वादे या शाह के इरादे में कितना है दम यह दो प्रमुख बातों पर निर्भर है....
एक- बीजेपी के लिए जो बढ़ता समर्थन नजर आ रहा है, वह वोट में बदलता है या नहीं.
दो- बीजेपी में आ रहे टीएमसी के बागियों को प्रदेश के मूल भाजपाई तहेदिल स्वीकार करते हैं या नहीं!