अब कर्नाटक में बिछी राजनीतिक बिसात, ये फैक्टर तय करेंगे शह और मात?

By आदित्य द्विवेदी | Published: December 21, 2017 07:48 AM2017-12-21T07:48:43+5:302017-12-21T07:57:14+5:30

कर्नाटक की सियासी जमीन पर दोनों पार्टियों ने अपनी बिसात बिछा दी है। देखना दिलचस्प होगा कि शह और मात के इस खेल में कुर्सी किसके हिस्से आती है!

Karnataka Assembly Election 2018: These factor decide who will win the battle | अब कर्नाटक में बिछी राजनीतिक बिसात, ये फैक्टर तय करेंगे शह और मात?

अब कर्नाटक में बिछी राजनीतिक बिसात, ये फैक्टर तय करेंगे शह और मात?

Highlights2018 में आठ राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं इसमें कर्नाटक बेहद अहम माना जा रहा हैकांग्रेस के नविनर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी पर खुद को साबित करने का दबाव है'कांग्रेस मुक्त भारत' का सपना देख रही बीजेपी के लिए भारत के दक्षिणी राज्यों में सेंध लगाना जरूरी है

गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया। जीत दर्ज करने के बाद पार्टी जश्न मना रही थी और पीएम मोदी कर्नाटक के लिए उड़ान भर चुके थे। भले ही उनका दौरा ओखी तूफान से प्रभावित इलाकों का दौरा करने के लिए रहा हो लेकिन इसके कई राजनीतिक मायने भी निकलने शुरू हो गए हैं।

साल 2018 में आठ राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें कर्नाटक, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए कर्नाटक चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है। एक तरफ कांग्रेस के नविनर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी पर खुद को साबित करने का दबाव है, दूसरी तरफ 'कांग्रेस मुक्त भारत' का सपना देख रही बीजेपी के लिए भारत के दक्षिणी राज्यों में सेंध लगाना जरूरी है। कर्नाटक ही वह प्रदेश है जहां आगामी चुनाव में दोनों पार्टियां उम्मीद भरी नजरों से देख रही हैं।

राहुल गांधी ने गुजरात में पूरे चुनाव प्रचार के दौरान सॉफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे को आगे किया। पूरे कैम्पेन के दौरान राहुल गुजरात के 27 से ज्यादा मंदिरों में मत्था टेकने गए। बीजेपी ने सोमनाथ मंदिर के गैर-हिंदू वाले रजिस्टर में राहुल गांधी का नाम दर्ज होने का मुद्दा भी उठाया लेकिन वो बैकफायर कर गया। राहुल ने खुध को शिवभक्त कहा तो कांग्रेस ने उससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए राहुल को जनेऊधारी हिंदू बता दिया। इस पूरी कवायद का मकसद कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाना था। गुजरात में इसका फायदा भी देखने को मिला। सोमनाथ की चार विधानसभाओं में से कांग्रेस ने तीन सीटों पर बाजी मारी।

कर्नाटक में भी कांग्रेस इस ‘पहले इस्तेमाल फिर विश्वास’ वाले फॉर्मूले को अपनाना चाहेगी। जानकारों का मानना है कि मंदिरों में मत्था टेकने के क्रम में राहुल गांधी कर्नाटक के अग्निदुर्ग गोपालकृष्ण मंदिर, नवग्रह जैन मंदिर, मंगला देवी मंदिर और सुब्रमन्येश्वरा मंदिर जाएंगे। साथ ही अल्पसंख्यकों को साधने के लिए दरगाहों के भी दौरे किए जाएंगे।

भारतीय जनता पार्टी देश के 19 राज्यों में सरकार चला रही है। इसमें काफी कुछ श्रेय नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व और अमित शाह की रणनीतिक कुशलता को मिलना चाहिए। कर्नाटक भी किसी मामले में इससे अछूता नहीं रहने वाला।

कर्नाटक में बीजेपी के प्रभारी हैं मुरलीधर राव। गुजरात और हिमाचल चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कहा था कि इन नतीजों का साल 2019 में होने वाले आम चुनाव और कर्नाटक राज्य के विधानसभा चुनाव पर सीधा असर पड़ेगा। राव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के रूप में कांग्रेस पार्टी ने अपने शासन वाला एक और राज्‍य गंवा दिया है। कांग्रेस हार रही है और बीजेपी अपना वर्चस्‍व बढ़ा रही है। उन्‍होंने कहा कि कर्नाटक अब ऐसा इकलौता महत्‍वपूर्ण राज्‍य है जहां कांग्रेस सत्‍ता में है। हम कांग्रेस से यह राज्‍य भी 'छीन' लेंगे।

कर्नाटक में मई 2018 में चुनाव होंगे। ऐसे में बीजेपी आगामी पांच महीने का भरपूर इस्तेमाल करना चाहती है। चर्चा है कि भूपेंद्र यादव को कर्नाटक मे्ं चुनाव प्रभारी बनाया जा सकता है। भूपेंद्र यादव पहले ही राजस्थान और बिहार में बीजेपी के लिए चुनावी प्रभारी की सफल भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी भी कर्नाटक के छोटे बड़े शहरों में 30 से ज्यादा रैलियां करेंगे। हालिया चुनावों में एक एक बात साफ तौर पर देखी जा सकती है। बीजेपी ने हिंदुत्व के साथ विकास के मुद्दे को भी आगे बढ़ाया है।

कर्नाटक की सियासी जमीन पर दोनों पार्टियों ने अपनी बिसात बिछा दी है। देखना दिलचस्प होगा कि शह और मात के इस खेल में कुर्सी किसके हिस्से आती है!

Web Title: Karnataka Assembly Election 2018: These factor decide who will win the battle

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