संसद में मोदी के आश्वासन पर विश्वास करें किसान, वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग

By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 9, 2021 11:26 AM2021-02-09T11:26:03+5:302021-02-09T11:27:37+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधन के दौरान तीन कृषि कानूनों को लेकर जारी किसानों के आंदोलन को समाप्त करने की अपील की.

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विपक्षी नेताओं- शरद पवार, गुलाम नबी आजाद और रामगोपाल यादव का उल्लेख भी बड़ी चतुराई से कर दिया.

Highlightsसरकार की कृषि-नीति के बारे में थोड़ा ज्यादा गहरा विश्लेषण प्रस्तुत कर सकते थे.शक नहीं कि पंजाब और हरियाणा के बड़े किसान कुछ असमंजस में जरूर पड़ गए होंगे.चौधरी चरण सिंह और गुरु नानक देव जी का हवाला देकर जाट और सिख किसानों का दिल जीतने की कोशिश भी उन्होंने की है.

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर संसद में हुई बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्नी का जो भाषण हुआ, उसके तथ्य और तर्क काफी प्रभावशाली रहे.

मोदी के इस भाषण की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें आक्रामकता नदारद थी. शायद किसान आंदोलन ने उनके व्यक्तित्व में यह नया आयाम जोड़ दिया है. इससे उनको और देश को भी निश्चित ही कुछ न कुछ लाभ जरूर होगा. अपने लंबे भाषण में उन्होंने किसान आंदोलन के विरुद्ध कोई भी उत्तेजक बात नहीं कही.

वे अपनी सरकार की कृषि-नीति के बारे में थोड़ा ज्यादा गहरा विश्लेषण प्रस्तुत कर सकते थे लेकिन उन्होंने जो भी तथ्य और तर्क पेश किए, उन्हें यदि देश के करोड़ों आम किसानों ने सुना होगा तो उन्हें लगा होगा कि जैसे भारत में दुग्ध-क्र ांति हुई है, वैसे ही अब कृषि-क्रांति का समय आ गया है.

इसमें शक नहीं कि पंजाब और हरियाणा के बड़े किसान कुछ असमंजस में जरूर पड़ गए होंगे लेकिन चौधरी चरण सिंह और गुरु नानक देव जी का हवाला देकर जाट और सिख किसानों का दिल जीतने की कोशिश भी उन्होंने की है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों लालबहादुर शास्त्नी व देवेगौड़ा का जिक्र  करके और मनमोहन सिंह को उद्धृत करके विपक्ष की हवा निकाल दी.

उन्होंने विपक्षी नेताओं- शरद पवार, गुलाम नबी आजाद और रामगोपाल यादव का उल्लेख भी बड़ी चतुराई से कर दिया. उन्होंने एक नए शब्द का उपयोग कर दिया, ‘आंदोलनजीवी’. उन्होंने विरोध की राजनीति पर भी काफी मजेदार व्यंग्य किया. कुल मिलाकर संसद के इस सत्न में किसान आंदोलन पर विपक्ष का पक्ष कमजोर रहा.

किसानों की मांगों को प्रभावशाली ढंग से पेश करने में जैसे किसान नेता बाहर असमर्थ रहे, वैसे ही विरोधी नेता भी संसद में असमर्थ दिखाई पड़े. मोदी के इस भाषण में आंदोलनकारी बड़े किसानों के लिए आनंद की सबसे बड़ी बात यह हुई है कि प्रधानमंत्नी ने संसद में स्पष्ट आश्वासन दिया है कि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य की जो व्यवस्था पहले थी, वह अब भी है और आगे भी जारी रहेगी.

मंडी-व्यवस्था भी कायम रहेगी. इन दोनों वायदों पर मोहर इस बात से लगती है कि देश के 80 करोड़ लोगों को सरकार सस्ता अनाज मुहैया करवाती रहेगी. यदि कोई प्रधानमंत्नी संसद में दिए गए अपने आश्वासन से डिगेगा तो उसे उसकी गद्दी पर कौन टिकने देगा? इसमें शक नहीं कि कृषि मंत्नी नरेंद्र तोमर किसान नेताओं से अत्यंत शिष्टतापूर्ण संवाद चला रहे हैं लेकिन मोदी अब किसान नेताओं से खुद सीधे बात क्यों नहीं करते.  

Web Title: pm narendra modi Rajya Sabha farmer kisan trust  assurance Parliament Ved Prakash Vaidik blog

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