लाइव न्यूज़ :

Elections 2024: गठबंधन जरूरी या महाराष्ट्र में सबकी मजबूरी!, जानें आखिर क्या है समीकरण

By Amitabh Shrivastava | Updated: August 26, 2023 10:25 IST

Elections 2024: वर्ष 1999 में कांग्रेस से अलग होकर राकांपा या फिर वर्ष 2006 में शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का बनना दोनों दलों में टूट तो थी, लेकिन सीधा विभाजन या फिर पूरी पार्टी का दूसरे पाले में चला जाना नहीं था.

Open in App
ठळक मुद्देपार्टी के दूसरे पाले में बैठकर खुद को मूल दल बताने का सिलसिला आरंभ हो गया है. किसी भी दल से ‘एकला चलो रे’ का नारा धीमी जुबान में भी सुनाई नहीं दे रहा है. वर्ष 2014 से भाजपा ने राज्य में अपनी ताकत को बढ़ाया है, जिसमें उसे केंद्र सरकार का सहारा मिला.

Elections 2024: कभी अकेले दम सत्ता को अपने कब्जे रखने वाली कांग्रेस, एक समय अपनी ताकत से सरकार बनाने का सपना देखने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) और एक पार्टी की दोबारा सरकार बनाने की हिम्मत जुटाने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सभी इन दिनों परेशान हैं.

राज्य में सत्ता के समीकरणों में सबसे आदर्श कौन-सा होगा, किसी को पता नहीं है. यही वजह है कि हर दल के बाजुओं को किसी न किसी के सहारे की आवश्यकता दिखाई देने लगी है. नेताओं की महत्वाकांक्षा के चलते बिखराव इस कदर बढ़ चुका है कि अच्छे-अच्छे नेताओं का आत्मविश्वास टूट चुका है.

वर्ष 1999 में कांग्रेस से अलग होकर राकांपा या फिर वर्ष 2006 में शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का बनना दोनों दलों में टूट तो थी, लेकिन सीधा विभाजन या फिर पूरी पार्टी का दूसरे पाले में चला जाना नहीं था. वर्ष 2019 के बाद से महाराष्ट्र की सत्ता के गलियारों में पूरी की पूरी पार्टी के दूसरे पाले में बैठकर खुद को मूल दल बताने का सिलसिला आरंभ हो गया है.

शिवसेना के बाद राकांपा भी इसी मुश्किल से गुजर रही है. इसी के चलते किसी भी दल से ‘एकला चलो रे’ का नारा धीमी जुबान में भी सुनाई नहीं दे रहा है. वर्ष 2014 से भाजपा ने राज्य में अपनी ताकत को बढ़ाया है, जिसमें उसे केंद्र सरकार का सहारा मिला. वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में उसे 122 सीटें मिलीं, जो वर्ष 2009 की तुलना में मिली 46 सीटों से दोगुनी से अधिक थीं.

हालांकि वर्ष 2019 में थोड़ी गिरावट दर्ज हुई और सीटें 105 तक जा पहुंचीं. बावजूद इसके मतों में कमी केवल दो प्रतिशत ही दर्ज की गई. इतनी ताकत होने के बाद भी भाजपा का अकेले दम पर चुनाव लड़ने का आत्मविश्वास पैदा नहीं हो पा रहा है.

एक तरफ तो वह सत्ता में रहते हुए अपने साथियों शिंदे सेना या अजित राकांपा को छोड़ने की गुस्ताखी नहीं कर सकती है, दूसरी तरफ मत विभाजन की संभावना इतनी अधिक हो चली है कि कांग्रेस या राकांपा के वोट बांटने से जीत सुनिश्चित नहीं की जा सकती है. ऐसे में उसे स्वस्थ गठबंधन की जरूरत है.

जैसा कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है, वैसा ही भाजपा के संभावित तालमेल का हाल है. शिवसेना से झटका खाने के बाद उसे कोई भरोसेमंद साथी नजर नहीं आ रहा है, हालांकि गठबंधन बिना उसकी गाड़ी भी आगे नहीं बढ़ पाएगी. कांग्रेस ने तो पहले ही पीछे की सीट पर बैठने का फैसला कर लिया है. वह अपनी कट्टर विरोधी शिवसेना से दूर होने की बात कहने से भी कतरा रही है.

उसे अपनी ताकत का अहसास चुनाव के पहले से है. भतीजे अजित पवार से झटका खाने के बाद चाचा शरद पवार हर सभा में खुद को अखाड़े का पहलवान बताने से नहीं चूक नहीं रहे हैं, लेकिन महाविकास आघाड़ी के नाम पर वह अभी-भी एकजुटता की बातें कर रहे हैं. हालांकि कांग्रेस और शिवसेना अजित पवार की बगावत के बाद राकांपा के रुख पर संदेह जारी कर चुके हैं.

