सीएए विरोधी पार्टियों की असम चुनाव में भाजपा को चुनौती, दिनकर कुमार का ब्लॉग

By दिनकर कुमार | Published: February 12, 2021 01:10 PM2021-02-12T13:10:53+5:302021-02-12T13:13:46+5:30

assam vidhan sabha election 2021: असम में 126 विधानसभा सीट हैं. भाजपा गठबंधन ने 2016 में 86 सीट पर कब्जा किया था.

assam vidhan sabha election 2021 april may anti-CAA parties challenge bjp congress agp Dinkar Kumar's blog | सीएए विरोधी पार्टियों की असम चुनाव में भाजपा को चुनौती, दिनकर कुमार का ब्लॉग

कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने पिछले चुनाव में कोई गठबंधन नहीं किया था. (file photo)

Highlightsराज्य में भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला न होकर त्रिकोणीय हो सकता है.कांग्रेस ने 122 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 26 पर जीत दर्ज की थी. भाजपा-एजीपी-बीपीएफ का संयुक्त वोट शेयर 41.9 प्रतिशत था.

असम में इस साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं. इस बार राज्य में भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला न होकर त्रिकोणीय हो सकता है, क्योंकि राज्य की क्षेत्रीय पार्टियां गठबंधन बना रही हैं. उनका मकसद छोटी पार्टियों के बीच  वोटों के बंटवारे को रोकना है.

असम में 126 विधानसभा सीट हैं

सत्ताधारी भाजपा असम गण परिषद (एजीपी) और यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल के साथ चुनाव लड़ेगी. वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने तीन वामपंथी दलों के साथ-साथ ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के साथ मिल महागठबंधन बनाया है. भाजपा, जो असम के तीन दलों के गठबंधन का नेतृत्व करती है, को आगामी चुनावों में राज्य की 126 सीटों में से 100 सीटें जीतने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना होगा.

2016 में भाजपा गठबंधन ने 86 सीट पर किया था कब्जा

मोदी लहर को भुनाते हुए, उसने 2016 के चुनावों में सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ मिलकर 86 सीटें जीती थीं. इसने पिछली कांग्रेस शासन के दौरान सत्ता-विरोधी लहर और कथित रूप से बड़े भ्रष्टाचार के आक्रोश को भुनाया था. हालांकि इस बार का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह से अलग है. भाजपा को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वह विपक्षी दलों कांग्रेस और अल्पसंख्यक-आधारित अखिल भारतीय यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट(एआईयूडीएफ) के गठबंधन के रूप में आ रही हैं.

2016 के चुनावों में भाजपा ने 84 सीटों पर चुनाव लड़ा था

2016 के चुनावों में भाजपा ने 84 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसका वोट शेयर कांग्रेस के 31 प्रतिशत की तुलना में 29.5 प्रतिशत था. कांग्रेस ने 122 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 26 पर जीत दर्ज की थी. भाजपा-एजीपी-बीपीएफ का संयुक्त वोट शेयर 41.9 प्रतिशत था, जो कांग्रेस-एआईयूडीएफ के 44 प्रतिशत से कम था. 17 निर्वाचन क्षेत्नों में, जो भाजपा ने जीता था, कांग्रेस और एआईयूडीएफ का संयुक्त वोट भगवा पार्टी से अधिक था. साथ ही, कांग्रेस और एआईयूडीएफ का संयुक्त वोट एजीपी की दो सीटों से अधिक था जो उन 14 सीटों में से थी जो क्षेत्नीय पार्टी ने जीती थी.

कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने पिछले चुनाव में कोई गठबंधन नहीं किया था

कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने पिछले चुनाव में कोई गठबंधन नहीं किया था. अब जब वे एक साथ लड़ेंगे और सीट साझा करने की व्यवस्था होगी, तो इससे भाजपा विरोधी वोटों के विभाजन को रोकने की उम्मीद की जा सकती है. मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ हुए आंदोलन की कोख से असम में दो दलों का गठन हुआ.

इन दोनों दलों ने इस साल अप्रैल-मई में राज्य में एक साथ विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए हाथ मिलाया है. असम जातीय परिषद (एजेपी) और राइजर दल (आरडी) ने सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को चुनौती देने के लिए अपने गठबंधन में और अधिक दलों को शामिल करने की योजना बनाई है.

आरडी प्रमुख अखिल गोगोई से मुलाकात की

एजेपी के अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई ने गुरुवार को आरडी प्रमुख अखिल गोगोई से मुलाकात की, जिन्हें दिसंबर 2019 से गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सीएए के खिलाफ आंदोलन के समय विरोध प्रदर्शन में उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है.

बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ भी बातचीत चल रही है

लुरिनज्योति गोगोई ने कहा कि दो पहाड़ी जिलों कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ में सीटों के लिए स्वायत्त राज्य मांग समिति के साथ भी उनका गठजोड़ होगा. बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ भी बातचीत चल रही है, जो राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन का एक हिस्सा है.

दिसंबर में बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल के चुनाव में यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल के साथ भाजपा के गठबंधन के बाद बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट भाजपा का दामन छोड़ सकता है. दिसंबर 2019 में सीएए के खिलाफ आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले दो छात्न संगठनों ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और असम जातीयतावादी युवा छात्न परिषद ने एजेपी का गठन किया है. कृषक मुक्ति संग्राम समिति, एक किसान संगठन जिसने सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, ने आरडी का गठन किया है.

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