ठीक ऐसे ही सत्ता से बाहर हुई थी BJP, एकदम उसी राह पर चले हैं मोदी-शाह जिससे औंधे मुंह गिरे थे सीनियर

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 18, 2018 07:32 PM2018-02-18T19:32:37+5:302018-02-18T19:33:37+5:30

साल 2004 में भी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ यही वह तीनों राज्य थे जिसमें बीजेपी जीत तो गई।

how BJP looses 2004 followed same footstep now | ठीक ऐसे ही सत्ता से बाहर हुई थी BJP, एकदम उसी राह पर चले हैं मोदी-शाह जिससे औंधे मुंह गिरे थे सीनियर

ठीक ऐसे ही सत्ता से बाहर हुई थी BJP, एकदम उसी राह पर चले हैं मोदी-शाह जिससे औंधे मुंह गिरे थे सीनियर

इस साल आठ राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं और साथ ही मोदी सरकार समय से पहले लोकसभा चुनाव कराने के आसार भी। क्योंकि सरकार की तरफ से बार - बार इसके संकेत दिए जा रहे हैं। कहा जाता है की लालकृष्ण आडवाणी ने 2004 में समय से 6 महीने पहले ही भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी ) को चुनाव में धकेल दिया था और इस चुनाव में बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई थी। क्या फिर से वही गलती मोदी और शाह तो नहीं कर देंगे।

2004 के चुनाव इन आकड़ों को देखकर आप खुद ही समझ जाएंगे

इस साल के अंत में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने है और इन तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार हैं। साल 2004 में भी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ यही वह तीनों राज्य थे जिसमें बीजेपी जीत तो गई थी लेकिन बीजेपी इस जीत के कारण सत्ता से बाहर भी हो गई। दरअलस 2004 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के जीत को देखते बीजेपी को लगा की आम चुनाव के नतीजे भी उसके पक्ष में आएगा और बीजेपी ने समय से 6 महीने पहले ही लोकसभा चुनाव करा लिए। इस चुनाव में बीजेपी हार हुई। बीजेपी को अनुमान जीत का था लेकिन जमीनी हकीकत से रूबरू ना होने के कारण बीजेपी हार गई थी।

उस वक्त भी यही तीन पार्टियां हुईं थी NDA से बाहर 

2004 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की सबसे बड़ी परेशानी थी क्षेत्रीय दलों का नाराज होना। बीजेपी ने क्षेत्रीय दलों की ताकत को नजरअंदाज कर दिया था। 1999 के लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों ने बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाया था। लेकिन 2004 लोकसभा चुनाव ने कुछ प्रमुख दल बीजेपी से अपना नाता तोड़ चुके थे।

2004 लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए से अलग हुए दल थे डीएमके, इंडियन नेशनल लोकदल और लोजपा। यानी करूणानिधि,ओम प्रकाश चौटाला और रामविलास पासवान। माना जाता है की अगर 2004 में बीजेपी तमिलनाडु, हरियाणा और बिहार के इन तीनों दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ी होती तो लोकसभा की 55 सीटों का फायदा हुआ होता।

1999 के चुनाव में इन तीनों राज्यों में बीजेपी को 2004 के मुकाबले 55 सीटें अधिक मिली थीं। 2004 में बीजेपी को 185 सीटें ही मिली थीं।

अगर बीजेपी इन दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ी होती तो बीजेपी के पास कुल 240 सीटें होती जो बहुमत के बहुत करीब होता और बीजेपी कुछ छोटे दलों के साथ मिलकर सरकार बना सकती थी।

जब 1999 में राम विलास पासवान एनडीए में थे तो एनडीए 54 में से 41 सीटें जीती थीं। जब पासवान ने 2002 में एनडीए का साथ छोड़ दिए तो 2004 के चुनाव में एनडीए को कुल 40 में से सिर्फ 11 सीटों पर जीत मिली। इस बीच सन 2000 में बिहार का बंटवारा हो चुका था तो 54 सीट नहीं बल्कि 40 सीटें पर ही चुनाव हुआ।

हरियाणा में भी यही हुआ 1999 में साथ रहने पर बीजेपी और चौटाला के दल को पांच -पांच सीटें मिली थी लेकिन चौटाला का साथ छोड़ने पर 2004 में बीजेपी एक सीट पर सिमट गया।

1999 में बीजेपी और डीएमके साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो बीजेपा को 4 और डीएमके को 12 साटें पर जात मिली थी। करूणानिधि के नेतृत्व वाले डीएमके के साथ बीजेपी का गठबंधन चल ही रहा था कि जयललिता की सरकार ने एक राजनीतिक दांव फेंक दिया। उन दिनों तमिलनाडु में जयललिता की सरकार थी। जयललिता ने  विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी विधेयक पास करा दिया।

इस विधेयक के पास हो जाने से भाजपा को जयललिता में हिंदुत्व के तत्व नजर आने लगे थे। भाजपा ने जयललिता का दामन थाम लिया। शायद बीजेपी यह बात भूल गई था की आमतौर पर तमिलनाडु में लगभग सत्ताधारी पार्टी आगामी चुनाव हार जाती है। नतीजतन 2004 के लोकसभा चुनाव में डीएमके और कांग्रेस को कुल मिलाकर 26 सीटें मिल गई।

हाल ही में ही बीजेपी से उसके कई सहयोगी दल नाराज चल रहे है और शिवसेना ने बीजेपी से अपने 25 साल के दोस्ती को तोड़ते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला लिया है।

एक तरफ अमित शाह लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा के कुरुक्षेत्र को चुना है तो दूसरी तरफ हरियाणा को कुरुक्षेत्र से बीजेपी के सांसद राजकुमार सैनी ने बड़ा बयान एलान किया है। उन्होंने कहा है कि वे जल्द भाजपी पार्टी से अलग हो जाएंगे। और अपना पार्टी बनाकर आगामी हरियाणा के 90 विधानसभा की सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और इन दिनों बीजेपी नाराज चल रहे आध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को मनाने में लगी है। बीजेपी को भी पत्ता है की लोकसभा चुनाव जीतने के लिए एक मजबूत सहयोगी और स्थाई वोट बैक चाहिए।
रिपोर्ट- प्रिंस राय

Web Title: how BJP looses 2004 followed same footstep now

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