योगेश कुमार गोयल: प्लास्टिक के विभिन्न रूपों पर प्रतिबंध समय की मांग
By योगेश कुमार गोयल | Updated: April 12, 2022 12:18 IST2022-04-12T12:16:54+5:302022-04-12T12:18:10+5:30
सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाए जाने का कारण यही है कि यदि इसका प्रयोग नहीं रोका गया तो भू-रक्षण का नया स्वरूप सामने आएगा और फिर जमीन की उत्पादकता वापस प्राप्त करना नामुमकिन होगा.

प्लास्टिक के विभिन्न रूपों पर तत्काल प्रतिबंध समय की मांग
दुनिया भर में वातावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कुछ प्रमुख कारकों में से प्लास्टिक एक प्रमुख कारक है. ‘प्लास्टिक’ शब्द ग्रीक शब्द प्लास्टिकोज और प्लास्टोज से बना है, जिसका अर्थ है जो लचीला है या जिसे ढाला, मोड़ा या मनमर्जी का आकार दिया जा सके. 21वीं सदी में पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में प्लास्टिक बहुत बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आया है, जिसके खतरों से पूरी दुनिया त्रस्त है.
कनाडा के हैलीफैक्स शहर में तो वर्ष 2018 में प्लास्टिक कचरे के ही कारण इमरजेंसी लगानी पड़ी थी. भारत में भी प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या दिनोदिन विकराल हो रही है, जो न केवल हर दृष्टि से प्रकृति पर भारी पड़ रही है बल्कि मानव जाति के साथ-साथ धरती पर विद्यमान हर प्राणी के जीवन के लिए भी बड़ा खतरा बनकर उभर रही है.
यही कारण है कि भारत सरकार द्वारा देश को ‘सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त भारत’ बनाने की दिशा में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा की जा चुकी है. पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार उसके बाद पॉलीस्टाइनिन और एक्सपैंडेड पॉलीस्टाइनिन सहित सिंगल यूज वाले प्लास्टिक के उत्पादन, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा.
प्लास्टिक में बहुत सारे ऐसे रसायन होते हैं, जो कैंसर और हृदय रोग सहित कई गंभीर बीमारियों को जन्म देते हैं. आज प्लास्टिक कचरे से देश का कोई भी हिस्सा अछूता नहीं है और प्लास्टिक अब आम जनजीवन का इस कदर अहम हिस्सा बन चुका है कि तमाम प्रयासों के बावजूद इस पर अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही है, न ही अब तक इसका कोई भरोसेमंद विकल्प खोजा जा सका है.
प्लास्टिक की खोज मानव सभ्यता के लिए एक क्रांतिकारी खोज इसलिए मानी गई थी क्योंकि उससे पहले जो वस्तुएं लोहा, लकड़ी इत्यादि अन्य पदार्थों से बनाई जाती थी, ऐसी बहुत सी वस्तुएं प्लास्टिक से बनाई जाने लगी. दरअसल प्लास्टिक अन्य पदार्थों की तुलना में कई कारणों से बेहतर था. इससे बनाई जाने वाली वस्तुएं न तो जल्दी से टूटती हैं, न ही लकड़ी या कागज की भांति सड़ती हैं और न ही किसी भी वातावरण के अंदर इन वस्तुओं पर लोहे की भांति जंग लगता है.
प्लास्टिक के ऊपर जल्दी से किसी भी प्रकार के वातावरण का प्रभाव नहीं पड़ता. प्लास्टिक से बनी वस्तुएं लोहे या अन्य धातुओं से बनी वस्तुओं के मुकाबले सस्ती और लंबे समय तक टिकने वाली होती हैं इसीलिए आधुनिक युग में प्लास्टिक का उपयोग निरंतर बढ़ता गया. प्लास्टिक चूंकि विद्युत का कुचालक होता है और इसकी आयु भी बहुत लंबी होती है इसलिए इसकी इन्हीं खूबियों को देखते हुए इससे विद्युतीय उपकरण भी बनाए जाते हैं.
प्लास्टिक की सबसे बड़ी विशेषता है इसे आसानी से किसी भी आकार में बदल सकना तथा इसके अंदर कोई और पदार्थ मिलाकर अन्य वस्तुएं बना लेना, जो बहुत टिकाऊ साबित होती हैं. यही कारण है कि प्लास्टिक आज हमारी जीवनशैली का अभिन्न अंग बन चुका है, जिसका इस्तेमाल हमारी रोजमर्रा की हर तरह की जरूरतें पूरी करने में हो रहा है.
पिछली सदी में जब विभिन्न रूपों में प्लास्टिक की खोज की गई थी तो इसे मानव सभ्यता और विज्ञान की बहुत बड़ी सफलता माना गया था किंतु आज यही प्लास्टिक पृथ्वीवासियों के जी का जंजाल बन गया है इसीलिए इससे छुटकारा पाने के लिए शुरुआती चरण में सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति की दिशा में कदम आगे बढ़ाए गए हैं.
दरअसल ‘स्वच्छ भारत अभियान’ में पॉलिथीन आज सबसे बड़ी बाधा है और सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाए जाने का कारण यही है कि यदि इसका प्रयोग नहीं रोका गया तो भू-रक्षण का नया स्वरूप सामने आएगा और फिर जमीन की उत्पादकता वापस प्राप्त करना नामुमकिन होगा. विकास के साथ-साथ देश के तमाम शहरों में प्लास्टिक कचरा बढ़ रहा है और इसी कारण चारों ओर बिखरी पॉलीथीन के चलते लगभग सभी शहरों में ड्रेनेज सिस्टम ठप पड़े रहते हैं.
नॉन बायोडिग्रेडेयल प्लास्टिक थैलियों को जमीन में विघटित होकर नष्ट होने में करीब एक हजार साल लंबा समय लगता है. हम सुविधाओं के लिए इन थैलियों का इस्तेमाल कर धरती को अगले एक हजार वर्षों के लिए प्रदूषित कर रहे हैं. इसीलिए पर्यावरण की बेहतरी के लिए प्लास्टिक के विभिन्न रूपों पर प्रतिबंध लगाया जाना अब समय की सबसे बड़ी मांग है.