प्रमोद भार्गव का ब्लॉगः सपा-बसपा गठबंधन से मुश्किल में कांग्रेस
By प्रमोद भार्गव | Updated: January 14, 2019 22:31 IST2019-01-14T22:31:40+5:302019-01-14T22:31:40+5:30
कांग्रेस 2014 के चुनाव में 7.53 फीसदी मत प्राप्त कर दो सीटें ही जीत पाई थी, जिनमें एक राहुल और एक सोनिया गांधी की थी. भाजपा 42.63 फीसदी वोट हासिल कर 71 सीटों पर जीती थी. उसके सहयोगी अपना दल ने एक फीसदी वोट हासिल कर दो सीटें जीती थीं.

प्रमोद भार्गव का ब्लॉगः सपा-बसपा गठबंधन से मुश्किल में कांग्रेस
देश को सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीट देने वाले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने हाथ मिला लिया है. मतलब अब बुआ-भतीजा लोकसभा की धुरी माने जाने वाले इस प्रदेश में नया गुल खिलाएंगे. दोनों दल 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस के लिए अमेठी राहुल गांधी और रायबरेली सीट सोनिया गांधी के लिए छोड़ दी गई हैं. यह छूट कांग्रेस को गठबंधन में शामिल किए बिना ही दी गई है.
कांग्रेस 2014 के चुनाव में 7.53 फीसदी मत प्राप्त कर दो सीटें ही जीत पाई थी, जिनमें एक राहुल और एक सोनिया गांधी की थी. भाजपा 42.63 फीसदी वोट हासिल कर 71 सीटों पर जीती थी. उसके सहयोगी अपना दल ने एक फीसदी वोट हासिल कर दो सीटें जीती थीं. सपा को वोट तो 22.35 प्रतिशत मिले थे, लेकिन वह महज पांच सीटें ही जीत पाई थी. बसपा को वोट तो 19.77 फीसदी मिले थे, लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.
गोया, सपा और बसपा का मंसूबा है कि दोनों के मतदाता एक हो जाएं तो उन्हें करीब 42 फीसदी वोट मिल सकते हैं, जो सबसे ज्यादा सीटें इस गठबंधन को दिलाने का पर्याय बन सकते हैं. लेकिन कांग्रेस के इस प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने से भाजपा को लाभ पहुंच सकता है.
इधर हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों में सत्ता खोने के बाद भाजपा ने सबक लेते हुए गठबंधन का धर्म उदारता से निभाने का संकेत दिया है. बिहार में जदयू और लोजपा के साथ लोकसभा की सीटों के बंटवारे को लेकर हुआ समझौता इसका गवाह है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख एवं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के राजग से बाहर हो जाने से भी भाजपा ने सबक लेते हुए रामविलास पासवान को राज्यसभा की सीट बोनस में दे दी है. वर्ना, पांच राज्यों के आए चुनाव परिणामों से पहले तक भाजपा अपनी सबसे निकटतम वैचारिक सहयोगी शिवसेना को भी आंखें दिखाती रही है.
बिहार में अब भाजपा और जदयू 17-17 सीटों पर और लोक जनशक्ति पार्टी 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस समझौते को रामविलास के बेटे चिराग पासवान द्वारा राजग से अलग होने की धमकी का नतीजा माना जा रहा है. बहरहाल, यह समझौता भाजपा के लिए सकारात्मक रहेगा. लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल को अब यहां भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन में उपेंद्र कुशवाहा शामिल हो गए हैं. अभी राजनीति के कई ऐसे चतुर-सुजान इधर-उधर होंगे.
दरअसल भाजपा कुछ समय से गठबंधन के उस धर्म का पालन करती नहीं दिख रही थी, जिसकी पैरवी अटल बिहारी वाजपेयी किया करते थे. वाजपेयी अपने सहयोगियों को बराबर का साझीदार मानने के आदर्श पर चलते थे.