राज्य में चार प्रमुख दलों के अलावा सभी दल मौका देखकर ही काम करते हैं, भले ही उनके पास कितने भी विधायक हों. राज्य के चुनावी इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो राकांपा ने वर्ष 1999 में 223 सीटों पर चुनाव लड़कर 22 प्रतिशत मत हासिल किए थे, जब वह कांग्रेस से अलग हुई थी. पिछले चुनाव में यह आंकड़ा 123 सीटों पर 16 प्रतिशत से थोड़ा अधिक रहा.

कांग्रेस वर्ष 1999 में 249 सीटों पर 27 प्रतिशत मत हासिल कर सकी थी, जबकि वर्ष 2019 में 147 सीटों पर लगभग 16 प्रतिशत वोट ले पाई. शिवसेना 126 सीटों पर चुनाव लड़ने के साथ 16 प्रतिशत से अधिक थी, जबकि वर्ष 2019 में 161 सीटों पर 17.33 प्रतिशत तक थी. शिवसेना का सबसे अच्छा प्रदर्शन वर्ष 1995 में था.

जब उसने 169 सीटों पर चुनाव लड़कर 73 सीटें जीती थीं, मगर मतों का प्रतिशत 16 से थोड़ा अधिक था. उसी साल 80 सीटें जीतकर विपक्ष में बैठने वाली कांग्रेस को 31 प्रतिशत मत मिले थे. स्पष्ट है कि बीते सालों में कांग्रेस का मताधार कोई भी दल पा नहीं सका है. यद्यपि भाजपा ने वर्ष 2014 में 122 सीटें जीतीं थीं, लेकिन उसके मत 27 फीसदी तक ही थे.

अब बदले हालात में जितने राजनीतिक दल खुद के अस्तित्व को लेकर भ्रमित हैं, उतने ही मतदाता भी भ्रमित हैं. यही वजह है कि शिवसेना और राकांपा भावनात्मक कार्ड के सहारे मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करना चाह रहे हैं, लेकिन अपनी ताकत और मजबूरी को समझ कर कोई भी गठबंधन की वकालत करने से चूक नहीं रहे हैं.

इस परिस्थिति में भाजपा की एकजुटता भी उसे चुनावी विजय का विश्वास नहीं दिला पा रही है. चाहे-अनचाहे मन से उसे गठबंधन करना है और अपनी कई सीटों को दूसरे दलों के लिए छोड़ना है. साफ है कि नेताओं के दल-बदल से आगे पार्टियों का विभाजन एक तरफ जहां जमीनी नेताओं के लिए समस्या का कारण है, वहीं दूसरी ओर उनके प्रशंसकों तथा समर्थकों के लिए बड़े असमंजस की स्थिति है.

इसमें निष्ठा और गद्दारी जैसे शब्द प्रचलन में हैं. किंतु शब्दों के जाल से आम सभाओं में तालियां पिटवाई जा सकती हैं, उन्हें मतों में परिवर्तित करना आसान नहीं है. महाराष्ट्र की राजनीति गवाह है कि राज्य में तालियां पिटवाने वाले नेता कभी-भी 288 सीटों वाली विधानसभा के चुनाव में 75 सीटों का तक आंकड़ा पार नहीं कर पाए.

इसलिए मतदाता के लिए राजनीति में नीति का स्पष्ट होना आवश्यक है. गठबंधन सत्ता हथियाने का मार्ग हो सकते हैं, लेकिन विचारधारा राजनीति के लक्ष्यों की पूर्ति का रास्ता बनती है, जिस पर भटक कर स्वयं को सही सिद्ध नहीं किया जा सकता है.

टॅग्स :मुंबईमहाराष्ट्रNCPकांग्रेसशिव सेनाShiv Sena
Open in App

संबंधित खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतकौन थे स्वराज कौशल? दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के पति का 73 साल की उम्र में हुआ निधन

भारतझारखंड में संभावित सियासी उलटफेर की खबरों पर कोई भी नेता खुलकर बोलने को नहीं है तैयार, सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार है गरम

भारतSanchar Saathi App: विपक्ष के आरोपों के बीच संचार साथी ऐप डाउनलोड में भारी वृद्धि, संचार मंत्रालय का दावा

महाराष्ट्र अधिक खबरें

महाराष्ट्रMaharashtra Heavy Rain: महाराष्ट्र में बारिश का कहर, 24 घंटों में 3 लोगों की मौत, 120 से अधिक व्यक्तियों को निकाला गया

महाराष्ट्रसमृद्धि महामार्ग पर सुरक्षा और सुविधा का सवाल!

महाराष्ट्रMumbai: लोकल ट्रेन से सफर कर रहे 4 यात्रियों की मौत, भीड़ से भरी ट्रेन से गिरे लोग; दर्दनाक वीडियो वायरल

महाराष्ट्रदिशा सालियान की मौत पर पिता का खुलासा, रेप और हत्या का किया दावा; आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर की मांग

महाराष्ट्रMaharashtra New CM Updates: सीएम शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां शुरू! विधायक दल के साथ बीजेपी की आज बैठक..., जानें अपडेट