डॉ. एस.एस. मंठा का नजरियाः रोजगार निर्माण की चुनौती स्वीकार करे सरकार 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 24, 2018 06:43 PM2018-12-24T18:43:04+5:302018-12-24T18:43:04+5:30

हमें अपने नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि युवा आबादी के जनसांख्यिकीय लाभांश से हम वंचित न हों.

Dr. S. S. Mantha Blog: Government accepts challenge to employment generation | डॉ. एस.एस. मंठा का नजरियाः रोजगार निर्माण की चुनौती स्वीकार करे सरकार 

डॉ. एस.एस. मंठा का नजरियाः रोजगार निर्माण की चुनौती स्वीकार करे सरकार 

अमेरिका की सिलिकॉन वैली के प्रमुख अखबार द सैन जोस मक्र्युरी ने हाल ही में एक दिलचस्प संपादकीय प्रकाशित किया था, जिसमें कहा गया कि वैली की अरबों डॉलर वाली प्रौद्योगिकी कंपनियों के करीब आधे संस्थापक अमेरिका के बाहर पैदा हुए हैं. इसमें द. अफ्रीका में जन्मे एलन मस्क सहित रूस में पैदा हुए सेर्गेई ब्रिन और इंटेल पेंटियम प्रोसेसर के आविष्कारक हमारे अपने विनोद धाम या हॉटमेल के सबीर भाटिया का नाम लिया जा सकता है. 

अमेरिका के विकास की कहानी में बड़ा योगदान देने के बावजूद, ट्रम्प प्रशासन ने दूसरे देशों के प्रतिभाशाली लोगों के लिए दरवाजा बंद करने का विकल्प चुना है. इससे हमारा देश बहुत प्रभावित हुआ है. 

भारत में 90 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र अनौपचारिक बाजार का है और वहां काम पर रखे जाने वालों का सही विवरण मिलना मुश्किल है. कितने लोग काम कर रहे हैं, नौकरी की क्या भूमिका है, वेतन क्या है, उन्हें क्या सुविधाएं मिलती हैं, सुरक्षा क्या है आदि बातें स्पष्ट नहीं हैं. दूसरा बड़ा मुद्दा यह है कि ये सभी बाजार नकदी पर पलते हैं और नोटबंदी तथा अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण पर जोर ने अनौपचारिक बाजार तथा उन पर निर्भर रहने वालों को पतन के कगार पर पहुंचा दिया है. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने और सबसे तेज गति से विकास करने के बावजूद भारत का औपचारिक रोजगार क्षेत्र स्थिर रहा है. नोटबंदी और डिजिटलीकरण के अलावा, जीएसटी ने भी कॉर्पोरेट हायरिंग को अवरुद्ध किया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर साल 1.2 करोड़ से अधिक भारतीय नौकरियों के लिए तैयार होते हैं. लाख टके का सवाल यह है कि क्या हर साल समुचित स्तर की 1.2 करोड़ नौकरियों का सृजन होता है? 
  
डिजिटल विनिर्माण पर जोर देने के साथ, विनिर्माण उद्योग में पिछले दो दशकों में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है. बड़े पैमाने पर स्वचालन, एआई, रोबोटिक और स्पेशल पर्पस मशीन टूल्स ने नौकरी की भूमिकाओं को फिर से परिभाषित किया है और अनेक पारंपरिक रोजगारों को निर्थक बना दिया है. आईटी उद्योग, जो हाल के दिनों में सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक के रूप में उभरा है, भी स्थानीय मंदी का सामना कर रहा है. 

हमें अपने नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि युवा आबादी के जनसांख्यिकीय लाभांश से हम वंचित न हों. चाहे संसाधनों की कमी की वजह से हो, सरकारी विधि-निषेधों और नीतियों के कारण हो, अपर्याप्त कौशल या रोजगार के नए अवसरों को प्रोत्साहन की कमी की वजह से हो, तथ्य यह है कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में 3.1 करोड़ भारतीयों को रोजगार की तलाश है. यह वह  जगह है जहां चुनौती निहित है और यही वह जगह भी है जहां अवसर निहित हैं.

Web Title: Dr. S. S. Mantha Blog: Government accepts challenge to employment generation

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